2017 में 2700 रेप केस के हो चुके हैं मामले

संदौड़, 12 फरवरी (अ.स.): 14 फरवरी को वैलेनटाईन डे मनाने को लेकर नौजवानों में चर्चा है तथा प्रति वर्ष इस दिन को प्यार के लिए इजहार के दिन के तौर पर मनाया जाता है परंतु हमारे समाज में बहुत सी जगहों पर वैलेनटाईन डे को मनाने को लेकर गंभीरता की जगह मन परचाने की बहुतांत होती जा रही है। अभिभावकों में इस बात की चिंता है कि वैलेनटाईन डे जैसे गैर पंजाबी सभ्याचार नौजवान पीढ़ी पर इस कद्र हावी हो चुके हैं कि यह कॉलेजों के बाद अब स्क्ूलों तक भी पहुंचते जा रहे हैं जो कम आयु खास कर छात्र वर्ग के लिए शुभ संकेत नहीं है। प्रति दिन जिसमानी शोषण तथा अभिभावकों की इज्जत को तार-तार करने की घटनाएं ऐसी गलतियों की ही देन हैं इसलिए छात्र वर्ग को जागरूकता की बड़ी जरूरत है। 
(1) छात्र जीवन बहुत गंभीरता का समय होता है ऐसे में बच्चों का ध्यान केवल पढ़ाई की ओर होना चाहिए। जिंदगी में आगामी पड़ाव संबंधी सोचने के लिए अभी जिंदगी के और मौके आने हैं इसलिए छात्र जीवन में बच्चों को पढ़ाई में ही ध्यान देना चाहिए।
(2) नौजवान किशोर आयु में ही गलत रास्ते पर न चलें, नौजवानों में जोश तथा जजबा बहुत होता है वह अपने करियर पर ध्यान देते हुए समाज तथा वातावरण की संभाल के लिए कार्य करें। प्यार केवल लड़के-लड़की में ही नहीं होता। बहन-भाई, माता-पिता ऐसे रिश्तों में भी होता है। अच्छा हो अगर 14 फरवरी को नौजवान अपने घर ही प्यार का इजहार करने तथा दिन प्रति दिन टूट रहे परिवारिक रिश्तों की डोर को और मजबूत करें।
(3) अभिभावक बच्चों को पढ़ने के लिए कॉलेजों में भेजते हैं, ऐसे में अगर बच्चा पढ़ाई के बिना इस आयु में ही प्यार के चक्कर में पड़ेगा तो उसका करियर खराब हो जाएगा तथा कोई अभिभावक ऐसा नहीं चाहेगा कि उसका बच्चा पढ़ाई के मिले अवसर तथा समय को ऐसे रूप में बर्बाद करे।
(4) यह सिर्फ हवा के महल हैं तथा अब दौर ही ऐसा चल रहा है कि नौजवानाें में दोस्ती को एक स्टेटस के तौर पर लिया जाता है तथा प्यार तो सदीवी होता है, त्याग होता है बिना किसी स्वार्थ के अपने आप होता है, हर किसी को नहीं तथा प्रति दिन नहीं होता तथा प्यार किसी विशेष दिन का मुहराज़ नहीं है तथा आज कल का प्यार तो आए दिन कपडों की तरह बदल रहा है। यह प्यार नहीं सिर्फ शारीरिक आकर्षण है जो आम ही गलत रास्ते पर चलकर जहां अभिभावकों की बदनामी का कारण बनता है वहीं अपना भविष्य भी बर्बाद होता है। 
(5) वैलेनटाईन डे पंजाबी समाज का हिस्सा नहीं है हमारे समाज तथा रीति-रिवाज अनुसार यह उचित नहीं है। यह समय छात्र के करियर बनाने का होता है अगर इसकी ओर ध्यान देंगे तो उनका भविष्य बर्बादी के सिवाए और कुछ नहीं है।
(6) वैलेनटाईन डे माता तथा बहनों से भी मनाया जा सकता है। छात्रों के लिए वैलेनटाईन डे का जो दौर चल रहा है वह घातक है, नौजवान सिर्फ वैलेनटाईन डे को लड़की-लड़के के प्यार के लिए ही प्रयोग कर रहे हैं। यह प्यार के इजहार का प्रतीक है तथा यह माताओं-बहनों तथा अन्य पाक रिश्तों में भी इजहार हो सकता है हमें अपना नजरियां बदलना चाहिए।
(7) गलत गायकी तथा गीतकारी भी बिगाड़ रही है हमारा सभ्याचार
आज प्यार तथा घर से भागने जैसी गैर सभ्याचारक घटनाएं स्कूली जीवन में भी शामिल हो गई हैं जो हमारे समाज तथा छात्र वर्ग के लिए बहुत घातक हैं। इसमें जहां ऐसे गैर पंजाबी त्योहारों को मनाने के बदलवें अर्थ जिम्मेदार हैं, वहीं हमारी गलत गीतकारी तथा गायकी भी जिम्मेदारी है। हमारे गायक तो ‘दसवीं च प्यार पे गया’ जैसे गीत परोस रहे हैं। ऐसे में पंजाब के अमीर सभ्याचार तथा गलत रास्ते पर चल रही नौजवान पीढ़ी को कैसे बचाया जा सकता है। ऐसी कलमों तथा गायकों का त्याग करना चाहिए।
24500 रेप केस तथा 3 लाख 27 हजार महिलाओं की छेड़छाड़ के मामले : 2015 में भारत में 34615 रेप मामले सामने आ चुके हैं तथा 3 लाख 27 हजार महिलाओं से संबंधित शोषण के मामले सामने आए हैं। 6 वर्ष से 60 वर्ष की महिलाओं से बलात्कार हो चुके हैं। हर ओर लड़कियों को हवश भरी नज़र से देखना आम बात होती जा रही है। बहसी दरिंदों ने बालिकाओं तक तो क्या छोटी लड़कियों को भी नहीं बख्शा। पंजाब की बात करें तो 2016 में 2585 रेप केस के मामले सामने आए थे तथा 2017 में 2700 मामले सामने आए हैं। प्रति वर्ष बढ़ रही यह संख्या गंभीरता तथा चिंता का विषय है। ऐसे में वैलेनटाईन डे जैसे त्योहारों के बदल रहे रूप हमारे अमीर तथा कुर्बानियों भरे पंजाबी सभ्याचार के लिए और नुक्सानदायक सिद्ध ही हो सकते हैं।