परीक्षा देना लेकिन समझदारी से...

बच्चे सारा वर्ष पढ़ाई करते हैं और परीक्षा भी देते हैं, जोकि स्कूल की तरफ से होती है। वार्षिक परीक्षा भी इसी तरह की परीक्षा होती है, फिर डर किस बात का? घबराहट मुक्त हो और पूरा आत्मविश्वास रखें, क्योंकि परीक्षा पूरे सैशन दौरान की मेहनत को अंकों का रूप देने का मौका होता है। पहले आपको कुछ टिप्स देते हैं। फिर आपके माता-पिता को उनकी ज़िम्मेदारी के बारे में बताते हैं।
परीक्षा केन्द्र में तैयारी करते समय पढ़ाई, उत्तर को याद रखने और दोहराने के अलावा सबसे महत्वपूर्ण चौथी बात है उत्तर को पेश करने की कला। यही कला ही अधिक से अधिक अंक लाने में सहायता कर सकती है। परीक्षा केन्द्र में बच्चे समय को लेकर जल्दी या हड़बड़ी में आ जाते हैं। वह प्रश्न को आधा-अधूरा और ध्यान से न पढ़ने की गलती करते हैं। इसी कारण उत्तर भी गलत ही देते हैं। इसलिए प्रश्न-पत्र मिलते ही सबसे पहले उसको ध्यान से पढ़ें और सोच समझ कर ही उत्तर दें।
परीक्षा केन्द्र से बाहर आकर कई बच्चे शिकायत करते हैं कि पेपर तो सारा आता था लेकिन समय कम था और वह लिख न पाए। असल में पेपर तो तीन घंटे का ही सैट किया जाता है लेकिन धीरे-धीरे लिखने के कारण और सोच-विचार अधिक समय करते रहते हैं। जल्दी लिखने से ज्यादा ज़रूरी है साफ-साफ लिखें, ताकि जांच करने वाला समझ सके।
समय का बंटवारा भी परीक्षार्थी के लिए महत्वपूर्ण टिप्स है। जो बच्चा अच्छे समय के प्रबंध का माहिर होता है, वह कम मेहनत पर भी अच्छे अंक प्राप्त कर लेता है। लिखने से पहले यह तय कर लें कौन से प्रश्न आपको आते हैं और कौन से आपने सोच विचार कर करने हैं। अधिक बढ़ा-चढ़ा कर लिखने से समय की बर्बादी होती है।
माता यानि मां बच्चे की पहली अध्यापक होती है। अपने बच्चे की अन्य बच्चों से तुलना न करें। उदाहरण के तौर पर जैसे अमित ने फर्स्ट पोज़ीशन ली है, तू मैरिट लिस्ट में ही आ जा। 
माता-पिता ही बच्चे के लिए घर में विद्या जैसे माहौल का सृजन करें, ताकि बच्चा एकरूपता से परीक्षा की तैयारी करने लगे। परीक्षा के समय मां को ध्यान रखना चाहिए कि बच्चा पूरी नींद ले। बच्चे की मोबाइल से दूरी बनाएं, ताकि वह अच्छी नींद ले सके।
—मुख्तार गिल