लाखों लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहा सफेद पनीर का काला धंधा

गुरदासपुर, 10 फरवरी (आऱिफ) : गुरदासपुर शहर से नकली पनीर का जाल पंजाब के कई ज़िलों के अतिरिक्त जम्मू तक बिछा हुआ है। विश्वसनीय सूत्रों से एकत्रित की गई जानकारी अनुसार सिर्फ गुरदासपुर शहर और इसके साथ लगते आसपास के गांवों में चल रही डेरियों से 50 क्ंिवटल के करीब रोज़ाना नकली पनीर तैयार किया जा रहा है। हालांकि इतना पनीर तैयार करने के लिए कई गुणों ज़्यादा दूध की ज़रूरत पड़ती है। परन्तु दूध की पैदावार ज़िलों में इतनी नहीं है, जिससे क्ंिवटलों के हिसाब से पनीर तैयार किया जा सके। फिर भी डेरी मालिक अपने फायदे की खातिर लोगों की जानों की परवाह न करते हुए अवैध ढंग से यह पनीर तैयार कर रहे हैं। गुरदासपुर शहर में यह डेरियां कालेज रोड, जेल रोड, कलानौर रोड, हनुमान चौंक, संगलपुरा रोड और कुछ डेरियों के नज़दीकी गांवों में स्थित हैं। इसी तरह ज़िला पठानकोट में भी नकली पनीर तैयार करने वाली ऐसी डेरियां बड़े स्तर पर चल रही हैं। इन डेरियों से रोजाना क्ंिवटलों के हिसाब से पनीर तैयार होता है और तैयार किया पनीर ट्रकों के द्वारा दूसरे ज़िलों में सप्लाई किया जाता है। यहां तक कि कुछ डेरियों से यह पनीर जम्मू-कश्मीर तक भेजा जाता है। 
जालन्धर, कपूरथला, पठानकोट, होशियारपुर और जम्मू-कश्मीर तक बिछा है नकली पनीर का जाल : इन डेरियों पर पनीर तैयार करने वाले कुछ कर्मियों ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि विशेष कर जालन्धर, कपूरथला, पठानकोट, होशियारपुर आदि ज़िलों में यह पनीर बड़े स्तर पर सप्लाई किया जा रहा है। परन्तु शहर की बहुत-सी डेरियों से यह पनीर जम्मू-कश्मीर के कई क्षेत्रों में भी भेजा जाता है। इन ज़िलों में पनीर भेज कर डेरी मालिक मोटे लाभ कमा रहे हैं, क्योंकि पाउडर और सप्रेटा दूध से बनता पनीर बहुत ही कम कीमत पर तैयार होता है। उन्होंने यह भी बताया कि यह पनीर इन शहरों में ज़्यादातर बड़े होटलों, रैस्टोरैंटें, ढाबों और डेरियों आदि पर सप्लाई किया जाता है। 
कैसे तैयार होता है यह नकली पनीर : नकली पनीर तैयार करने की विधि बहुत ही आसान है। यहां तक कि बहुत डेरी मालिकों की तरफ से यह पनीर तैयार करने के लिए अपनी डेरियों पर बहुत ही छोटी उम्र के नौजवानों को रखा हुआ है। नकली पनीर 2 तरीकों से तैयार किया जाता है। पहली विधि यह है कि डेरी मालिक बड़े स्तर पर अपने पास सूखा दूध जिसको दूध का पाउडर भी कहते हैं, को स्टोर कर लेते हैं और यह सूखा दूध असली है यां नकली इसकी जांच भी नहीं की जाती क्योंकि बोरियों के हिसाब से आता यह सूखा दूध अपने शुद्ध होने का प्रमाण देने में असफल हो सकता। कई बार इस सूखे दूध की जगह सिंथैटिक नुमा पाउडर भी प्रयोग में लाया जाता है क्योंकि असली सूखे दूध की कीमत बहुत ज्यादा होती है जिससे दूध बना कर यदि पनीर तैयार किया जाये तो यह बहुत महंगे मूल्य पर तैयार होता है। इसलिए डेरी मालिक सिंथेटिक पाउडर ही पानी में घोल कर दूध तैयार करते हैं और फिर उससे पनीर बनाते हैं। दूसरी विधि सप्रेटे दूध से तैयार किये जाते पनीर की है। इसमें दूध से सारी करीम निकाल ली जाती है और बाकी बचे घटिया मानक के दूध का पनीर तैयार कर लिया जाता है। यहां यह भी बताने योग्य है कि पनीर बनाने के लिए दूध को फटाना पड़ता है। जिसका असली ढंग दूध में नींबू डालकर उसे फटाना पड़ता है। परन्तु डेरी मालिक इसको फटाने के लिए तेज़ाब नुमा तरल पदार्थ का प्रयोग करते हैं जो कि सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है। 
कैसे होती है असली पनीर की पहचान : वैसे तो डेरियों द्वारा तैयार किये जाते पनीर में असली और नकली की पहचान करनी बहुत मुश्किल होती है। परन्तु फिर भी असली और नकली पनीर में फर्क जानने के लिए तैयार हुए पनीर को चाकू के साथ काट कर यां हाथ के साथ मसल कर देखा जा सकता है। यदि आपके हाथ को चिकनाहट और थिन्दापन लगता है तो यह पनीर असली हो सकता है। यदि आपके हाथ को सिर्फ़ दूध यां पानी ही लगता है तो यह पनीर नकली होगा। इसके अतिरिक्त  असली पनीर में काफी चिकनाहट होती है। जबकि नकली पनीर में कोई चिकनाहट नहीं होती और यह रबड़ नुमा भी लगता है। क्या रही है अब तक पुलिस और सेहत विभाग की भूमिका : बेशक गुरदासपुर पुलिस ने गत दिनों कृष्णा मंदिर नज़दीक चलती एक डेरी पर छापा मार कर साढ़े 6 च्ंिटल नकली पनीर बरामद किया है। परन्तु यह सफेद पनीर का काला धंधा पिछले कई सालों से शहर में बिना रोक-टोक चल रहा थी। आज तक कभी भी सेहत विभाग ने किसी भी डेरी पर छापेमारी कर इस धंधे पर लगाम लगाने की कोशिश नहीं की और पुलिस ने भी जो अब कार्यवाही की है वह भी सिर्फ एक ही डेरी पर की है। जबकि शहर में अनेकों ऐसीं डेरियां हैं जहाँ क्विंटलों के हिसाब के साथ नकली पनीर तैयार हो रहा है। इसके अतिरिक्त पुलिस और सेहत विभाग की कार्यवाही की चाल भी बहुत धीमी होती है। पकड़े गए पनीर के नमूने जांच के लिए चंडीगढ़ भेजे जाते हैं जहाँ से पहले तो कई महीने इस की रिपोर्ट ही नहीं आती, तब तक यह मामवा वैसे ही ठंडा पड़ जाता है और डेरी मालिक प्रयास कर यह मामला ठप्प करा देते हैं और दोबारा से अपना यह काम शुरू कर लेते हैं। त्योहारों के दिनों में तो नकली पनीर के अतिरिक्त नकली देसी घी, नकली खोया, नकली करीम आदि भी बड़े स्तर पर तैयार किया जाता है और कभी भी इन दिनों में पुलिस और सेहत विभाग को कोई कार्यवाही करते नहीं देखा गया। जब तक सेहत विभाग और पुलिस इस मामले को गंभीरता के साथ नहीं लेती तब तक दूध से बनते पदार्थों का यह काला धंधा निरंतर जारी रहेगा।