बजट से आशाएं

केन्द्र की भाजपा सरकार के पांचवें और अंतिम बजट में देश के बड़े वर्ग में बढ़िया प्रभाव पैदा किया है और उनके मनों में अच्छी उम्मीदें पैदा की हैं। बजट में इसके लिए हर पक्ष से ध्यान रखना पड़ता है कि किस स्तर पर नागरिक जीवन व्यतीत कर रहा है और वह इसके प्रभाव को अपनी जीवन धारा को मुख्य रखकर कैसे कबूल करता है। इसलिए पेश किया गया कोई भी वार्षिक बजट सभी को खुश और संतुष्ट नहीं कर सकता। नि:संदेह कुछ पक्षों से यह बजट सरकार के लिए बहुत कड़ी परीक्षा में से निकलने वाला कहा जा सकता है, क्योंकि इसी वर्ष कुछ बड़े राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं और अगले वर्ष लोकसभा के चुनाव भी निश्चित हैं। इस बजट का इसलिए भी बेसब्री से इन्तज़ार किया जा रहा था, क्योंकि गत समय के दौरान केन्द्र सरकार द्वारा आर्थिक क्षेत्र में दो बहुत बड़े फैसले लिए गए थे। पहला नोटबंदी का ऐलान करना और बाद में देश की समूची कर-प्रणाली को बदल देना सरकार द्वारा उठाये गए बड़े कदम थे। इनके सफल या असफल रहने के बारे में अब तक भी किसी न किसी रूप में चर्चा चलती रहती है। चाहे बजट के अपने भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेतली ने नोटबंदी की प्रक्रिया को सफल बताते हुए यह कहा है कि इससे काले धन को लगाम लगी है, परन्तु वित्त मंत्री के इस दावे में अधिक सच्चाई नहीं प्रतीत होती, क्योंकि इससे एक बार तो समूचे कारोबार पर बड़ा असर पड़ा था। देश की आर्थिकता डगमगा गई थी, जिसके भूकम्प जैसे प्रभाव का किसी न किसी रूप में अब तक असर देखा जा सकता है। इससे कितना लाभ हुआ, इसके बारे में तो विश्वास से कोई नहीं कह सकता परन्तु हुए नुक्सान की चर्चा आज भी आम है। दूसरे बड़े कदम कर-प्रणाली को बदलने से भी बड़ी थर-थर्राहट पैदा हुई थी, परन्तु यह जहां थम गई प्रतीत होती है, वहीं यह भी उम्मीद की जाने लगी है कि इससे भारत की आर्थिकता मज़बूत होगी और इसको प्रोत्साहन मिलेगा। इसीलिए ही वित्त मंत्री ने आगामी वर्ष में आर्थिक विकास दर 7.5 प्रतिशत के निकट होने का अनुमान लगाया है। जहां तक वित्त मंत्री की घोषणाओं का संबंध है, उसमें सबसे बड़ी बात कृषि के क्षेत्र को हर पक्ष से उत्साहित करने के लिए बड़ी घोषणाएं अवश्य की गई हैं, जिनसे यह निश्चित है कि यह क्षेत्र आने वाले समय में सरकार की प्राथमिकता होगा। देश के अधिकतर किसान संगठनों द्वारा ऋण माफी की बात की जाती रही थी, जिसके बारे में इस बजट में किसी भी तरह की घोषणा नहीं की गई। परन्तु इस क्षेत्र को प्राथमिक रूप में मज़बूत करने के लिए और हर पक्ष से इसके विकास के लिए 14 लाख 34 हज़ार करोड़ रुपए रखने की घोषणा ने इस पक्ष से एक बड़ी उम्मीद अवश्य पैदा की है। कृषि मार्किट फंड के लिए 2,000 करोड़ रुपए रखना कृषि आधारित उद्योग की पिछली राशि को बढ़ाकर दुगुनी करना अर्थात् इस वर्ष के लिए 1400 करोड़ रुपए की राशि का ऐलान किया गया है। कृषि निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए देश में 42 फूड पार्क बनाना और किसानों को मत्स्य पालन और पशुपालन के लिए 10 हज़ार करोड़ रुपए आरक्षित रखना और इस क्षेत्र में किसानों को क्रैडिट कार्ड की सुविधा देना, नि:संदेह ऐसे कार्य हैं, जिन पर सही अमल करके इस क्षेत्र का नक्शा ही बदल सकता है। वित्त मंत्री ने यह भी ऐलान किया है कि आने वाले समय में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के बाद किसानों को उस पर 50 प्रतिशत मुनाफा दिया जाएगा। वित्त मंत्री ने इस बजट में देश को दरपेश चार बड़े मामलों पर अधिक जोर दिया है और उनके लिए बड़ी धन-राशि आरक्षित की है। इनमें कृषि के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने की बात की गई है। जेतली का यह भी दावा है कि इस समूची सक्रियता में रोज़गार के अधिक से अधिक साधन पैदा होंगे। स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े कदमों का ऐलान करते हुए गरीब वर्ग के लिए स्वास्थ्य संभाल हेतु बीमा योजना में हर वर्ष एक परिवार के लिए 5 लाख रुपए की राशि आरक्षित रखी गई है और 10 करोड़ गरीब परिवारों को इस योजना में शामिल किया जाएगा, जिसका मतलब यह है कि इस योजना से 50 करोड़ लोगों को लाभ पहुंचेगा। वित्त मंत्री ने इसको दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना करार दिया है, जिसके अधीन नऐ स्वास्थ्य केन्द्र बनाना और अनेक अन्य योजनाओं को अंजाम देना शामिल होगा। इसी तरह शिक्षा के क्षेत्र को प्राथमिक आधार पर आगे बढ़ाया जाएगा और नई योजनाएं लागू की जाएंगी। सड़कों के अलावा अन्य बुनियादी ढांचे के लिए भी बड़ी धन-राशि रखी गई है। इस बार वार्षिक बजट में रेल बजट को भी शामिल किया गया है, जिसके लिए 1.48 लाख करोड़ की धन-राशि रखी गई है। वित्त मंत्री ने यह भी ऐलान किया है कि आगामी दो वर्षों में देश में से मानव-रहित फाटक खत्म कर दिए जाएंगे। गत लम्बे समय से सरकारी संस्थानों में निवेश कम किया जा रहा है। इस वर्ष भी सरकारी कम्पनियों के 80,000 करोड़ के शेयर बेचने की व्यवस्था की गई है। चाहे पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें ऐलान के बावजूद सस्ते होने की सम्भावना नहीं है, तथा अन्य विद्युत् यंत्रों की कीमतों के बढ़ने की सम्भावना भी बन गई है। परन्तु यदि कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे का विकास किया जाता है और इससे रोज़गार बढ़ता है तो यह भी सरकार की उपलब्धियों में शामिल हो सकता है। इसके साथ-साथ सरकार को इस बात के प्रति पूरी तरह सचेत होने की ज़रूरत होगी कि आम व्यक्ति के इस्तेमाल की वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि न हो, क्योंकि लगातार बढ़ती महंगाई और भ्रष्टाचार ने आम नागरिक के जीवन को दूभर किया हुआ है। इनको नियंत्रण में रखकर ही सरकार अपनी उपलब्धियों को ठोस रूप दे सकती है।

बरजिन्दर सिंह हमदर्द