कब रुकेगा इज्ज़त के नाम पर हत्याओं का सिलसिला ?

अखबार हो या चैनल या फिर हमारे आसपास का सामाजिक दायरा, सब जगह हमें जाति, सम्प्रदाय, मजहब को लेकर होने वाला टकराव देखने को मिल ही जाता है। यह टकराव जब बढ़ जाता है तो फिर हालात बेकाबू हो जाते हैं, और यदि मजहब,सम्प्रदाय और जाति या अपने समाज के विरुद्ध जाकर विवाह जैसे पवित्र बंधन में बंध गए तो समाज में जैसे आक्रोश की ज्वाला धधक उठती है और अपने ही रिश्तेदार, माता-पिता अपनों को ही मौत के घाट उतार देते हैं। सम्मान हत्या या सम्मान हेतु हत्या ही ऑनर किलिंग है, जहां किसी वंश, परिवार, समुदाय के किसी सदस्य की हत्या, उसी परिवार के किसी सदस्य की हत्या, उसी परिवार, समुदाय, वंश द्वारा एक या एक से अधिक लोगों द्वारा समूह में की जाने वाली हत्या को ऑनर किलिंग कहते हैं। अपनी झूठी शान व इज्जत के लिए हत्या करने वाले ये कथित धर्म के ठेकेदार अपने इस कृत्य से घबराते, डरते या शर्म महसूस नहीं करते बल्कि इस कुकर्म को बहुत बड़ी उपलब्धि मानकर अपना माथा गुरूर से और चौड़ा कर लेते हैं। ऑनर किलिंग के कई कारण हैं जैसे परिवार की मज़र्ी के विरुद्ध जाकर प्रेम विवाह करना, एक ही गोत्र में शादी, समुदाय द्वारा निर्धारित परिधान व नियमों को न अपनाना, विवाह पूर्व व विवाह के बाद किसी अन्य पुरुष व महिला से जिस्मानी रिश्ते रखना आदि। इनमें से कोई भी घटना घटित होने पर तथाकथित इज्जतदार लोग अपनी आबरू को बनाये रखने व जबरन समाज में एक रुतबा पाने के लिए कुदरत के बनाये नियमों की अनदेखी कर हत्या तक कर डालते हैं। लगभग हर रोज देश के हर कोने से ये खबरें आना आम-सा हो गया है। 
एन.सी.आर.बी.के आंकड़ों के अनुसार 2014 से 2016 तक लगभग 288 मामले ऑनर किलिंग के दर्ज किए गए जिनमें उत्तर प्रदेश में 131, विकसित माने जाने वाले राज्य गुजरात में 21, मध्य प्रदेश 14, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में क्रमवार 2-2 मामले दर्ज किए गए,जबकि ऑनर किलिंग के तहत गैर-इरादतन हत्या के 65 मामले दर्ज हुए। ये वो आंकड़े हैं जो दर्ज हुए। इनसे कहीं अधिक मामले ऐसे होंगे जो दर्ज तक न हो पाए होंगे। इसलिए आंकड़ों के खेल में उलझे बिना इस विषय की गंभीरता को देखना चाहिए। समाज ने लड़कियों को अपनी इज्जत का तमगा पहना दिया है । जैसे इन्सान न होकर वो परिवार, समुदाय की धरोहर या संपत्ति हों।आज के अभिभावक ये नहीं  समझते कि दुनिया कहां पहुंच चुकी है । हम कूप-मंडूक बने बैठे हैं। बात-बेबात उनकी जातीय, धार्मिक अस्मिता खतरे में आ जाती है, हम पढ़-लिख कर चाहे जितनी ऊंची डिग्रियां हासिल कर लें, खुद को चाहे जितना भी प्रगतिशील दिखने का प्रयास करें, जरा-सा खुरचने पर हमारा वास्तविक रंग सामने आ जाता है।हम ये नहीं समझते कि हमारे बच्चे बालिग हैं, समझदार हैं , स्व:निर्णय के अधिकारी हैं , लेकिन हम झूठी शान में कई जिंदगियां तबाह कर डालते हैं और परिवारों, यहां तक कि जातियों और समुदायों में दुश्मनी और घृणा का भाव पैदा कर देते हैं, ऑनर किलिंग भारतीय समाज का कोढ़ बनता जा रहा है, साथ ही हमारी  सोच पर भी प्रश्न खड़े करता है  कि हम प्रगतिशील समाज में रहते हैं या दकियानूसी समाज में? हम चाहते क्या हैं, विचार करने को आवश्यकता है।   ऑनर किलिंग  का जिक्र हो और खाप पंचायत का जिक्र न हो ऐसा हो नहीं सकता। गांव,जाति, गोत्र, परिवार की झूठी शान या दिखावे की इज्जत के लिए होने वाली हत्याओं में अक्सर खाप पंचायतों का जिक्र होता है। ये पारंपरिक पंचायतें हैं जो उग्र हैं, आधिकारिक मान्यता इनको नहीं मिली है परंतु इनका दबदबा बहुत है, विशेषकर उत्तर भारत  में ज्यादा चलन है, हरियाणा के संदर्भ में तो इनकी खबर मिल ही जाती है। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस मार्कण्डेय काटजू और जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्र ने अपने एक फैसले में कहा कि ‘इज्जत के नाम पर कत्ल या अन्य यातनाओं में कोई इज्जत नहीं है, यह और कुछ नहीं बल्कि निर्दयी और दर्दनाक कत्ल हैं।’   इसे गैर-कानूनी मानते हुए कोर्ट ने आगे कहा कि ऑनर किलिंग के अधिक केस  खाप पंचायतों के कारण होते हैं। हरियाणा,पंजाब, उत्तर प्रदेश में बहुत कत्ल होते हैं पर मामले दर्ज नहीं होते। समुदाय का दबाव इतना होता है कि कभी-कभी प्रशासन भी इसे नज़रअंदाज़ कर ही देता है।क्या इन्हें रोका नहीं जा सकता। इसका उत्तर तभी मिलेगा जब हम बेटियों को कठपुतली न मानकर इन्सान समझने लगेंगे। इस सदी में भी हम अगर वही आगे-पीछे में उलझे रहे तो किस बात का और कैसा विकास?