जलियांवाला बाग के रख-रखाव हेतु प्रधानमंत्री से मांगे 100 करोड़ : सिद्ध

अमृतसर, 15 जनवरी (सुरिन्दर कोछड़): 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार की शताब्दी मनाने हेतु स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्ध  ने जलियांवाला बाग नैशनल मैमोरियल ट्रस्ट के चेयरमैन व देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर स्मारक के रख-रखाव हेतु 100 करोड़ रुपए की ग्रांट जारी करने की मांग की है। आज सुबह सिद्धू ने जलियांवाला बाग का दौरा करने के पश्चात् पत्रकारों को इस संबंधी जानकारी देते हुए बताया कि अगले वर्ष 2019 में जलियांवाला बाग दुखांत की शताब्दी मनाए जाने को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा अभी से ही तैयारियां आरम्भ कर दी गई हैं, जिस दौरान स्मारक के अंदर बंद पड़े लाइट एंड साउंड शो, दुखांत की डाक्यूमैंट्री फिल्म, लेज़र शो व सोविनर हाल का नवनिर्माण करवाकर इन्हें सुचारू रूप में शुरू करते हुए बाग में रेस्टोरेंट, अजायब घर व अन्य स्मारक स्थापित किए जाने संबंधी योजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में राष्ट्रीय एवं विरासती स्मारक की हैसियत रखने वाले 6.5 एकड़ में फैले जलियांवाला बाग स्मारक की प्रदेश स्तरीय कमेटी भी बनाए जाने की मांग की गई है, जोकि अपने प्रयासों की बदौलत पर्यटकाें के लिए बाग में अधिक सुविधाएं उपलब्ध करवा सके। उन्हाेंने कहा कि श्री हरिमंदिर साहिब के दर्शनों हेतु आने वाले श्रद्धालुओं में भारी संख्या में लोग रोज़ाना विश्व प्रसिद्ध जलियांवाला बाग स्मारक को देखने पहुंच रहे हैं, परंतु बाग में मौजूद स्मारकों व सन् 1919 की वैसाखी को बाग में हुए कत्लेआम के इतिहास बारे जानकारी देने वाला कोई भी गाइड उपलब्ध न होने के कारण पर्यटकों को निराश होकर वापस लौटना पड़ रहा है। इसलिए पर्यटकों की सुविधा के लिए गाइडों की नियुक्ति करने के साथ-साथ पर्यटकों के लिए पीने वाले साफ पानी व उनके बैठने के लिए उचित प्रबंध किए जाने जैसी अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जाएंगी। सिद्ध ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि 13 अप्रैल 1919 के जलियांवाला बाग दुखांत में मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए भी वह अलग से प्रधानमंत्री को पत्र लिख रहे हैं। उधर उक्त स्मारक की देख-रेख हेतु सन् 1951 में गठित की गई जलियांवाला बाग नैशनल मैमोरियल ट्रस्ट के सचिव एस.के. मुखर्जी ने बताया कि बाग में ट्रस्ट की सम्पत्ति के रूप में मौजूद पुराने समय के बने एक घर को बड़ी जद्दोजहद से कब्ज़ाधारकों से खाली करवाया गया है। इस घर में शहीद ऊधम सिंह के नाम पर लाइब्रेरी खोले जाने की योजना बनाई गई है, परंतु इस घर की खस्ताहाल दीवारों व दरवाज़ों-खिड़कियों की हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि इसका बड़ा हिस्सा कभी भी दर्शकों पर गिरकर बड़े हादसे को जन्म दे सकता है। उन्हाेंने बताया कि उक्त यादगारी घर के रख-रखाव व इसमें शहीद ऊधम सिंह लाइब्रेरी स्थापित करने संबंधी केन्द्र सरकार से कई बार मांग की गई है परंतु अभी तक इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया।