कानूनी रास्ता अपना सकते हैं मुख्यमंत्री

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के मुख्य प्रमुख सचिव श्री सुरेश कुमार की नियुक्ति को पंजाब तथा हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दिये जाने के बाद पंजाब के राजनीतिक क्षेत्रों, खासतौर पर कांग्रेसी क्षेत्रों में इस बात की चर्चा ज़ोरों पर है कि मुख्यमंत्री के मुख्य प्रमुख सचिव श्री सुरेश कुमार की नियुक्ति को न्यायिक चुनौती देने के पीछे असली हाथ किसका है?इस संबंधी जो चर्चाएं सुनाई दे रही हैं, उन पर विश्वास करें तो यह उंगलियां मुख्यमंत्री के ही कुछ निकटतम लोगों की ओर उठाई जा रही हैं। इसके साथ ही आई.ए.एस. अधिकारियों की एक लॉबी की ओर भी संकेत किए जा रहे हैं। कुछ क्षेत्र तो इस मामले को पूरी गम्भीरता से न लड़े जाने की बातें भी कर रहे हैं।  इसके बारे में इस समय सबसे बड़ा सवाल यह उठाया जा रहा है कि अब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह श्री सुरेश कुमार की पुन: इस पद पर नियुक्ति के लिए किस सीमा तक जा सकते हैं। क्या वह इस मामले पर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील करने को प्राथमिकता देंगे? 
यदि वह अपील करते भी हैं, तो इसकी पैरवी मौजूदा वकील ही करेंगे या उच्च न्यायालय ने देश के अन्य प्रमुख वकीलों में से किसी की सेवाएं ली जायेंगी? क्या मुख्यमंत्री इस मामले में कोई अध्यादेश जारी करने या विधानसभा में कोई ऐसा प्रस्ताव स्वीकृत करवाने की हद तक भी जा सकते हैं? जिससे न्यायालय के फैसले के बावजूद वह श्री सुरेश कुमार को पुन: नियुक्ति दे सकें।  जिस तरह की जानकारियां हमें अलग-अलग क्षेत्रों से मिल रही हैं, उनके अनुसार मुख्यमंत्री पहली प्राथमिकता अपील करने को ही देंगे। वैसे यह कहा जा रहा है कि कुछ भी हो, मुख्यमंत्री कैप्टन अमेरन्द्र सिंह श्री सुरेश कुमार की सहायता सरकार चलाने में लेते रहेंगे, क्योंकि श्री सुरेश कुमार प्रशासनिक मामलों में उनके संकटमोचक ही नहीं थे, बल्कि उन्होंने उच्च स्तर पर चल रहे भ्रष्टाचार को रोकने की कोशिशें भी की थीं, और वह मुख्यमंत्री के इतने विश्वासपात्र हैं कि शायद ही मुख्यमंत्री किसी अन्य अधिकारी पर इतना विश्वास करते हों? उनकी योग्यता के भी कैप्टन अमरेन्द्र सिंह कायल बताये जाते हैं। मुख्यमंत्री के निकटतम क्षेत्रों के अनुसार उनके द्वारा तैयार केस के कारण ही बड़े वित्तीय असमंजस के बावजूद पंजाब सरकार बनने के कुछ दिनों में ही गेहूं की खरीद के लिए सीसी लिमिट लेने में सफल रही। किसानों को 8 घंटे बिजली की आपूर्ति र्निविघ्न और कई परिस्थितियों में यह दस घंटे की आपूर्ति के लिए भी श्री सुरेश कुमार के प्रयासों की बात की जा रही है। वह बहुत ईमानदार परन्तु सख्त अधिकारी माने जाते हैं।समझा जा सकता है कि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की सबसे पहली कोशिश तो कानूनी विशेषज्ञों की राय लेकर और कोई कानूनी रास्ता अपनाकर श्री सुरेश कुमार को पुन: इस पद पर बिठाने की होगी। परन्तु जानकार क्षेत्रों के अनुसार यदि यह महसूस हुआ कि कानूनी हालात इस बात की बिल्कुल अनुमति ही नहीं देते तो मुख्यमंत्री श्री सुरेश कुमार को अपना मुख्य सलाहकार लगाकर और कैबिनेट रैंक देकर उनकी सेवाएं लेने जैसा कोई रास्ता अपना लेंगे।अब बढ़ेगा दबाव विस्तार के लिएहालांकि गत 10 महीनों से पंजाब मंत्रिमंडल में विस्तार किसी न किसी बहाने लटकता आ रहा है, परन्तु अब कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह का इस्तीफा स्वीकार कर लिये जाने के बाद मुख्यमंत्री पर मंत्रिमंडल के विस्तार के लिए दबाव बढ़ना आवश्यक है। इस समय मंत्रिमंडल की नौ सीटें रिक्त हैं। अधिकतर मंत्रालय पहले ही मुख्यमंत्री के पास हैं। अब राणा गुरजीत सिंह वाले मंत्रालय भी उनके पास ही आ जायेंगे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री के मुख्य प्रमुख सचिव की नियुक्ति न्यायालय द्वारा रद्द किए जाने के कारण मुख्यमंत्री पर कार्य का दबाव भी बढ़ेगा। नि:संदेह नया मुख्य सचिव लगाना कोई मुश्किल कार्य नहीं, परन्तु जितना विश्वास और जितने अधिकार श्री सुरेश कुमार को दिए हुए थे, उतने अधिकार कैप्टन अमरेन्द्र सिंह शायद किसी अन्य अधिकारी को न दे सकें। नि:संदेह अब यह कहा जा रहा है कि पंजाब मंत्रिमंडल में विस्तार लुधियाना निगम चुनावों के बाद कर दिया जायेगा, परन्तु फिर भी कुछ क्षेत्र यह संदेह प्रकट कर रहे हैं कि यह विस्तार अभी भी बजट सत्र तक लटक सकता है।इस स्थिति में स्पष्ट है कि अब मंत्री बनने के इच्छुक विधायक मुख्यमंत्री पर मंत्रिमंडल में विस्तार का दबाव बनाने की कोशिश करेंगे। बताया जा रहा है कि सम्भावित मंत्री बनने के प्रमुख इच्छुक लोगों में से अधिकतर स्वयं मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के निकटतम ही हैं, जबकि कुछ एक सीधे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की नज़रों में स्वीकृत नेता भी हैं। इस तरह अब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह पर मंत्रिमंडल में विस्तार का दोहरा दबाव बनेगा। एक तो कार्य बढ़ने का आन्तरिक दबाव और दूसरा विधायकों द्वारा मंत्री बनने के लिए डाला जाने वाला दबाव। प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री अब किए जाने वाले मंत्रिमंडल के विस्तार में सिर्फ नये मंत्री ही शामिल नहीं करेंगे, अपितु वह मंत्रिमंडल में फेरबदल करके कुछ मौजूदा मंत्रियों के मंत्रालय भी बदल सकते हैं। यह भी बताया जा रहा है कि अब इस दबाव पर चलते हुए मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल में विस्तार तो करेंगे, परन्तु मंत्रियों की सारी रिक्त 9 सीटें नहीं भरी जायेंगी, अपितु 5 से 6 मंत्री ही नये बनाये जायेंगे। इस बीच सरगोशियां सुनाई दे रही हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी ने मंत्रिमंडल में विस्तार के सारे अधिकार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को दे दिये हैं, परन्तु यह अवश्य कहा है कि उन विधायकों को ही मंत्रिमंडल में शामिल किया जाये, जिनकी छवि साफ हो। मनजीत सिंह कलकत्ता की विदाई शिरोमणि कमेटी के मुख्य सचिव और पंजाब के मंत्री रहे अकाली नेता स. मनजीत सिंह कलकत्ता इस दुनिया से विदा हो गए हैं। वह एक पक्के पंथक विचारधारा वाले और विद्वान नेता थे। नि:संदेह उनके कार्यों के बारे में कई तरह के किन्तु-परन्तु भी होते रहे हैं, परन्तु उनकी सोच से कोई इन्कार नहीं कर सकता। हालांकि जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहरा तथा स. प्रकाश सिंह बादल के बीच समझौता करवाने में स. कलकत्ता की बहुत अहम् भूमिका थी। पार्टी में फूट पड़ने के समय उनके जत्थेदार टोहरा के साथ चले जाने को शायद स. कलकत्ता के अंतिम समय तक भी स. बादल माफ नहीं कर सके। खैर, स. मनजीत सिंह कलकत्ता के चले जाने से पंजाब और  सिख समुदाय एक तीखी और स्पष्ट बात कहने वाले और विद्वान राजनेता से वंचित हो गया है।

—1044, गुरुनानक स्ट्रीट, समराला रोड, खन्ना