मां सरस्वती की पूजा का पर्व बसंत पंचमी’ 

माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी ‘बसंत पंचमी’ के रूप में देशभर में ध्ूमधाम से मनाई जाती रही है। मान्यता है कि इस दिन शरद ऋतु की विदाई होती है और समस्त प्राणीजगत में नवजीवन एवं नवचेतना का संचार है। वातावरण में चारों ओर मादकता का संचार होने लगता है तथा प्रकृति के सौन्दर्य में निखार आने लगता है। शरद ऋतु में वृक्षों के पुराने पत्ते सूखकर झड़ जाते हैं लेकिन बसन्त की शुरुआत के साथ ही पेड़-पौधों पर नई कोंपले फूटने लगती हैं। आमों में बौर आ जाते हैं। चारों ओर रंग-बिरंगे फूल खिल जाते हैं और सुगंध से धरती का वातावरण  महकने लगता है। खेतों में गेहूं की सुनहरी बालियां, स्वर्ण जैसे दमकते सरसों के पीले फूलों से भरे खेत, पेड़ों की डालियों पर फुदकती कोयल की कुहू-कुहू, फूलों पर भंवरों का गुंजन और रंग-बिरंगी तितलियों की भाग-दौड़, वृक्षों की हरियाली सब वातावरण में मादकता का ऐसा संचार करते हैं कि उदास से उदास मन भी प्रफुल्लित हो उठता है। बसंत पंचमी के ही दिन होली का उत्सव भी आरंभ हो जाता है। इस दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है। बसंत पंचमी का महत्त्व कुछ अन्य कारणों से भी है। साहित्य और संगीत प्रेमियों के लिए बसंत पंचमी का विशेष महत्त्व है क्योंकि यह ज्ञान और वाणी की देवी सरस्वती की पूजा का पवित्र पर्व माना गया है। बच्चों को इसी दिन से बोलना या लिखना सिखाना शुभ माना गया है। संगीतकार इस दिन अपने वाद्य यंत्रों की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती अपने हाथों में वीणा, पुस्तक व माला लिए अवतरित हुई थीं। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में इस दिन लोग विद्या, बुद्धि और वाणी की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की पूजा-अराधना करके अपने जीवन से अज्ञानता के अंधकार को दूर करने की कामना करते हैं। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने बसंत पंचमी के दिन ही प्रथम बार देवी सरस्वती की अराधना की थी और कहा था कि अब से प्रतिवर्ष बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा होगी और इस दिन को मां सरस्वती के अराधना पर्व के रूप में मनाया जाएगा। बसंत पंचमी को गंगा का अवतरण दिवस भी माना जाता है। माना जाता है कि इसी दिन गंगा मैया प्रजापति ब्रह्मा के कमंडल से निकलकर भागीरथ के पुरखों को मोक्ष प्रदान करने हेतु और समूची धरती को शस्य श्यामला बनाने के लिए अवतरित हुई थीं। इसलिए धार्मिक दृष्टि से बसंत पंचमी के दिन गंगा स्नान का बहुत महत्त्व माना गया है। बसंत पंचमी को ‘पंचमी’ भी कहा गया है। कहा जाता है कि बसंत पंचमी के दिन का स्वास्थ्य वर्ष भर के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। अत: इस पर्व को स्वास्थ्यवर्द्धक एवं पापनाशक भी माना गया है।
— योगेश कुमार गोयल