फूल-पौधे और समय की पाबंदी

प्रकृति का एक अपना नियम है कि हर चीज के लिए कोई न कोई समय निश्चित किया गया है, जिसके अनुसार सारा सृष्टि चक्कर प्रकृति के नियम अनुसार ही चलता है और हर चीज उस नियम के अनुरूप ही फलती-फूलती है या फिर अपनी समय अवधि खत्म करने के बाद मिट जाती है। संसार में ऐसी कई चीजें हैं, जो तत्काल देखने में बहुत अच्छी लगती हैं, लेकिन दूसरे पल ही उनकी वह स्थिति कुछ बदली-बदली से प्रतीत होती है। ऐसे हमारे सामने कई उदाहरण हैं। हम यहां बात कर रहे हैं फूल-पौधों और समय की पाबंदी की। 
* कमल का फूल सूर्योदय के साथ खिलता है और शाम होते होते मुर्झा सा जाता है, मानो वह पुन: बंद हो गया हो।
* सूरजमुखी के फूल का मुंह प्रात:काल चढ़ते सूर्य की ओर होता है, दोपहर में ऊपर की ओर तथा शाम को पश्चिम की ओर होता है। यह अपने आप में आश्चर्य की बात है।
* अफ्रीका के ‘आइवरी कोस्ट’ के जंगलों में एक ऐसा पौधा पाया जाता है, जिसके पत्ते दिन में फैलते हैं और रात को अपने आप सिकुड़ जाते हैं। जबकि रात को बंद पत्तों वाला यह पौधा एक फुटबॉल की तरह दिखाई देता है।
* अमरीका में एक ऐसा पौधा भी पाया जाता है, जो हिलने पर मनुष्य के हंसने के समान आवाज करता है।
* भारत में छुई-मुई का पौधा भी एक आश्चर्यजनक फूल है, जिसे रात में छूते ही इसकी पत्तियां सिमट जाती हैं। हाथ दूर करते ही इसकी पत्तियां पुन: खुल जाती हैं। ये पत्तियां देखने में इमली की पत्तियों जैसी लगती हैं।
* एक ही समय में अलग-अलग जाति व प्रकार के 14 फूल देने वाला पौधा भी कितना आश्चर्यजनक लगता होगा। इन फूलों के रंग, आकार और प्रकार भी भिन्न-भिन्न होते हैं।
—कमलजीत सिंह
गांव भरमाड़ा, डाकघर कुठेहड़,
तह: ज्वाली, जिला कांगड़ा (हि.प्र.)