अब पंजाब मंत्रिमंडल में विस्तार होना तय

जानकार क्षेत्रों के अनुसार पंजाब मंत्रिमंडल में विस्तार होना अब लगभग तय हो गया है। क्योंकि एक तरफ तो कांग्रेस हाईकमान इस विस्तार के लिए दबाव बना रही बताई जाती है और दूसरा स्वयं कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के लिए भी अकेले 42 विभाग संभालने कोई आसान कार्य नहीं है। 
प्राप्त जानकारी के अनुसार कैप्टन अमरेन्द्र सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी की मुलाकात बहुत ही सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई, जिसमें पंजाब मंत्रिमंडल में विस्तार को हरी झण्डी दे दी गई। पता चला है कि मंत्रिमंडल में विस्तार के सारे अधिकार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को दे दिए गए हैं, परन्तु चर्चा है कि श्री राहुल गांधी ने कुछ नामों पर विचार करने के लिए मुख्यमंत्री को अवश्य कहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अब मंत्रिमंडल के रिक्त 9 स्थानों में से 6 या 7 स्थान ही भरे जायेंगे और कुछ मौजूदा मंत्रियों के मंत्रालय भी बदले जा सकते हैं। यह भी पता चला है कि मंत्रिमंडल के विस्तार के समय चाहे माझा, दोआबा और मालवा के बीच संतुलन बनाने की कोशिश भी की जायेगी और जाति समुदाय का ध्यान भी रखा जायेगा परन्तु फिर भी मंत्री बनाने के समय विधायक की साफ छवि और और उसकी कार्य करने की क्षमता को भी ध्यान में रखा जायेगा। इस समय लगभग 18 विधायकों के नाम चर्चा में हैं, जो मंत्री बनने की दौड़ में शामिल बताये जाते हैं। इनमें से प्रमुख नाम श्री राजकुमार वेरका, श्री ओ.पी. सोनी, राणा गुरमीत सिंह सोढी, विजयइन्द्र सिंगला, परगट सिंह, कुलजीत सिंह नागरा, संगत सिंह गिलजिया और अमरेन्द्र सिंह राजा बड़िंग के हैं, जबकि राकेश पाण्डे, भारत भूषण आशु, अमरीक सिंह ढिल्लों, रणदीप सिंह नाभा, सुखविन्द्र सिंह सुख सरकारिया, सुखजिन्द्र सिंह रंधावा, बलवीर सिंह सिद्धू, रजनीश कुमार बब्बी, सुरिन्द्र डाबर और सुरजीत सिंह धीमान भी मंत्री बनने की दौड़ में शामिल बताये जाते हैं। श्री राजकुमार वेरका दलित हैं, उनकी मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस हाईकमान के साथ निकटता भी है। ओ.पी. सोनी कांग्रेस के टकसाली नेता हैं और वह माझा में कांग्रेस के प्रमुख हिन्दू नेता हैं। राणा गुरमीत सिंह सोढी गैर-जाट सिख हैं। उनका राय सिख समुदाय को एस.सी. का दर्जा दिलाने में काफी योगदान था। इसीलिए हाल ही में हुए अलवर लोकसभा उप-चुनाव में उनकी ड्यूटी लगाई गई थी, क्योंकि वहां राय सिख वोट काफी प्रभाव रखते हैं। वैसे भी वह कैप्टन के खास निकटतम लोगों में शामिल हैं। हमारी जानकारी के अनुसार श्री विजयइन्द्र सिंगला, अमरेन्द्र सिंह राजा बड़िंग, कुलजीत सिंह नागरा और परगट सिंह, राहुल गांधी की पसंद हैं। चाहे परगट सिंह अकाली दल से कांग्रेस में आए हैं, परन्तु समझा जाता है कि उनकी स्वच्छ छवि और कांग्रेस में शामिल होने के समय राहुल गांधी के साथ सीधा सम्पर्क उनके लिए सहायक हो रहा है। वैसे भी दोआबा को प्रतिनिधित्व देने के लिए उनका नाम काफी चर्चा में है। श्री राकेश पांडे और भारत भूषण आशु एक तरफ पार्टी के हिन्दू चेहरे हैं और दूसरा लुधियाना जैसे बड़े ज़िले को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व देना भी बनता है। स. अमरीक सिंह ढिल्लों पार्टी के वरिष्ठ विधायक हैं। वह पांच बार विधानसभा सीट जीत चुके हैं। संगत सिंह गिलजिया मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र हैं। गिलजियां और सुरजीत सिंह धीमान पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधि भी हैं, जबकि सुख सरकारिया और रंधावा पार्टी में अपनी अलग हैसियत रखते हैं। वह तीन-तीन बार जीतेें भी हैं और उनको कांग्रेस विधायक दल में भी काफी लोकप्रिय समझा जाता है। रणदीप सिंह नाभा, बलबीर सिंह सिद्धू, सुरिन्द्र डाबर और रजनीश कुमार बब्बी के एक तरफ तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के साथ काफी अच्छे संबंध हैं और दूसरा यह सभी मंत्री बनने के दावे के लिए अपने-अपने कारण भी रखते हैं। नवजोत सिंह सिद्ध और रेत-बजरी पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री स. नवजोत सिंह सिद्धू आजकल पंजाब पक्षीय स्टैंड के कारण काफी चर्चा में हैं। हमारी जानकारी के अनुसार चाहे सार्वजनिक तौर पर रेत-बजरी माफिया पर रोक लगाने और इससे सरकारी खजाने में लगभग 7,000 करोड़ रुपए आने के मामले में वह अब बोले हैं, परन्तु वास्तव में उन्होंने मंत्री बनने के लगभग दो महीने बाद ही मामले की जांच करके संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को एक पत्र लिखा था, जो आजकल काफी चर्चा में है। उनके द्वारा रेत-बजरी के बारे में उठाये सवालों के साथ कथित रूप में रेत-बजरी के व्यापार से पैसा बना रहे कांग्रेसी क्षेत्रों में हलचल मची हुई है। लोगों में चर्चा है कि पहले रेत-बजरी का कारोबार अकाली नेताओं और पुलिस की मिलीभगत से चलता था और अब अकालियों का स्थान कथित रूप में कुछ कांग्रेसी नेताओं ने ले लिया है। हालांकि यह भी चर्चा है कि अकाली शासन के समय भी कुछ कांग्रेसी इस धंधे में गुप्त रूप में शामिल थे और अब अकाली भी इसी तरह ही कहीं-कहीं शामिल हैं, परन्तु यह सभी जन-चर्चाएं ही हैं, परन्तु हमारी जानकारी के अनुसार सिद्धू द्वारा लिए गए स्टैंड की बहुत सारे कांग्रेसी क्षेत्रों द्वारा भी सराहना की जा रही है कि इस स्टैंड से एक तरफ तो सरकार चलाने के लिए काफी सारा पैसा आयेगा और दूसरा इस पर कार्रवाई करने से लोगों में कांग्रेस की छवि भी सुधरेगी। 
पता चला है कि कुछ सौ फुट रेत की खड्ड का ठेका लेने वाले मिलीभगत और गैर-कानूनी ढंग से सौ मीटर की बजाय हज़ारों मीटर या फुट तक रेत उठाते हैं। ऊपर से बिडम्बना यह है कि कोई ठेकेदार रेत सिर्फ पानी की सीमा तक ही दरिया से निकाल सकता है, परन्तु यह 40-40 फुट पानी के नीचे से भी निकाला जा रहा है, जो दरियाओं के प्राकृतिक बहाव और धरती के खिसकने तथा किसानों की भूमि दरिया में डूबने का कारण ही बन सकता है। स. सिद्ध द्वारा लिए स्टैंड के अनुसार जितनी रेत गैर-कानूनी ढंग से निकाली जाती है, उससे 4,000 से 5,000 करोड़ की आमदनी सरकार को हो सकती है। उन्होंने पूर्व अकाली सरकार पर इसमें से सिर्फ 40 करोड़ रुपए वार्षिक सरकारी खजाने में जमा करवाने के आरोप लगाए। उनका कहना है कि यदि हिमाचल की तरह ही पंजाब के कुल 1008 क्रैशरों पर प्रयोग की जाने वाली प्रति यूनिट बिजली पर 7 या 8 रुपए चार्ज लगा दिया जाए तो लगभग 1500 करोड़ रुपए की आमदनी सरकार को हो सकती है। इसलिए कोई नये कर्मचारी भी रखने की ज़रूरत नहीं, सिर्फ बिजली बिल से ही यह पैसे सरकारी खाते में जमा हो सकते हैं। उनके अनुसार हर रोज़ रेत-बजरी के हिमाचल और जम्मू-कश्मीर से लगभग 2600 ट्रक पंजाब आते हैं, यदि उन पर प्रति ट्रक 5000 रुपए एंट्री फीस लगा दी जाए तो 475 करोड़ रुपए के लगभग सरकारी खजाने में और आ जायेगा। उनका कहना है कि यह ट्रक निश्चित भार की अपेक्षा तीन गुणा अधिक माल भर कर लाते हैं, इसमें लदे भार के कारण पंजाब की सड़कें तबाह हो रही हैं। इस नुक्सान से बचने के लिए आवश्यक है कि अधिक भार लाद कर पंजाब में आने वाले ट्रकों को जब्त किया जाए। उनका कहना है कि इस तरह रेत-बजरी की चोर बाज़ारी खत्म होगी और दूसरी तरफ हिसाब में आने से टैक्स की कमाई के बावजूद रेत-बजरी लोगों को सस्ती मिलेगी और पंजाब को विकास के लिए लगभग 7,000 करोड़ रुपए की वार्षिक आमदनी भी होगी।          
-1044, गुरुनानक स्ट्रीट, समराला रोड खन्ना