भोजन बनाते समय पोषक तत्वों को बचा कर रखें

बहुत से फलों और सब्जियों को छीलने-काटने के तरीके से भी खाद्य पदार्थों की पौष्टिकता नष्ट होती है, क्योंकि अधिकतम पोषक तत्त्व छिलकों और छिलकों के अंदर ऊपरी सतह पर होते हैं, जैसे आलुओं के छिलकों के बिल्कुल नीचे विटामिन सी की अधिकांश मात्रा होती है। अगर हम मोटे छिलके उतारेंगे तो विटामिन सी काफी कम हो जायेगा।
गाजर के छिलकों में विटामिन बी कांपलेक्स, रिबोफ्लेविन और थियामिन पर्याप्त मात्रा में होते हैं। गाजर खाने से कुछ समय पूर्व पूरी गाजर पानी में भिगो दें। अच्छी तरह पोंछकर और ऊपर के रेशों को उतार कर कच्ची गाजर खा सकते हैं और सब्जी भी खा 
सकते हैं। 
सेब के छिलकों में एस्कोर्बिक एसिड की मात्रा सेब के गूदे से अधिक होती है। एस्कोर्बिक एसिड टमाटर में अधिक पाया जाता है। अत: सब्जियों और फलों को काटने और छीलते समय विशेष ध्यान देना चाहिए।
अधिक फाइन वस्तुएं भी प्रभावित होती हैं जैसे मैदा अधिक फाइन क्वालिटी का आटा होता है, पर इसमें से अन्य खाद्य पदार्थों के निकल जाने से बहुत से पौष्टिक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं, इसलिए मैदे से बने व्हाइट ब्रेड, पिज्जा, मैगी, बर्गर आदि मैदा के होने के कारण शरीर की आंतों को नुकसान पहुंचाते हैं और कब्ज़ की समस्या भी पैदा होती है। 
धोना और भिगोना : अधिकतर सब्जियों को काटने से पहले धोना और काट कर भिगोने से सब्जियों के अधिकांश पोषक तत्त्व पानी में घुलकर बह जाते हैं। सब्जियों को छीलने और काटने से पूर्व भली-भांति धो लेना चाहिए और उनके छिलके कम से कम उतारने चाहिए। 
उबालना : सब्जियों में पाया जाने वाला एस्कोर्बिक एसिड सभी पोषक तत्वों से अधिक संवेदनशील होता है। सब्जियों को अधिक उबालने से एस्कोर्बिक एसिड की मात्रा कम हो जाती है। सब्जियों को उबालने की प्रक्रिया से कैल्शियम भी नष्ट हो जाता है। 
सब्ज़ी, चावल में उतना ही पानी डालें जितना उसके पकाने के लिए आवश्यक हो, अधिक मात्रा पानी होने से उसे सुखाने या कम करने के लिए ईंधन अधिक लगता है और पौष्टिकता भी कम होती है।
सब्ज़ी-दाल-प्रैशर कुकर में पकाएं : प्रैशर कुकर में दाल, सब्जी बनाने से पोषक तत्त्व भी काफी कम नष्ट होते हैं और खाना जल्दी भी बनता है। खुले बर्तन जैसे कढ़ाई, पतीले में सब्ज़ी, दाल बनाने से ईंधन भी अधिक खर्च होता है और पौष्टिक तत्त्व भी नष्ट 
होते हैं।
भाप में पकाएं खाना : स्टीम्ड फूड यानी भाप में पकी सब्जियों में पौष्टिकता की मात्रा भरपूर रहती है जैसे बंदगोभी, ब्रोकली, मटर, गाजर, बींस इनको थोड़ा सा पानी डालकर ढककर आंच कम कर पकाया जाए तो सब्जी बहुत हल्की और पौष्टिक बनती है। 
पानी से बनी भाप सब्जी को खाने लायक गला देती है और इसमें अधिक पानी न होने से पानी को सब्जी से अलग भी नहीं किया जाता। सारी पौष्टिकता उसमें समाई रहती है।

धातु भी प्रभाव डालते हैं
किस धातु में खाना पका है, इसका प्रभाव भी पौष्टिकता पर पड़ता है। पीतल, तांबा, लोहा अधिकांश सब्जियों की पौष्टिकता को बढ़ाते हैं। अल्यूमीनियम और जस्ता वाले बर्तनों में पका खाना उचित नहीं है, क्योंकि इन धातुओं के एसिड घुलनशील हैं।