भारत का घरेलू फुटबॉल ढांचा हुआ मजबूत

भारत के घरेलू फुटबॉल ढांचे के हालात लगातार बदल रहे लगते हैं। किसी समय भारतीय फुटबॉल  में एक भी घरेलू लीग नहीं हुआ करती थी और अब समय ऐसे बदल गया है कि एक ही समय में देश में दो बड़ी फुटबॉल लीगें आ गई हैं। एक समय यह सम्भावना भी नज़र आ रही थी कि शायद पेशेवर अंदाज़ वाली इंडियन सुपर लीग (आई.एस.एल.) और भारतीय फुटबॉल महासंघ (ए.आई.एफ.एफ.) की ‘आई लीग’ का मिश्रण हो सकता है। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और गत माह शुरू हुई आई.एस.एल. को टक्कर देने के लिए अब भारतीय फुटबॉल  संघ की ‘आई-लीग’ भी इस बार नए रूप में आ गई। अब यह समय काफी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि ‘आई-लीग’ का 11वां सैशन जो बीते नवम्बर माह के अंतिम सप्ताह ज़ोरों से शुरू हुआ था, वह 7 मार्च को समाप्त हो रहा है। यह भी दिलचस्प है कि आई.एस.एल. की शुरुआत भी बीते महीने नवम्बर में ही हुई थी और इसकी समाप्ति भी इसी महीने होगी। चाहे दोनों लीगें एक ही महीने खत्म हो रही हैं। इन दोनों लीगों ने भारतीय फुटबॉल के ढांचे को मजबूत किया है। इस बार काफी बदलाव हुए, जैसे ‘आई-लीग’ प्रबंधकों ने लीग के 11वें सैशन में भी इस बार दिल्ली, केरल और मणीपुर से तीन नई टीमों को शामिल किया। स्मरण रहे कि ‘आई-लीग’ देश का चोटी का लीग फुटबॉल टूर्नामैंट है और इसके विजेता को एशिया के सबसे बड़े क्लब फुटबॉल मुकाबले ए.एफ.सी. चैम्पियनशिप में खेलने का मौका मिलता है। ‘आई-लीग’ में इस बार ए.आई.एफ.एफ. की उभरती टीम इंडियन एरोज़ भी उतारी गई थी, जिसमें खेल का तजुर्बा हासिल करने के उद्देश्य से भारत की अंडर-17 और अंडर-19 टीमों के खिलाड़ी शामिल थे। इससे पहले इस टीम में अंडर-21 टीम के खिलाड़ी होते थे। अंडर-17 विश्व कप में हिस्सा लेने वाली भारतीय टीम के कोच पुर्तगाल के लुइस नार्टन डी. मातोस को इस टीम का कोच बनाया गया था। इंडियन एरोज़ का बेस दिल्ली रखा गया था, जिसके द्वारा आई-लीग फुटबॉल की दिल्ली में वापसी हुई।टूर्नामैंट में पंजाब की ओर से मिनरवा एफ.सी. पंजाब की टीम भी शानदार ढंग से खेली। इसी तरह इन दोनों लीगों का सीजन देखकर यह आशा बनी है कि भारतीय फुटबॉल की इस घरेलू लीग के नए अंदाज़ से भारतीय फुटबॉल को भरपूर उत्साह मिलेगा। उधर, भारतीय फुटबॉल से संबंधित एक और अहम हलचल यह भी है कि भारतीय फुटबॉल टीम के कोच इंग्लैंड के स्टीफन कोस्टेनटाइन ने अपने करार में विस्तार की पेशकश स्वीकार कर ली है, जिससे वह खेल के इतिहास में राष्ट्रीय टीम की सबसे अधिक समय तक कोचिंग देने वाले कोच बनेंगे। कोंस्टेनटाइन के मार्ग दर्शक में भारत में पिछले वर्ष अक्तूबर में मकाओ को 4-1 से हरा कर 2019 ए.एफ.सी. एशिया कप के लिए क्वालीफाई किया था और भारतीय टीम से ही लगातार 13 मैचों में अविजय भी रही थी। दूसरा करार विस्तार स्वीकार करने के बाद वह भारतीय इतिहास में सबसे ज्यादा समय तक सेवा देने वाले विदेशी कोच बन रहे हैं, जो कुल 7 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर जाएंगे।