चीनी में 4 रुपए किलो की तेज़ी ने हिलाए बाज़ार

जालन्धर, 12 फरवरी (शिव शर्मा): अब तक तो केन्द्र सरकार दालों के भाव लगातार नीचे गिरने से रोकने के लिए कदम उठाती रही है परन्तु अब कुछ समय से चीनी के लगातार नीचे गिर रहे भाव को बचाने के लिए निर्यात ड्यूटी में वृद्धि कर दी गई है जिससे चीनी के भाव में खोज बाज़ार में ही 4 रुपए प्रति किलो की तेज़ी आ गई है। किसी समय चीनी का भाव थोक बाज़ार में 4100 रुपए क्ंिवटल पहुंच गया था जिसको और ऊपर जाने से रोकने के लिए केन्द्र ने दखल दिया था कि इसके भाव घटाने के प्रयास शुरू किए थे। चीनी के भाव ही अब इतना मंदा आ गया था कि चीनी 3300 रुपए क्ंिवटल तक पहुंच गई थी। चीनी का भी काफी स्टाक होने के कारण केन्द्र इसके लगातार भाव घटने के कारण चिंता में थी तथा इसलिए चीनी के भाव में दस दिन में ही रिकार्ड तोड़ तेज़ी दर्ज की गई है। चाहे अब पाकिस्तान व अन्य देशों से चीनी मंगवाने के लिए केन्द्र ने चीनी पर 100 प्रतिशत निर्यात ड्यूटी कर दी है परन्तु इसका अधिक असर नहीं पड़ेगा क्योंकि पाकिस्तान से कुछ माह पहले ही चीनी आनी बंद हो गई है। जी.एस.टी. दुगना होने के कारण कारोबारियों ने पाकिस्तान से चीनी मंगवाने का अब सपना लेना ही छोड़ दिया है। पाकिस्तान द्वारा करवाए जा रहे आतंकवादी हमलों के कारण देश में पाकिस्तान विरोधी भावना इतनी अधिक है कि कारोबारी घाटे से डर कर पाकिस्तान से चीनी मंगवाना दूर रहा बल्कि उसका नाम लेने के लिए तैयार नहीं हैं। इससे चीनी मिलों का नुक्सान बढ़ने की आशंका तो व्यक्त की ही जा रही थी तथा इससे गन्ना उत्पादकों की अदायगी भी प्रभावित होने की आशंका व्यक्त होने लग पड़ी थी। चीनी का भाव जिस तरह से 3350 रुपए क्ंिवटल तक पहुंच गया था तो उस समय ही केन्द्र के प्रयास शुरू हो गए थे कि यदि चीनी के भाव और नीचे गए तो इससे गन्ना उत्पादकों को भी बाद में फर्क पड़ सकता है। 10 दिन पहले ही जो चीनी 3350 रुपए प्रति क्ंिवटल बिक रही थी, वह दिन दिन बाद ही 37.50 रुपए किलो थोक बाज़ार में पहुंच गई है। परचून बाज़ार में तो वृद्धि घटना का कोई असर नहीं है क्योंकि जब चीनी पहले ही तेज़ी में थी तो उस समय भी परचून में 40 रुपए किलो बिकती थी तथा कुछ समय पहले परचून बाज़ार में इसका भाव 38 रुपए किलो तक ाया था परन्तु बाद में फिर 40 रुपए किलो कर दिया गया था। केन्द्र ने अब चीनी की निर्यात ड्यूटी इसलिए लगाई है कि विदेशों से चीनी न मंगवाई जाए बल्कि विदेशों में चीनी भिजवाई जाए। चाहे निर्यात ड्यूटी लगाने का एक कारण गन्ना उत्पादकों व मिलों वालों को राहत देने के लिए फैसला किया गया बताया जा रहा है परन्तु इसके बावजूद इकट्ठी चार रुपए प्रति किलो की तेज़ी से आम लोग ज़रूर बोझ पड़ा महसूस कर रहे हैं। दालें व चीनी का भाव जहां पहले घट रहे थे तथा दूसरी ओर वड़ेवों की फसल के खराब होने के कारण काटन तेल के भाव में 5 से 6 रुपए किलो की तेज़ी दर्ज की गई है।