शेयर छोड़े, कार्यालय छोड़ा : राणा गुरजीत 

चंडीगढ़, 19 जनवरी (सुरजीत सिंह सत्ती) : कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह और उनकी पत्नी राणा राजबंस कौर का बिजली उत्पादन कम्पनी राणा शूगर मिल में बड़ा हिस्सा होते हुए इस कम्पनी द्वारा पंजाब स्टेट कार्पोरेशन लिमिटड (पावरकाम) को 12 वर्ष तक बिजली बेचने के लिए किए करार का हवाला देते पावरकाम के कामकाज में राणा का हस्तक्षेप बंद करने की मांग को लेकर दाखिल लोकहित पटीशन पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस ए.के. मित्तल व जस्टिस अनूप इन्द्र सिंह ग्रेवाल की डिवीज़न बैंच ने शुक्रवार को समाप्त कर दिया है। इस पटीशन पर राणा गुरजीत सिंह को नोटिस जारी करके जवाब मांगा गया था व उन्होंने हल्फनामा दाखिल करके कहा कि उन्होंने राणा शुगर में से शेयर छोड़ दिए हैं व अब बिजली मंत्रालय से इस्तीफा भी दे दिया है, अब उनका विरोध पटीशन चलाने का कोई उद्देश्य शेष नहीं रह जाता। हाईकोर्ट ने यह जवाब रिकार्ड करते पटीशन का निपटारा कर दिया है। एडवोकेट एच.सी. अरोड़ा ने पटीशन दाखिल करके आरोप लगाया था कि राणा ने विद्युत मंत्री रहते अपनी कम्पनी को लाभ पहुंचाने के लिए उक्त करार किया। पटीशन में कहा है कि इस तरह वह एक बिजली उत्पादक कम्पनी के मालिक भी हैं तथा सम्बन्धित विभाग के मंत्री भी हैं, जिसके साथ हितों का टकराव हुआ है। हाईकोर्ट से मांग की थी कि राणा गुरजीत सिंह को पावरकाम द्वारा प्राइवेट बिजली उत्पादक कम्पनियों द्वारा बिजली खरीदने के लिए कीमत तय करने की कार्रवाई से और बठिण्डा, रोपड़ व राजपुरा में स्थित सरकारी बिजली ताप घर बंद करने के फैसले लेने से वंचित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि सरकारी ताप घर बंद करने से प्राईवेट बिजली उत्पादन कम्पनियों को लाभ होगा, क्योंकि पावरकाम इन कम्पनियों से बिजली खरीदेगी और निजी कम्पनियों में राणा गुरजीत सिंह की हिस्सेदारी वाली कम्पनियां भी हैं। अरोड़ा ने पटीशन में आर.टी.आई. द्वारा प्राप्त एक जानकारी का हवाला देते हुए हाईकोर्ट का ध्यान दिलाया था कि राणा शुगर मिल्ज़ ने पंजाब सरकार, पंजाब बिजली बोर्ड और पावरकॉम के विरुद्ध गत 10 वर्षों में तीन केस किए हुए हैं। उन्होंने कहा था कि इस तरह भी राणा गुरजीत के हिस्से वाली कम्पनियों का पंजाब सरकार व पावर काम के विरुद्ध केस चलना स्वयं विरोधी है।थर्मल प्लांट कर्मचारियों की मांग पर सुनवाई टली : राणा गुरजीत सिंह सम्बन्धी चल रही पटीशन के साथ ही एक अलग पटीशन की सुनवाई भी चल रही थी। एक अलग पटीशन दाखिल करके बठिण्डा और रोपड़ थर्मल प्लांट के कर्मचारियों ने थर्मल प्लांट बंद करने के फैसले को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने कर्मचारियों की पटीशन की सुनवाई राणा गुरजीत सिंह सम्बन्धी पटीशन के साथ सुनवाई हेतु जोड़ ली थी परन्तु शुक्रवार को राणा गुरजीत सिंह के मामले का निपटारा होने पर कर्मचारियों की पटीशन किसी अन्य बैंच के आगे सुनवाई हेतु चीफ जस्टिस को भेज दी गई है। कर्मचारियों ने पटीशन में कहा था कि बठिण्डा थर्मल प्लांट के नवीनीकरण के लिए गत कुछ वर्षों में 715 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे, जिसके साथ इसके चलने की क्षमता वर्ष 2029 तक बढ़ गई थी। कर्मचारियों ने कहा था कि सरकार प्लांट बंद करने की अपेक्षा उसे लीज़ पर दे दें व उनसे 4.50 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीदें, क्योंकि बिजली उत्पादन पर इतना ही खर्च आता है। यह भी कहा था कि ऐसा करने से एक तो थर्मल प्लांट बच जाएंगे व दूसरी तरफ निजी कम्पनियों के पास महंगी बिजली खरीदने से बचाव हो जाएगा।