भाजपा को महाराष्ट्र में झटका दे सकती है शिवसेना

सूत्रों के अनुसार, शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं, विधायकों और संसद सदस्यों द्वारा शीघ्र ही बैठक की जा रही है, जिसमें आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए योजना बनाई जायेगी। माना जाता है कि बैठक में महाराष्ट्र सहित केन्द्र सरकार को सहयोग देने के मामले पर भी पक्ष स्पष्ट किया जायेगा। शिव सेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे द्वारा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार के साथ कांग्रेस के बाहरी सहयोग से महाराष्ट्र में सरकार बनाने के बारे में भी विचार किया जा रहा है और 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में गठबंधन बनाने के बारे में भी चर्चा हो रही है। पार्टी ने अब भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में रहने या फिर उसको खत्म करने के बारे में फैसला करना है। 
राज्यसभा चुनावों की चुनौती
कांग्रेस उम्मीद कर सकती है कि राज्यसभा की 58 सीटों के लिए होने वाले चुनावों में उसको कुछ थोड़ी सीमित सीटों पर जीत हासिल हो सकेगी, परन्तु फिर भी यह पार्टी में लॉबिंग शुरू हो गई है। मध्यप्रदेश में रिक्त होने वाली पांच राज्यसभा सीटों में से पार्टी ने एक सीट तो पक्की कर ली है। चर्चा है कि कांग्रेस पार्टी सत्यव्रत चतुर्वेदी जोकि मध्यप्रदेश से सेवानिवृत्त हो रहे हैं, को पुन: अपना उम्मीदवार बना सकती है। वह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ भी दो बार मुलाकात कर चुके हैं। इसके अलावा सुरेश पचौरी सहित अन्य नामों पर भी चर्चा हो रही है।
ममता द्वारा आंदोलन की धमकी
मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी भाजपा तथा केन्द्र सरकार की आलोचना करने के किसी भी अवसर को व्यर्थ नहीं जाने देती। जब से पंजाब नैशनल बैंक का घोटाला सामने आया है, ममता ने आगे होकर अक्रामक रुख धारण करते हुए इस मामले में सारा दोष भाजपा सरकार पर ही लगाया। उनके द्वारा नोटबंदी तथा वस्तु और सेवा कर का भी कड़ा विरोध किया जा चुका है। ममता ने दोष लगाते हुए कहा कि सरकार द्वारा वरिष्ठ बैंक कर्मचारियों को बचाया जा रहा है। उन्होंने आंदोलन की धमकी देते हुए कहा कि जब तक सरकार आम लोगों के बैंक खातों में पड़े धन की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी नहीं लेती, तब तक वह चुप नहीं बैठेंगी। दिल्ली में भाजपा द्वारा किये गये पांच सितारा मुख्यालय के उद्घाटन पर उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि देश की आधी आबादी तो बेहद गरीबी वाला जीवन जी रही है और ऐसे में धन की बर्बादी जनहित में नहीं है। जापान से निवेश की उम्मीद
मुख्यमंत्री नितीश कुमार हाल ही में जापान गए, जहां उन्होंने कारोबारियों को बिहार में निवेश करने के लिए निमंत्रण दिया। बौद्ध गया तथा बौद्धि धार्मिक स्थलों को विकसित करने के लिए सहायता की मांग भी की। उनके द्वारा बौद्ध गया तथा नालंदा के बीच रेलगाड़ी शुरू करने की इच्छा जाहिर की गई। नितीश को केन्द्र की ओर से कोई अतिरिक्त फंड मुहैया नहीं करवाये जा रहे, जिस तरह का उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन बनाने के साथ सोचा था। दूसरा यह कि गठबंधन की आन्तरिक राजनीति और दबाव के कारण उनके द्वारा निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कोई समारोह नहीं करवाया जा सका। नितीश कुमार की दुविधा यह है कि बिहार की बड़ी आबादी आज भी विकसित नहीं हुई और ऐसी फंडों की आ रही कमी के कारण आगामी चुनावों में मुश्किल स्थिति बन जायेगी। 
वसुंधरा की खत्म हो रही विश्वसनीयता
उप-चुनाव में हैरानीजनक हार के बाद राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे धीरे-धीरे अपने पार्टी विधायकों का समर्थन खो रही हैं। बजट सत्र के बीच बुलाई गई बैठक में उनकी कड़ी चेतावनी के बावजूद 160 विधायकों में से 100 से भी कम विधायक उपस्थित हुए। बैठक के बाद विधायक यह शिकायत कर रहे थे कि पुलिस कर्मचारियों सहित सरकारी अधिकारियों द्वारा उनकी किसी भी बात पर ध्यान नहीं दिया जा रहा, जिस कारण उनको मतदाताओं के पास जाने में मुश्किल पेश आयेगी। प्रांतीय भाजपा नेताओं द्वारा विधायकों को एकजुट करने की कोशिशें की जा रही हैं, ताकि आगामी विधानसभा चुनावों में एकजुट होकर कार्य किया जा सके। परन्तु विधायकों को यह विश्वास नहीं है कि बसुंधरा राजे के नेतृत्व में पुन: सरकार बनाने में सफलता हासिल होगी।