दक्षिण अफ्रीका ने देखा  कोहली का विराट जलवा 

वांडरर्स (दक्षिण अफ्रीका) टेस्ट के नाटकीय तीसरे दिन की शाम को एक घटना हुई जिसने भारतीय क्रिकेट टीम में दौरे के बाकी हिस्से के लिए जोश भर दिया। जब जसप्रीत बुमराह की एक गेंद डीन एल्गर की हेलमेट पर लगी तो कठिन (शायद खतरनाक) पिच पर अंपायरों ने सनसनीखेज  अंदाज में खेल को स्थगित कर दिया। भारतीय कप्तान विराट कोहली हर कीमत पर खेल को जारी रखना चाहते थे, जबकि एल्गर सहित दक्षिण अफ्रीका मैदान छोड़ना चाहती थी। जब खिलाड़ी ड्रेसिंग रूम की तरफ लौट रहे थे तो, अखबारी रिपोर्टों के अनुसार, एल्गर ने कोहली पर इस भद्दे तरीके से फब्ती कसी कि भारतीय टीम को जबरदस्त झटका लगा।अब, कोहली व एल्गर के बीच सेंचुरियन में दूसरे टेस्ट के दौरान भी कुछ तनातनी हुई थी। एल्गर जुझारू बल्लेबाज तो हैं, लेकिन दर्शनीय नहीं। वह खेलते हुए कई बार बॉल को मिस कर गये थे और कोहली ने इस खब्बू बल्लेबाज पर टिप्पणी की थी। इसके बावजूद जब एल्गर ने वंडरर्स में चेंज रूम्स के निकट कोहली पर फब्ती कसी तो उसने अनेक तरह से भारतीय टीम में एकजुटता ला दी। इस घटना ने यह भी प्रदर्शित किया कि कोहली अब मात्र कप्तान नहीं थे, वह टीम के लीडर के रूप में विकास कर रहे थे। इस घटना ने और चौथे दिन वंडरर्स की पिच में ‘रहस्यमय’ परिवर्तन (सुबह सतह पर पानी था, रोलर चलाने से क्रैक भर गये, जिससे भारतीय गेंदबाजों को जीत के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ी) ने कोहली व उनके साथियों को एक दिवसीय श्रृंखला में प्रवेश करने से पहले अधिक दृढ़ संकल्प कर दिया। नतीजा पूरी दुनिया के सामने है भारत की 5-1 से जीत। 
यह पहला अवसर है पिछले 25 वर्षों में जब भारतीय टीम ने दक्षिण अफ्रिका में उससे एक दिवसीय श्रृंखला जीती है। बहरहाल, तीसरे टेस्ट के बाद भारतीय कोच रवि शास्त्री ने ‘गीली पिच’ का मुद्दा भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड के समक्ष उठाया था, लेकिन एक दिवसीय व टी-20 श्रृंखलाओं के शेष रहते बोर्ड ने इस मामले में नरमी बरतने का निर्णय लिया। इस पर कोहली एंड कंपनी ने अपनी तरह से ‘बदला’ लेने की ठानी, जिसमें कोहली ने अपने उदाहरण के साथ नेतृत्व किया। कोहली ने छह मैचों में 180 के गजब के औसत से रिकॉर्ड 558 रन बनाये,जिसमें तीन शतक और एक अर्धशतक शामिल है। लेकिन कोहली की बल्लेबाजी आंकड़ों से बहुत ऊपर की बात है। यह मानसिकता, रवैय्ये और आत्मविश्वास की बात है। इस समय कोहली अलग ही ‘जोन’ में हैं। वह विपक्षी आक्रमण पर हावी हो रहे हैं, शानदार व दर्शनीय शॉट मारने का मिश्रण ठोस बल्लेबाजी से कर रहे हैं। साथ ही वह तकनीकी दृष्टि से अधिक परिपक्व बल्लेबाज हो गये हैं, उनका फुटवर्क व संतुलन बेहतर हुआ है और ऑफ  स्टंप पर भी उन्होंने अपनी कमजोरी को दूर किया है। अब उनकी बैकलिफ्ट भी काफी सीधी हो गई है। उनके पास टाइमिंग की गिफ्ट तो थी ही जिससे वह आसानी से गैप्स में गेंद को मारते हैं और अब वह सेकंड के हजारवें हिस्से में अपनी कलाइयों को हल्का सा एडजस्ट करते हैं और फील्ड प्लेसमेंट का मजाक सा बना देते हैं। वह उछाल लेती पिचों पर सहजता से आड़े बल्ले से शॉट खेल रहे हैं। कोहली स्वभाव से आक्रामक कप्तान हैं और स्पिनर्स कुलदीप यादव व युज्वेंद्र चहल की सफलता इस बात पर अधिक निर्भर है कि कप्तान ने उनमें विश्वास व्यक्त किया है। यादव व चहल ने अपनी फ्लाइट, टर्न व विविधता से अफ्रीकी बल्लेबाजों को परेशान करके रख दिया और इस श्रृंखला में दोनों ने मिलकर 33 विकेट लिए। कोहली अब इनमें से कम से कम एक को टेस्ट में भी खिलाना चाहते हैं, खासकर विदेशी धरती पर । इसमें शक नहीं है कि कोहली जोश व जुनून से नेतृत्व कर रहे हैं और वह पूर्ण नियंत्रण में हैं। कोहली की खास बात यह है कि वह अपनी उपलब्धियों से संतुष्ट नहीं रहना चाहते बल्कि अधिक सुधार का प्रयास करते रहना चाहते हैं। अगले साल होने वाले विश्व कप के लिए उन्होंने अभी से उन क्षेत्रों की पहचान कर ली है जिनमें सुधार करने की जरुरत है। कोहली कहते हैं, ‘मैं इस बात से इंकार नहीं कर रहा कि टीम को सुधार की जरुरत है। हमने कुछ चीजों पर ध्यान दिया है जिनमें सुधार की जरुरत है। हम आपस में चर्चा करके उनमें सुधार लायेंगे।’ भारतीय कोच रवि शास्त्री कोहली को संसार का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज मानते हैं। कोहली का तीनों फॉर्मेट में 50 से अधिक का औसत इस धारणा को सही ठहराता है। शास्त्री के अनुसार, ‘मैंने कोहली को सभी प्रकार की स्थितियों व फॉर्मेट में बल्लेबाजी करते हुए देखा है। बात सिर्फ औसत की नहीं है। आप किस तरह से रन बनाते हैं, कब बनाते हैं और फिर उन रनों से टीम की जरुरत को पूरा करते हैं, यह सब महत्वपूर्ण होता है। इसलिए मैं यकीन से कह सकता हूं कि कोहली संसार के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज हैं।’लेकिन दिलचस्प बात यह है कि स्वयं कोहली ऐसा नहीं मानते, जो इस बात का सबूत है कि उनमें अहंकार व घमंड नहीं है। कोहली कहते हैं, ‘मेरी किसी से प्रतिस्पर्धा नहीं है। मैं सिर्फ अपनी टीम की मदद करता हूं। अगर आप टीम के बारे में सोचते हैं तो विशेष चीजें हो जाती हैं। अगर तुम किसी से आगे निकलने की कोशिश कर रहे हो तो यह खेल ऐसा है जो जल्द आपकी औकात बता देता है।’ कोहली उन खिलाड़ियों में से हैं जो कभी बहाने नहीं बनाते। अपनी गलतियों को स्वीकार करते हैं और हमेशा सुधार का प्रयास करते हैं। साथ ही वह अपनी तारीफ  भी नहीं करते हैं। वह कहते हैं, ‘मैं किसी पर एहसान नहीं कर रहा। यह मेरा काम है और मैं वही कर रहा हूं।’ कौन आज तक का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज है,कौन नहीं है? इस प्रकार की तुलना करना दिलचस्प तो होता है, लेकिन इससे कुछ हासिल नहीं होता है क्योंकि हर दौर में अलग अलग चुनौतियां होती हैं। लेकिन इस बात से किसी को इंकार नहीं है कि कोहली आज के दौर के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक हैं। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर