टेक्नोलॉजी में नया बदलाव ग्रीन कम्प्यूटरिंग

ग्रीन कम्प्यूटरिंग जिसे कि ग्रीन टेक्नोलॉजी भी कहा जाता है, कम्प्यूटर और संबंधित संसाधनों का पर्यावरण की दृष्टि से जिम्मेदार उपयोग है। सभी प्रकार के हार्डवेयर में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिए 1992 में पर्यावरण संरक्षण एजेंसी द्वारा इसकी शुरुआत की गई थी। ऊर्जा सितारा लेवल विशेष रूप से नोटबुक कम्प्यूटर में प्रयोग किया गया। यूरोप और एशिया में भी इसी तरह के कार्यक्रमों को अपनाया गया है। इससे कम्प्यूटर उपयोगकर्ताओं और व्यवसायियों की काम करने की आदतों को बदला जा सकता है ताकि पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को रोका जा सके। कुछ उचित कदम उठाए जा सकते हैं :-
 * निष्क्रियता की विस्तारित अवधि के दौरान सीपीयू और सभी पेरीफील्स को बंद करना।
* कम्प्यूटर से संबंधित कार्य लगातार बिना किसी रुकावट के करें ताकि बाकी समय हार्डवेयर को बंद रखा जा सके।
* लेज़र प्रिंटर जैसी अधिक ऊर्जा लेने वाली पेरीफील्स को ज़रूरत के हिसाब से बंद या चालू किया जाए।
* सीआरटी मोनीटर की जगह एल.सी.डी. का प्रयोग करें।
* डेस्कटोप कम्प्यूटर के स्थान पर नोटबुक कम्प्यूटर का प्रयोग करें।
* हार्ड ड्राईव की शक्ति प्रबंधन सुविधा का प्रयोग करें।
* कागज़ के प्रयोग को कम करें और बेकार कागज़ों को रीसाइकल करें।
* संघीय, राज्य और स्थानीय नियमों के अनुसार ई-कचरे का निपटारा करें।
* कम्प्यूटिंग कार्य स्थानों, सर्वर, नेटवर्क और डेटा केन्द्रों के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का प्रयोग करें।
ब्रिटेन में 2020 तक कार्बन उत्सर्जन को 1.2 टन कम करने के लिए कार्बन रिडक्शन कमिटमैंट (सी.आर.सी.) तैयार की गई है। ग्रीन प्रौद्योगिकी के अनिवार्य इस्तेमाल के कारण 2050 तक ब्रिटेन में कार्बन उत्सर्जन 80 प्रतिशत कम हो जाएगा। सी.आर.सी. में परिवहन ईंधन को छोड़कर बाकी ऊर्जा के सभी रूप शामिल हैं।
— आशु गुप्ता