खिलाड़ी वर्ग को सम्मान देने की ज़रूरत

भिन्न-भिन्न खेलों से संबंधित खिलाड़ी जब खेल मैदानों में अपनी खेल प्रतिभा का बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं, खेल प्रेमियों का मन जीतते हैं, नए-नए रिकार्ड स्थापित करते हैं तो उनको शौहरत, लोकप्रियता, सम्मान, गौरव भी मिलता है और रोज़गार तथा धन की प्राप्ति भी होती है। यह भी सच है कि भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न-भिन्न खेलों को अलग-अलग तरह का सम्मान मिलता है। यहां तक कि किसी एक देश के अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग लोकप्रियता और शौहरत खिलाड़ियों की झोली में पड़ती है, जो भिन्न-भिन्न खेलों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यही सब कुछ खिलाड़ियों के लिए उत्साह, मेहनत, लगन और प्रेरणा का सबब बनता है। इसी आलम में खिलाड़ी का खेल करियर आगे बढ़ता है। इसलिए हमारे दिलों में खिलाड़ियों के प्रति सम्मान और श्रद्धा की भावना होनी चाहिए। हमें यह एहसास होना चाहिए कि खिलाड़ी का जीवन कई बार बहुत ही मुश्किल समय से गुज़रता है। उसके सामने हमेशा सम्भावनाओं से भरपूर भविष्य होता है। उसके साथ हमेशा अतीत का कोई दर्द, कोई पीड़ा, कोई जद्दोजहद होती है या वर्तमान की कोई परेशानी।हम यह समझते हैं कि खिलाड़ी का जीवन एक त्याग, तपस्या की गौरवमय कहानी है। गांव के छोटे से प्राइमरी स्कूल से या शहर के किसी गली-मोहल्ले में किसी प्रेरणा द्वारा खेलों की मंज़िल की ओर बढ़ते हुए यह कदम निरन्तर गतिशील रहने के लिए हमारे प्रोत्साहन और प्रशंसा के तलबगार होते हैं। इसलिए खेलों और खिलाड़ियों के प्रति हमारा नज़रिया हमेशा सकारात्मक होना चाहिए। इसके लिए ज़रूरी है कि हम भिन्न-भिन्न खेलों के शौकीन हों। अलग-अलग खेलों के खिलाड़ियों में दिलचस्पी लें। खेल मैदानों में दर्शकों के रूप में भारी संख्या में पहुंचे। कोई भी खिलाड़ी या कलाकार हमेशा प्रशंसा का भूखा होता है। उसकी पूर्ति करें।
प्रकृति ने इन्सान को जहां मानसिक ताकत दी है, वहीं शारीरिक शक्ति और ताकत से भी इन्सान को मालामाल किया है। खेल मनुष्य की शारीरिक शक्ति का ही तो भिन्न-भिन्न ढंगों से प्रदर्शन है, अलग-अलग तरीकों से प्रदर्शन है। समाज में शारीरिक तंदुरुस्ती का प़ैगाम भी तो खिलाड़ी वर्ग ही देता है। नशों से दूर रहने के संदेशवाहक भी तो वह ही बनते हैं। लेकिन क्या इस सब कुछ के बावजूद हमारे खिलाड़ियों को वह सम्मान हमारे यहां मिलता है, जिसके वह हकदार हैं। इसका सही जवाब हम आप सब पर छोड़ते हैं।  आपकी सोच की चिंगारी को इस पक्ष से जलाना ही हमारा उद्देश्य है। भारत के भिन्न-भिन्न शहरों में कितने खिलाड़ियों की प्रतिमाएं लगी हुई हैं आप देखते हैं कितनी गलियों और मोहल्लों तथा सड़कों के नाम खिलाड़ियों पर आधारित हैं।