समय के साथ अपनी सोच बदलें

सफलता और असफलता में फर्क सिर्फ हमारी सोच का ही है। आप अपनी ज़िंदगी में कितनी रफ्तार से जा रहे हैं, यह ज़रूरी नहीं है बल्कि इससे भी ज्यादा ज़रूरी है आप किस दिशा की ओर जा रहे हैं। यह ठीक है कि आज समाज में हर औरत ने अपनी सफलता की कहानी खुद रचनी शुरू कर दी है। उसने अन्य लोगों के सहारे चलने की बजाय अपने पैरों पर चलना शुरू कर दिया है, लेकिन बहुत कुछ अभी किया जाना बाकी है। एक औरत के लिए समय के सच को समझना ज़रूरी है, उसको अपनी सोच को समय के समकक्ष बनाना चाहिए। अगर हमारी सोच के बर्तन में नकारात्मक विचार होंगे तो समझ जाओ कि हम अपनी ज़िंदगी की सफलता में उल्ट दिशा की ओर चल रहे हैं। अपनी सोच में आप अच्छे विचारों के बीज बोयें। समय पाकर आपको इसका फल ज़रूर मिलेगा। स्वयं सुखी होने के चक्कर में दूसरों को दु:ख पहुंचाओगे तो आप के सुख की उम्र लम्बी नहीं होगी। सफलता बड़ी नहीं होती, लेकिन सफलता प्राप्त करने वाले लोग सचमुच बड़े होते हैं। अपनी किसी कमी को पूरा करने का यत्न न करना ही हमारी सबसे बड़ी कमी है। हिम्मत बनाती है सोच निभाती है। अच्छे समय में अच्छे काम करोगे तो लोग कभी भी बुरे वक्त में आपका साथ नहीं छोड़ेंगे।
हमारे घर बदल जाते हैं, हमारा पहरावा बदल जाता है, दोस्त और रिश्तेदार बदल जाते हैं लेकिन फिर भी व्यक्ति परेशान रहता है, जिसका कारण यह है कि वह समय के साथ अपनी सोच नहीं बदलता। समाज में औरत की परेशानी का सबसे बड़ा कारण ही यही है कि समय के समकक्ष होकर चलना नहीं सीखी। खुशी सफलता से बड़ी होती है, लेकिन यह मिलती उन्हीं को है, जो दूसरों की खुशी को बढ़ाने में योगदान डालते हैं। दूसरों का सम्मान करने वाले ही स्वयं भी सम्मान पाते हैं। धोखा बहुत ही महंगा और भरोसा बहुत ही कीमती होता है। किसी से बेकार में बहस करना कीचड़ में पत्थर फैंकने जैसा है। आपकी सोच में ही आपकी ज़िंदगी की सच्ची मुस्कान है। रूढ़ीवादी विचार हमारी चिंता का कारण बनते हैं। क्योंकि यह विचार हमें चिंतन करने से रोकते हैं। जो दूसरों के लिए रुकावट बनते हैं, वह कभी नहीं आगे जा सकते और जो आगे बढ़ते हैं, वह किसी के लिए भी रुकावट नहीं बनते। ज़िंदगी जीना, हारना, जीतना और प्यार करना सब सरल है, सादा है लेकिन सरल होना बहुत मुश्किल है। सकारात्मक सोच में ही सादगी होती है। अवसर यत्न करने से पैदा होते हैं। समय और अवसर किसी का इंतज़ार नहीं करते। विचार के आधार पर हमारी बेटियों का आत्मनिर्भर होना ज़रूरी है। माता-पिता के द्वारा उनके हर फैसले को शक की नज़रों से देखना ठीक नहीं है। पिछले समय के कई सच वर्तमान समय में बहुत अधिक महत्व नहीं रखते हैं।
अगर खुशी चाहते हैं तो कुछ स्वीकार करना और सहन करना भी सीखें। ज्यादा लोगों से रास्ता पूछोगे तो कभी भी मंज़िल तक नहीं पहुंच सकते। अगर आपको अपनी असली कीमत का ज्ञान नहीं होता तो आप धोखे से नहीं बच सकते। आप अपनी गलतियों से सबक सीखें। खुशी कभी इतनी महंगी नहीं होती जितनी हम लोग खुद उसे महंगा बना देते हैं। आग का युग वैज्ञानिक युग है। अपनी आयु भोग चुके रूढ़िवादी विचारों का त्याग करें और ज़िंदगी की नई चुनौतियों को समझने का प्रयास करें। ऐसा तभी हो सकता है अगर आपकी सोच सकारात्मक होगी। समय के अनुसार विचारधारा को बदलें। बुरी आदतें आरम्भ में अच्छी लगती हैं लेकिन यह बाकी सारी ज़िंदगी को कठिन कर देती हैं।
—अमरजीत बराड़