नीले पहाड़ों की जमीन पर

हाफलांग को ‘सफेद चींटियों का टीला’ भी कहा जाता है। यह गोवाहटी से 310 किमी. की दूरी पर स्थित असम का इकलौता ऐसा हिल स्टेशन है, जो अपनी खूबसूरत वादियों, प्राकृतिक दृश्यों, घाटियाें के लिए जाना जाता है। प्रकृति प्रेमी, कैंपिंग में रहकर प्राकृतिक सुंदरता का नजारा देखने के इच्छुक एडवेंचर प्रेमियों के लिए उपयुक्त स्थान है। शहर के कोलाहल से दूर शांत जगह में छुट्टियां गुजारने वाले पर्यटकों के लिए यह एक खास जगह है। यहां ट्रैकिंग और पैराग्लाइडिंग का मजा लिया जा सकता है। दूर-दूर तक फैले नीले पहाड़, हरी वादियों को देखने का मजा कुछ अलग ही है।
क्या देखें
हाफलांग शहर हाफलांग झील के आस-पास है, वहां जाकर यदि आप इस झील के आस-पास ही कहीं ठहरते हैं तो सुबह के समय का अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है। वैसे भी यह हाफलांग का सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। पहाड़ियों के बीच स्थित इस झील का नजारा बेहद खूबसूरत है। 2015 से राज्य सरकार द्वारा इस झील की सफाई के लिए कई प्रोजेक्ट चलाये जा रहे हैं और इसकी खूबसूरती को निखारने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। यदि आप सही मौसम में हाफलांग का कार्यक्रम बनाते हैं तो आप अपने जीवन के सबसे मीठे संतरों का स्वाद चख पाएंगे। यहां पर अनानास और संतरे खूब उगते हैं। किसी भी बागान में घुसकर आप जितना चाहे उतने फल खा सकते हैं। फल खाने के बाद आप यहां की हरी, सुगंधित घास पर लेटकर प्रकृति के नज़ारों का आनंद ले सकते हैं। 
जतिंगा
जतिंगा एक निर्जल शिखर पर एक छोटा सा गांव है। हालांकि दुनिया का यह हिस्सा बहुत से लोगों की नजरों से दूर है, पर जतिंगा ‘विश्व प्रसिद्ध’ है क्योंकि पक्षियों ने इसे पक्षी प्रेमी लोगों के बीच अत्यंत लोकप्रिय बना दिया है। प्रत्येक वर्ष अगस्त और नवंबर के बीच यहां कुछ विचित्र होता है। प्रवासी पक्षी, जो जतिंगा के ऊपर उड़ते हैं, यहां आकर गांव वालों द्वारा लगाई गई आग में सामूहिक आत्महत्या करते हैं। इसके लिए कई वैज्ञानिक स्पष्टीकरण दिए गए हैं। पक्षियों में दिलचस्पी रखने वाले लोग यहां ऑब्जर्वेटरी टावर से पक्षियों की सामूहिक आत्महत्या देख सकते हैं। आत्महत्या के बाद मरे हुए पक्षियों को स्थानीय लोग उनमें से कुछ को तला हुआ, भुना हुआ या शोरबे के साथ आपको पेश भी कर सकते हैं।
मइबोंग
कभी इस क्षेत्र पर शासन करने वाले दिमासा कछारी राजाओं की सुंदर राजधानी रहा मइबोंग अंतिम राजा तुलाराम की मृत्यु के बाद अंग्रेज़ों के पास चला गया। कभी शानदार रहे इस नगर के अवशेष पूरे शहर में देखे जा सकते हैं। प्राचीन रामचंडी मंदिर के प्रति अब भी स्थानीय लोगों में श्रद्धा और आस्था है। सुंदर माहुर नदी मइबोंग से होकर बहती है और पिकनिक के लिए कई स्पॉट उपलब्ध कराते हैं।
उमरांगसू
यह शहर पूर्वोत्तर इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन द्वारा पनबिजली संयंत्र स्थापित होने के बाद चर्चा में आया। यहां गर्म पानी नामक झरना है। माना जाता है कि इसके जल में औषधीय गुण है।
पानीमूर 
कपिली नदी को एक गीत में भूपेन हजारिका ने ‘प्रसन्न किशोरी’ कहा था, यहां आकर यह नदी आक्रामक जलप्रपात में बदल जाती है। प्रपात पर नजर डालने पर आप समझ जाएंगे कि इसे हर वर्ष असम के मैदानों में बाढ़ लाने की शक्ति कहां से मिलती है।
क्या खरीदें
हाफलांग में कैन और बांस की बनी कलात्मक चीजों के लिए यहां कई मार्किट हैं। लकड़ी के बने हैंडक्राफ्ट्स भी पर्यटकों को भाते हैं। इसके अलावा स्थानीय लोगों के हाथ से बने कपड़े और दूसरे आइटम्स भी बिकते हैं। 
कब जाएं
सर्दी के मौसम में अक्तूबर से फरवरी का समय मुफीद है, अगर जतिंगा जाना चाहें तो अगस्त से नवंबर के बीच जाएं, क्योंकि पक्षी यहां पर इसी समय आते हैं। 
कैसे पहुंचें
हाफलांग से नजदीकी हवाई अड्डा गोवाहटी है। नज़दीकी रेलवे स्टेशन लामडिंग जो यहां से 60 किमी. की दूरी पर है। सड़क मार्ग से जाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 40 द्वारा गोवाहटी से शिलांग से बाद में राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर सिलचर तक। सिलचर से राष्ट्रीय राजमार्ग 54 से हाफलांग पहुंचा जा सकता है।