प्यास बुझाने वाले एक सदी पुराने 40 कुओं की लौटी शान


अमृतसर, 20 फरवरी (सुरेन्द्र कोछड़) : अमृतसर के जौड़ा फाटक के साथ लगती दशमेश नगर आबादी में 116 वर्ष पहले शहरी आबादी तक पानी पहुंचाने वाले अमृतसरियों की प्यास बुझाने के लिए लगाए गए 40 कुओं के खस्ता हो चुके ढांचे का नव-निर्माण लगभग पूरा करवा लिया गया है। चाहे कि पिछले लगभग 40 वर्षों से इन कुओं का पानी सूख जाने के कारण यह प्रयोग में नहीं आ रहे थे। इसके बावजूद इन्होंने अपना अस्तित्व के कारण उक्त आबादी का नाम और प्रसिद्धि कायम रखी हुई है। प्रदेश की पिछली अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के समय वर्ल्ड बैंक की टीम ने 40 कुओं की आबादी का दौरा करने के उपरांत अमृतसर में नहरी पानी की सप्लाई को लेकर 4 तरह के प्रोजैक्ट पब्लिक कमेटी के सामने रखे थे, जिनके तहत शहर की वलहा नहर, तारां वाला पुल नहर आदि में से पानी 40 कुएं बाग ट्रीटमैंट प्लांट तक लाने के प्रोजैक्ट विचाराधीन पेश किए गए। उक्त में से किसी भी प्लांट को अस्तित्व में लाना संभव न होने के कारण 25 अक्तूबर, 2016 को दोनों तरफ से रेलवे लाईन के साथ घिरे 40 कुओं और इसके साथ लगती भूमि पर रोज गार्डन के नव-निर्माण की कार्रवाई मॉनीटरी ऑफ अर्बन डिवैल्पमैंट द्वारा हृदय प्रोजैक्ट अधीन युद्ध स्तर पर शुरू करवाया गया, जोकि अब लगभग  खत्म हो चुके हैं और जल्द ही इसका उद्घाटन करके यह स्मारक शहरवासियों के लिए खोल दिया जाएगा। दीपक बिल्डर नाम की फर्म द्वारा करवाए जा रहे उक्त निर्माण के चलते जहां कुओं के आसपास की भूमि पर रोज गार्डन 40 खूह के नाम से बाग लगाते हुए आसपास 2 मीटर ऊंची और लगभग 1650 मीटर लम्बी पक्की आर.सी.सी. दीवार बनाई गई है, वहीं कुओं के ऊपरी हिस्से से पुराना सीमेंट उतारकर लाल रंग के मसाले से पलस्तर करवाकर नया रूप देते हुए यहां सैर करने आने वाले लोगों के चलने-फिरने के लिए रंग-बिरंगी सीमेंट की टाइलों वाला फुटपाथ बनाने के साथ-साथ लोगों के बैठने के लिए बैंचों का भी इंतज़ाम किया गया है। इसके साथ पानी सप्लाई प्लांट की अंग्रेज़ी सरकार द्वारा बनाई इमारत की भी नव-निर्माण का काम पूरा करवाकर सुंदर रूप दिया गया है।
वर्णनीय है कि अमृतसर में पानी की पाईपों के बिछाने का काम वर्ष 1886 में शुरू हुआ था। उस समय अमृतसर में 1200 के करीब कुएं थे। 1 दिसम्बर, 1902 में म्यूनिसीपल वाटर वर्कस तैयार करवाया गया, जिसका उद्घाटन पंजाब के गवर्नर सर सी.एम. रियाज ने किया। अमृतसर में साफ पानी सप्लाई करने के लिए अंग्रेज़ी सरकार द्वारा वर्ष 1904 में उपरोक्त 40 कुएं लगवाए गए।
शुरू में इनमें से इंजनों द्वारा पानी निकाला जाता था। वर्ष 1917 में पानी की समस्या का हल करने के लिए एक बड़ा पम्प भी लगाया गया। इससे पानी शहर के कई इलाकों में पहुंचने लगा। वर्ष 1978 तक पानी सप्लाई की नई तकनीकें अस्तित्व में आने के कारण लोगों की इन कुओं पर निर्भरता कम हो गई और देखरेख की कमी के चलते एक-एक करके उपरोक्त सभी कुएं सूख गए।