सरकार का प्रभावशाली फैसला

अकाली-भाजपा सरकार के शासनकाल में जिस बात की सबसे बड़ी आलोचना हुई थी, वह बजरी और रेत के अवैध खनन की थी। इस संबंधी लम्बे समय तक सरकार की आलोचना भी होती रही थी। उसकी छवि को भी ठेस पहुंची थी। मीडिया सहित हर तरफ से भी उस पर दबाव पड़ा था, परन्तु यह सिलसिला इसलिए नहीं रुका था, क्योंकि इसमें ऊपर से लेकर नीचे तक अधिकारी लगे हुए थे। क्योंकि ऐसे धंधों से होने वाली आमदनी नित्य दिन करोड़ों में थी। इसलिए सरकार इससे लापरवाह होकर आंखें मूंद कर बैठी थी। इस संबंधी विरोधी गुट कांग्रेस ने कड़ी आलोचना भी की थी, जबकि यह भी दोष लगते रहे थे कि इसमें कुछ कांग्रेसी नेताओं की भी मिलीभगत है। यह मामला ऐसा था, जिसने उस समय की सरकार की साख को बड़ा धब्बा लगाया था और उसकी हार का एक कारण बना था। कांग्रेस सरकार आने पर यह उम्मीद पैदा हुई थी कि कम से कम यह सरकार इस संबंधी कड़े कदम उठायेगी। आम लोगों के लिए इस्तेमाल में प्रयोग की जाती यह वस्तुएं सस्ती होंगी और उनको कुछ राहत मिलेगी, परन्तु दस महीनों के अर्से में कांग्रेस सरकार न सिर्फ इस संबंधी कुछ कर ही सकी अपितु यह धंधा और भी धड़ल्ले से चलने लगा है। उस समय इसकी छवि और भी खराब हो गई, जब कुछ बड़े राजनीतिज्ञों का नाम इस संबंधी की जाती बोलियों में गलत तरीके से आना शुरू हो गया। 10 महीनों के बाद अंतत: सरकार की इस संबंधी नींद खुली है। कुछ समय पूर्व जालन्धर में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्ध  और सुनील जाखड़ ने भी यह माना था कि यह धंधा जारी है और स. सिद्ध  ने यह भी कहा था कि यदि उनका बस चले तो वह इसको बिल्कुल बंद करवा सकते हैं। सरकार पर इसका भार और ज्यादा होता जा रहा था। बठिण्डा रिफाइनरी में राजनीतिज्ञों के कुछ निकटतम लोगों द्वारा लिए जाते गुण्डा टैक्स ने भी सरकार को परेशानी वाली स्थिति में डाल दिया था। केन्द्र के पर्यावरण वन और पर्यावरण बदलाव विभाग के साथ-साथ पंजाब के मुख्य सचिव से संसदीय पटीशन कमेटी ने छिड़ी इन चर्चाओं और गतिविधियों के प्रति जवाब मांगा था। इसको देखते हुए उच्च न्यायालय ने भी इसका कड़ा नोटिस लिया था कि दरियाओं से अंधाधुंध निकाली जा रही रेत में जहां पानी का प्राकृतिक बहाव बदल दिया है, वहीं दरियाओं के किनारों के साथ-साथ कृषि कर रहे किसानों की ज़मीनें भी कटाव का शिकार हो रही हैं, जिससे वह भारी चिन्ता में हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि इस काले धंधे ने सरकार के राजस्व को भी बहुत बड़ा घाटा डाला है। अब हम इस बात पर संतुष्टि अवश्य जाहिर करते हैं कि अंतत: इस संबंधी सरकार की नींद खुली है। गत दिनों मंत्रिमंडल की हुई बैठक में इस संबंधी गहन विचार-विमर्श किया गया, जिसके परिणामस्वरूप मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने हो रहे इस समूचे कांड को अपने हाथ में लेकर हल निकालने का निश्चय प्रकट किया है। इस संबंधी स. नवजोत सिंह सिद्ध ने कहा है कि सरकार द्वारा गैर-कानूनी खनन और गुण्डा टैक्स जैसी बुराइयों को जड़ से खत्म करने का फैसला किया गया है। मुख्यमंत्री के फैसले के अनुसार इस संबंधी किसी भी व्यक्ति को ऐसा काला धंधा करने की इजाज़त नहीं दी जायेगी और न ही राज्य के उद्योगपतियों को ऐसे तत्वों द्वारा तंग-परेशान करने की अनुमति दी जायेगी। यह कार्य उद्योग विभाग के क्षेत्र में आता है। अब इसको इस विभाग से निकाल कर अलग माइनिंग विभाग बना लिया जायेगा। हम समझते हैं कि यदि सरकार अपने इरादे पर दृढ़ रहती हुई इस धंधे को खत्म करेगी तो इससे न सिर्फ पंजाब के प्राकृतिक स्रोत बच सकेंगे अपितु सरकार को भी राजस्व के पक्ष से बड़ा फायदा पहुंच सकेगा। प्रभावशाली ढंग से किया गया यह कार्य सरकार की छवि को भी संवारने में बड़ा सहायक हो सकता है। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द