पाक में हाफिज़ के जमात-उद-दावा संगठन पर प्रतिबंध

 


इस्लामाबाद, 13 फरवरी (वार्ता) : पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने शुक्रवार को गुपचुप तरीके से एक ऐसे अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका मकसद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (यू एन एस सी) द्वारा प्रतिबंधित व्यक्तियों और लश्कर-ए-तैयबा, अल-कायदा तथा तालिबान जैसे संगठनों पर नियंत्रण  और हाफिज़ सईद के संगठन जमात-उद-दावा और फलाह ए इंसानियत फाउंडेशन के बारे में स्थिति स्पष्ट करना है। समाचार पत्र ॑ द डॉन‘ के मुताबिक इस अध्यादेश को सोमवार को  सार्वजनिक किया गया और इसके लागू हो जाने के बाद हाफिज सईद से जुडे संगठन जमात उद दावा,फलाह ए इंसानियत फाउंडेशन ,अल अख्तर ट्रस्ट और अल राशिद ट्रस्ट आतंकवादी घोषित कर दिए जाएंगे। यह पूरी कवायद पेरिस में 18 से  23 फरवरी तक फायनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) होने वाली बैठक से पहले की गई है, ताकि पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने आपको पाक साबित कर सके कि वह आतंकवाद और ऐसे संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहा है। गौरतलब है कि हाल ही अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड  ट्रंप ने पाकिस्तान को यह  कहकर अरबों डालर की सहायता राशि पर रोक लगा दी थी  कि उसने इस मामले में अमेरिका को बेवकूफ बनाया है और इसके बदले विश्वासघात तथा छल के अलावा कुछ नहीं दिया है। अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना जिन आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करती है पाकिस्तान उन्हें सुरक्षित पनाहगाह उपलब्ध कराता है। इस अध्यादेश का सबसे अधिक असर हाफिज सईद के संगठन जमात उद दावा और एफआईएफ ,अल अख्तर और अल राशिद ट्रस्ट पर पड़ेगा। इस अध्यादेश का मूल मकसद आतंकवादी संगठनों के बारे में संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध सूची और पाकिस्तान की सूची में व्याप्त  असंगति को खत्म करना है। अभी तक पाकिस्तान ने जमात-उद-दावा जैसे संगठनों को बस आतंकी सूची रखा था और उस पर नाममात्र के प्रतिबंध  थे। लेकिन राष्ट्रपति की ओर से इस  अध्यादेश पर हस्ताक्षर के बाद जमात उद दावा अब स्पष्ट तौर पर  आतंकी संगठन घोषित हो चुका है। दरअसल पेरिस में एफएटीएफ की  जो  बैठक होने वाली है, उसमें काले धन को वैध बनाने (मनी लॉन्डरिंग) जैसे मामलों को लेकर अलग-अलग देशों की निगरानी रिपोर्ट पेश की जाती है।