विवादों में घिरी फरीदकोट रियासत की शाही वसीयत निरस्त करने वाले फैसले पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक


फरीदकोट, 13 मार्च (जसवंत सिंह पुरबा) : चार दशक पहले फरीदकोट रियासत के अंतिम महाराजा हरेंद्र सिंह बराड़ द्वारा फरीदकोट रियासत की जायदाद की संभाल के लिए बनाई गई वसीयत सबंधी विवाद काफी लंबे समय से चला आ रहा है। इस शाही वसीयत को सिविल जज व जिला जज मोहाली द्वारा अवैध समझते हुए निरस्त कर दिया गया था। अब पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा इस वसीयत को निरस्त करने के फैसले पर रोक लगा दी गई है।
राजा हरेंद्र सिंह बराड़ की वसीयत के आधार पर बने महिरावल खेवा जी  ट्रस्ट द्वारा सिविल जज व जिला जज के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी जिस पर सुनवाई करते हुए पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस सुरेंद्र गुप्ता ने फिलहाल दोनों निचली अदालतों के फैसलों पर रोक लगा दी है और इस मामले की सुनवाई अब 25 अप्रैल के लिए निश्चित की है। राजा हरेंद्र सिंह बराड़ की बेटी अमृत कौर ने 1992 में अदालत में केस करके आरोप लगाया था कि उसके पिता राजा हरेंद्र सिंह बराड़ द्वारा अपने जीवन में कोई वसीयत नहीं की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि महाराजा साहिब अपने इकलौते बेटे की मौत के कारण सदमे में थे और इस बात का लाभ उठा कर कुछ व्यक्तियों ने कथित तौर पर जाली वसीयत तैयार कर ली थी जिसमें उन्हें कोई जायदाद नहीं दी गई थी। 1989 में राजा हरेंद्र सिंह बराड़ की मौत के पश्चात फरीदकोट रियासत की कुल जायदाद महिरावल खेवा जी ट्रस्ट के अधीन चली गई थी व इस ट्रस्ट की चेयरपर्सन राजा हरेंद्र सिंह की बेटी रानी दुपेंद्र कौर है जो वर्धमान शाही खानदार कलकत्ता की पुत्रवधु है।
फरीदकोट रियासत की देश व दुनिया में करीब 20 हज़ार करोड़ की जायदाद का अनुमान है जिसमें दो किले, फरीदकोट का राज महल, जहाज मैदान, तीन जहाज़, दिल्ली में कापरनिकस मार्ग पर स्थित फरीदकोट हाऊस, बेशुमार हीरे जवारात, असला खाना, 12 हज़ार एकड़ ज़मीन व देश दुनिया में सम्पत्ति मुख्य तौर पर शामिल हैं। हाईकोर्ट के इस फैसले ने एक बार फिर शाही वसीयत सबंधी चल रहे विवाद को नया मोड़ दे दिया है।