विदेश की धरती का बढ़ता आकर्षण

ट्रैवल एजेंटों द्वारा छल-कपट और धोखे से जाली वीज़ा लगाकर लोगों को बाहर भेजे जाने के नाम पर की जाती जालसाज़ियों के बीच हाल ही में एक एजेंट द्वारा इस धंधे की आड़ में अपहरण करने, फिरौती मांगने और फिरौती न देने वाले अपने एक ग्राहक की देश में ही हत्या कर दिये जाने की घटना ने जैसे सनसनी पैदा कर दी है। इस एजेंट के इस कृत्य का पर्दाफाश होने पर पता चला कि यह एक पूरा गिरोह देश के उत्तरी और दक्षिणी भाग में मौजूद है। यह गिरोह कब से सक्रिय है और इस कांटेदार कैक्टस की जड़ें कितनी गहरी हैं, यह तो अभी जांच के बाद ही पता चलेगा, परन्तु फिरौती देकर छूटे दो युवकों द्वारा आप-बीती सुनाने से इस सम्पूर्ण घोटाले का रहस्योद्घाटन हुआ। इस ट्रैवल एजेंट गिरोह की दूसरी शाखा कर्नाटक के बंगलुरू में है, जहां इस प्रकार अपहृत किये गये लोगों को बंधक बनाकर रखा जाता, और यहीं पर इन लोगों ने निजी टॉर्चर केन्द्र भी बना रखा था। सम्पन्न रोज़गार हासिल करने, धन अर्जित करने अथवा उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने का चाव सिलसिला एक सौ से अधिक वर्षों से जारी है। स्वतंत्रता से पहले के लोगों में भी विदेश की धरती पर जा बसने की रुचि रही है। हालांकि तब ऐसे लोगों के मन-मस्तिष्क पर राष्ट्रीयता और प्रतिबद्धता की भावना भारी रहती थी, परन्तु धीरे-धीरे इस क्रिया के व्यवसायिक रूप धारण कर लेने के बाद इसमें छल-कपट और झूठ के पहाड़ खड़े करने की वृत्ति पनपती चली गई। इस कारण एक ओर जहां ठग और लुटेरे किस्म के ट्रैवल एजेंटों की संख्या बढ़ती गई, वहीं ठगे जाने वाले लोगों की तादाद भी उसी अनुपात से बढ़ी। इस कारण जहां झूठी घोषणाओं, झूठे वायदों और जाली वीज़ा बनाने की घटनाएं बढ़ती गईं, वहीं लोगों को उनके लक्ष्य तक न पहुंचा कर उन्हें अज्ञात सीमाओं, जंगलों के बीच छोड़ देने, समुद्रों में डुबो कर मार देने अथवा दूसरे देशों की जेलों में पहुंचा देने की घटनाएं भी बड़ी तेज़ी से बढ़ीं। दशकों पहले मालटा में कश्ती डूबने से सैकड़ों लोगों के जल-समाधि देने की घटना अभी तक लोगों के ज़ेहन से नहीं मिटी थी, कि अभी इसी वर्ष 2 फरवरी को लीबिया के तट पर अवैध रूप से एक बड़ी नाव द्वारा इटली और यूरोप में दाखिल होने जा रहे 90 लोगों के समुद्र में डूब मरने की घटना ने भी रौंगटे खड़े किये थे। इस सीमा रेखा पर पिछले पांच वर्षों में 16000 लोग इस प्रकार समुद्र में डूब कर मारे जा चुके हैं, परन्तु आश्चर्य की बात है कि इस सिलसिले पर रोक लगने का कोई संकेत निकट भविष्य में दिखाई नहीं देता है। महिलाओं में विदेश जाने के आकर्षण ने तो और भी अधिक कहर बरपा किया है। अभी पिछले एक-दो वर्षों से अरब देशों में रोज़गार के लिए गई महिलाओं को वहां के धनी शेखों द्वारा उन्हें बंधक बनाकर उनका शारीरिक और मानसिक शोषण किये जाने की घटनाओं में एकाएक बड़ा इज़ाफा हुआ है। यहां तक कि कई मामलों में देश के विदेश मंत्रालय एवं विदेश मंत्री को भी हस्तक्षेप करना पड़ा। देश की कई युवा लड़कियों को केन्या के मुजरा घरों में कैद करने और उनसे जब्री मुजरा कराये जाने की घटना का पर्दाफाश भी इसी वर्ष जनवरी में हुआ। इन युवतियों में तीन पंजाब की भी हैं। अरब देशों में बंधक बनी महिलाओं में भी अनेक पंजाब की हैं। विदेशों में बेटी ब्याहने अथवा विदेशों में बसे युवक-युवतियों के साथ रिश्ता जोड़ने की अनेक घटनाओं के पीड़ादायक किस्से यदा-कदा सुनने को मिलते रहते हैं। ऐसी घटनाओं के बीच हत्या करने अथवा सुपारी देकर हत्या कराने की घटनाएं भी होती रहती हैं।
हम समझते हैं कि यह सम्पूर्ण मामला काफी घृणित कगार पर पहुंच चुका है। इस समुद्र में अब एक या दो गंदी मछलियां नहीं हैं, अपितु इतना विशाल आकार ले चुके गंदले समुद्र में से एकाध अच्छी मछली ढूंढने के लिए जाने कितने और गहरे गोते लगाने पड़ जाएं। तथापि, आश्चर्य इस बात का है कि शिकारियों द्वारा बिछाये गए एकाधिक जालों को दीदा-दानिश्ता देखने के बावजूद विदेश जाने को लालायित लोग इनमें जा फंसते हैं। इनमें से कई लुट-पिट कर विदेशों की जेलों में जा पहुंचते हैं, कई जंगलों में भूखे-प्यासे भटकने को विवश होते हैं, और कई डूब कर मर जाने अथवा बंधक बना कर मार दिये जाने की नियति को जा पहुंचते हैं। टांडा के युवक को बंगलुरू में बंधक बना कर मार दिये गये युवक वाली घटना इस त्रासद कथा का ही एक हिस्सा है। इस प्रकार यह धंधा आज आम लोगों के लिए तो मृत्यु के साथ साक्षात मुठभेड़ करने जैसा हो गया है। इसके बावजूद लोगों में विदेश जाने का आकर्षण बढ़ता जा रहा है, और इसी कारण बढ़ते जा रहे हैं जाली/नकली एजेंटों के अड्डे, जहां पर आम लोगों को लूटने की नई-नई तरकीबें बनती-जुड़ती रहती हैं। हम समझते हैं कि इस प्रकार की घटनाओं अथवा इस गंदे धंधे को रोकने के लिए जहां सरकार को ऐसे एजेंटों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करनी होगी, कड़े कानून लागू करने होंगे, वहीं विदेश जाने के इच्छुक लोगों को भी अपनी आकांक्षाओं पर अंकुश लगाना होगा। आश्चर्य होता है यह देख कर कि अपने घर में जो युवक घर में काम करने के नाम पर तिनका भी दोहरा नहीं करते, वे विदेश में जाकर सड़कों पर झाड़ू देने अथवा बर्फ छीलने तक का भी काम करते हैं। ऐसे युवाओं के मन में राष्ट्रीयता और निजी प्रतिष्ठा की भावना पैदा किये जाने की ज़रूरत है। इस प्रकार दोतरफा पग उठाकर ही इस समस्या पर अंकुश लगाया जा सकता है। इस हेतु युवाओं के अभिभावकों को भी अपनी ज़िम्मेदारी का पूरी दृढ़ता के साथ निर्वहन करना होगा।