अदालत में तीन आरोपियों ने किया आत्मसमर्पण

एस. ए. एस. नगर, 21 फरवरी (जसबीर सिंह जस्सी):सिंचाई विभाग के इंजीनियरों व ठेकेदार विरुद्ध भ्रष्टाचार व धोखाधड़ी की धाराओं के अंतर्गत विजीलैंस द्वारा दर्ज केस में आज तीन अन्य मुलज़िमों द्वारा मोहाली की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया है। उक्त मुलज़िमों की पहचान सतवंत सिंह निवासी गांव फाटवां (खरड़), लखवीर सिंह निवासी बहिलोलपुर (ज़िला मोहाली) व कुलदीप सिंह निवासी कोट महिता (गढ़शंकर) के रूप में हुई है। अदालत में सरकारी पक्ष द्वारा सहायक ज़िला अटारनी भरपूर सिंह द्वारा तीनों मुलज़िमों के रिमांड की मांग करते हुए कहा कि सतवंत सिंह व लखवीर सिंह दोनों कंटरैक्टरों के ड्राईवर थे, जबकि कुलदीप सिंह बाऊचर अैंटरी आप्रेटर था, तीनों ने मिलकर कंटरैक्टर के कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरों का फुटेज़ व अन्य अह्म दस्तावेज़ विजीलैंस के पहुंचने से पहले गायब कर दिए थे। उन्होंने बताया कि तीनों मुलज़िमों से उक्त फुटेज़ की डीवीआर व अन्य कागजात बरामद करने है, जबकि बचाव पक्ष द्वारा तीनों मुलज़िमों के रिमांड का विरोध किया गया। अदालत ने सरकारी पक्ष व बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद तीनों मुलज़िमों को 2 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया। उधर विजीलैंस द्वारा इस मामले में गिरफ्तार हुए एक्सीयन गुलशन नागपाल, चीफ इंजीनियर (सेवामुक्त) परमजीत सिंह घुम्मण, एक्सीयन बजरंग लाल सिंगला, चीफ इंजीनियर (सेवामुक्त) हरविंद्र सिंह, एसडीओ (सेवामुक्त) गुरदेव सिंह व गुरिंद्र सिंह ठेकेदार विरुद्ध अदालत में चलान भी पेश कर दिया है। प्राप्त जानकारी अनुसार पंजाब विजीलैंस बयूरों द्वारा सिंचाई विभाग के जिन इंजीनियरों विरुद्ध मामला दर्ज किया गया था, उनमें एक्सीयन गुलशन नागपाल, चीफ इंजीनियर (सेवामुक्त) परमजीत सिंह घुम्मण, एक्सीयन बजरंग लाल सिंगला, चीफ इंजीनियर (सेवामुक्त) हरविंद्र सिंह, एसडीओ (सेवामुक्त) गुरदेव सिंह, सुप्रवाईजर विमल कुमार शर्मा, सिंचाई विभाग के कुछ अधिकारी, इंजीनियर, कर्मचारी शामिल है। उक्त मुलज़िमों पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी पदों का गलत प्रयोग करके गुरिंद्र सिंह ठेकेदार के साथ मिलीभुगत द्वारा गैर कानूनी ढंग से राज्य सरकार को बड़ा वित्तीय नुक्सान पहुंचाया है। गुरिंद्र सिंह को लाभ पहुंचाने के लिए सीएसआर रेटों से अधिक रेटों पर ठेके अलांट किए जाते रहें। विजीलैंस अनुसार ठेकेदार गुरिंद्र सिंह की वर्ष 2006-07 में वार्षिक आमदन 4.74 करोड़ रुपए थी, जो वर्ष 2016-17 दौरान बढ़कर 300 करोड़ रुपए हो गई, जिसकी विजीलैंस अलग रूप से जांच कर रही है।