चीफ जस्टिस नाराज़ जजों से मिले



नई दिल्ली, 16 जनवरी (उपमा डागा पारथ) : शुक्रवार को प्रैस कान्फ्रैंस के ज़रिये सार्वजनिक हुआ जजों का विवाद अभी भी कायम है। हालांकि 4 जजों ने कान्फ्रैंस में किए ऐलान के अनुसार सोमवार से अदालत का काम शुरू कर दिया और अटार्नी जनरल ने सोमवार को विवाद सुलझा लेने का दावा भी किया था। अटार्नी जनरल के.के. वेनुगोपाल ने आज यू टर्न लेते हुए स्वीकार किया कि अभी विवाद कायम है परंतु साथ ही एक-दो दिनाें में इसके सुलझने की सम्भावना भी जताई। सूत्रों के अनुसार चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने आज चाराें नाराज़ जजों जस्टिस चेमलेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर व जस्टिस कुरियन जोसेफ के साथ मुलाकात कर कान्फ्रैंस में उठाए मुद्दाें पर चर्चा की। सूत्रों के अनुसार सही दिशा में आगे बढ़ रही चर्चा कल भी जारी रहने की सम्भावना है।
5 सदस्यीय संवैधानिक बैंच में शामिल नहीं हैं चारों जज : आरोपों के बाद जारी तनाव के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अहम केसों की सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संवैधानिक बैंच के गठन का ऐलान कर दिया परंतु चारों वरिष्ठतम जज इस संवैधानिक बैंच का हिस्सा नहीं हैं। 17 जनवरी से कई अहम मामलों की सुनवाई करने वाली इस बैंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस ए.के. सीकरी, जस्टिस ए.एम. खानविल्कर, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ व जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं।
यह बैंच आधार की संवैधानिक वैधता के अलावा समलैंगिक संबंधों पर पाबंदी पर पुनर्विचार व केरल के सब्रीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश जैसे मामलों की सुनवाई करेगी। इसके अलावा पारसी महिलाओं के अन्य धर्म के पुरुषों के साथ विवाह के बाद धार्मिक पहचान के मामले व आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सांसदों या विधायकों को अयोग्य करार देने का मामला भी इस संवैधानिक बैंच समक्ष पेश किया जाएगा।
भावुक हुए अरुण मिश्रा : इस दौरान विवादित सुर्खियों में आए जस्टिस लोया के केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस अरुण मिश्रा बहुत परेशान नज़र आए। अदालती कार्रवाई से एक दिन पहले अनौचारिक चाय पर मुलाकात दौरान भावुक हुए अरुण मिश्रा अपने आंसुओं पर काबू नहीं रख पाए। उन्होंने कहा कि चाहे चारों जजों ने उनका नाम नहीं लिया परंतु जिस केस का उल्लेख किया गया था, वह वही देख रहे हैं। उन्होंने पिछले चीफ जस्टिस का भी हवाला देते हुए कहा कि पूर्व चीफ जस्टिस टी.एस. ठाकुर व जस्टिस खैहर भी उन्हें मुश्किल केस सौंपते हैं, जिसके बाद उन्हें न केवल जस्टिस चेमलेश्वर ने हौसला दिया, बल्कि दीपक मिश्रा भी उन्हें अपने चैम्बर में ले गए। जस्टिस चेमलेश्वर ने कहा कि उन्होंने एक मुद्दा उठाया था न कि किसी व्यक्ति विशेष पर टिप्पणी की थी। उल्लेखनीय है कि चारों बागी जज चीफ जस्टिस के बाद सबसे सीनियर जज हैं जबकि जस्टिस अरुण मिश्रा सीनियर जजों की सूची में 10वें स्थान पर हैं।