जनोपयोगी बजट ही आम आदमी को राहत दे पायेगा !

केन्द्र सरकार फ रवरी माह में आम बजट लाने की तैयारी कर रही है। यह बजट इस सरकार के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण रहेगा। इस वर्ष देश के अधिकांश भाग में विधानसभा चुनाव हैं और उनमें से ज्यादा में भाजपा की सरकार क्रियाशील है। आगामी वर्ष में लोकसभा के चुनाव भी होने हैं । गुजरात चुनाव उपरान्त देश का हर चुनाव केन्द्र की भाजपा शासित सरकार के लिये चुनौती बना हुआ है। केन्द्र की नई आर्थिक नीति के तहत जारी बैंक नीति एवं जीएसटी का प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के ज्यादा आसार बनते दिखाई दे रहे हैं, जिसके लिये केन्द्र सरकार आंतरिक मन से ज्यादा चिंतित नज़र आ रही है। बजट में इस गम्भीर मुद््दे को लेकर चर्चा हो सकती है।  एक तरह से यह चुनावी बजट भी हो सकता है जहां सरकार आम आदमी को विशेष राहत देने की भरपूर कोशिश करेगी पर बजट में आम आदमी को कितनी राहत वर्तमान सरकार दे पायेगी, बजट उपरान्त ही पता चल पायेगा । देश की सबसे ज्वलंत समस्या रोज़गार की है, जहां रोज़गार देने के संसाधन उद्योग एवं व्यापार दोनों धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। व्यापार एवं बाजार पर विदेशी प्रभाव बढ़ता जा रहा है तथा अधिकांश रोज़गार देने वाले बड़े -बड़े उद्योग बंद होते जा रहे हैं। देश के उद्योगपति उदासीन नज़र आ रहे हैं, जो नये उद्योग यहां लगाने के मूड में दिखाई नहीं दे रहे हैं। जो उद्योग संचालित हैं, उनमें भी दिन-प्रतिदिन गिरावट आती जा रही है, जिससे छंटनी का माहौल बना हुआ है। देश में नये उद्योग आ नहीं रहे हैं, जो चल रहे हैं वहां नई भर्तियां हो नहीं रही हैं। इस तरह के हालात में बेरोज़गारी का बढ़ना स्वाभाविक है। जबकि नये-नये खुले शिक्षा केन्द्र से हर क्षेत्र में प्रति वर्ष बहुतायत युवा पीढ़ी रोज़गार के लिये तैयार हो रही है, जिनके आगे रोज़गार पाने की गम्भीर समस्या बनी हुई है। जिनकी जेबें तो खाली हैं पर रोज़गार के लिये आवेदन शुल्क से लेकर साक्षात्कार तक लूट ही लूट है। इस तरह के मसले पर युवा पीढ़ी को रोज़गार देने एवं रोज़गार पाने के मार्ग में आने वाले आर्थिक व्यवधान दूर करने की दिशा में बजट में सरकार क्या प्रावधान लाती है , विचारणीय पहलू है। इसी तरह अप्रत्यक्ष रोज़गार देने के क्षेत्र में आने वाले व्यापार एवं बाजार जगत को पनपने तथा विदेशी प्रभाव से मुक्त कराने की दिशा में  सरकार बजट में क्या प्रावधान लाती है ? बजट में बड़े उद्योंगों को फि र से बचाने एवं नये उद्योग लगाने के लिये देश के उद्योगपतियों को प्रोत्साहित करने के प्रयास का प्रावधान होना चाहिए जिससे अधिक से अधिक लोगों को रोज़गार मिल सके।
आज भारतीय बाजार की हालत नाजुक दौर से गुजर रही है। वहां मुनाफ ाखोरों का साम्राज्य कई वर्षों से संचालित है, जिसकी वजह से किसानों को आज तक अपनी फ सल की सही कीमत नहीं मिल पाई है और देश का अन्नदाता किसान आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। वह हमेशा कर्ज में डूबा रहता है, जिसकी वजह से किसानों की आत्महत्या के कई प्रसंग उभर कर सामने आये हैं। इस वर्ग को इस समस्या से निजात दिलाने के लिये सरकार बजट में क्या प्रावधान लाती है, जिससे किसानों को अपनी फ सल का वास्तविक लागत मूल्य से ज्यादा मूल्य मिल सके जिससे किसी किसान को आर्थिक तंगी के कारण फि र से आत्महत्या की नौबत नहीं आये । आज देश में विदेशी सामानों की भरमार है। उसकी वजह से भारतीय खजाने से विदेशी मुद्रा विदेश  जा रही है। बाजार की इस खुली नीति के तहत प्रतिस्पर्द्धा की इस दौड़ में अपने आप को भारतीय बाज़ार में खड़ा करना समय की मांग है। इसके लिये देश में लघु उद्योग को बढ़ावा देना ज़रूरी हो गया है। चीन की तरह जब भारत में भी घर-घर लघु उद्योग की स्थापना होगी एवं बाजार में विदेशी सामान के मुकाबले सस्ते एवं गुणवत्ता वाले सामान उपलब्ध होंगे, तभी हमारा बाज़ार बेहतर परिणाम दे पायेगा। इस दिशा में बजट में प्रावधान होना चाहिए जिससे देश में लघु उद्योग का सपना साकार हो सके। इस दिशा में लघु उद्योग की स्थापना में बढ़़ते कदम के आगे आने वाली तमाम जटिलताओं को दूर करने का प्रावधान बजट में होना चाहिए । बजट पर आम वर्ग के साथ-साथ नौकरी पेशा से जुड़े लोगों की नज़र भी टिकी रहती है, जो बजट में आयकर छूट दिये जाने पर विशेष ध्यान रखते हैं।  तमाम टैक्स के बदले सरकार ने एक टैक्स जीएसटी लाने का प्रयास किया पर इसकी जटिलताएं आम आदमी के सामने और समस्या पैदा कर रही हैं, जिससे बाजार में सामान आम उपभोक्ता को पहले से महंगा मिलने लगा। आखिर ऐसा क्यों हुआ ? बजट के दौरान इस पर चर्चा किया जाना ज़रूरी है। आज बाजार सभी के लिये एक है पर वेतन पाने वालों में विभिन्नताएं हैं। बाजार पर नियंत्रण होना चाहिए जिससे आम आदमी को राहत मिल सके । आम बजट में रेल बजट भी जुड़ा हुआ है जहां आम आदमी आज की रेल व्यवस्था से ज्यादा दु:खी नज़र आ रहा है। ट्रेन की संख्या तो दिन पर दिन-बढ़ती जा रही है पर पटरी का विकास उसके अनुरूप नहीं हो पाया है, जिसके कारण आज ट्रेन सबसे ज्यादा आपस में टकराती एवं देर से पहुंचने के मुकाम पर पहुंच चुकी हैं। सरकार बुलेट ट्रेन लाने की बात तो कर रही है पर पहले भारतीय रेल को सही हालत में संभालना एवं संवारना ज़रूरी है, जिसके लिये बजट में विशेष प्रावधान होना चाहिए।जनोपयोगी बजट ही आम आदमी को राहत दे पायेगा। बजट में फि लहाल आम आदमी को टैक्स की जटिलताओं से मुक्ति, बाज़ार में महंगाई से राहत एवं युवा वर्ग को रोज़गार देने का प्रावधान होना चाहिए। (संवाद)