पाकिस्तान में सिख आनंद कारज एक्ट लागू

अमृतसर, 14 मार्च (सुरिन्द्र कोछड़) : सिख भाईचारे के विवाहों को कानूनी तौर पर मान्यता देने के लिए सिख आनंद कारज एक्ट को आज पाकिस्तान की पंजाब विधानसभा में 34वें सत्र में लागू कर दिया गया। पाकिस्तान पंजाब विधानसभा के मुख्य सैनेटर पी.एम.एल.-एन.के. राणा मुहम्मद आदर्श के अनुसार पाकिस्तान सरकार द्वारा सिख धर्म को अलग धर्म के रूप में मान्यता देते हुए मुख्यमंत्री मीयां शाहबाज शरीब ने सिख आनंद कारज एक्ट को मंजूरी दी है। पी.एम.एल.-एन. के एम.पी.ए. स. रमेश सिंह अरोड़ा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में अभी तक सिख आनंद कारज एक्ट लागू नहीं किया जा सका है तथा पाकिस्तान पंजाब विधानसभा की मंजूरी मिलने उपरान्त पाकिस्तान दुनिया भर में सिख भाईचारे के विवाहों को रजिस्टर्ड करने वाला पहला देश बन गया है। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा यह बिल 24 अक्तूबर 2017 को पंजाब विधानसभा के 32वें सत्र में पेश किया गया था। पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार तारा सिंह ने कहा कि पाकिस्तान में सिख भाईचारे के लिए इससे पहले कोई अलग कानून नहीं था, परन्तु अब उनके पारिवारिक मामलों तथा विवाह संबंधों का कानून के अधीन फैसला किया जाएगा, जिस कारण पाकिस्तान में होने वाले सिख भाईचारे के विवाहों को यूनियन कौंसिल में रजिस्टर्ड किया जाएगा। इस नियम के अधीन सिख विवाहित जोड़ों द्वारा हस्ताक्षर किया सिख मैरिज फार्म विवाह की तिथि से 30 दिनों के अंदर यूनियन कौंसिल को देना होगा। पाकिस्तान की हरेक यूनियन कौंसिल द्वारा विवाह रजिस्टर्ड में सिख विवाहों को दाखिल करने के हित एक या अधिकतर व्यक्तियों को लाइसैंस दिए जाएंगे। यह भी बताया जा रहा है कि विवाह को भंग करने (तलाक लेने) की मांग रखने वाले जोड़ों को सिख आनंद कारज कमेटी के चेयरमैन को दरखास्त देनी होगी। इस दरखास्त के मिलने के उपरान्त चेयरमैन द्वारा दूसरे पक्ष को नोटिस भेजा जाएगा तथा नोटिस प्राप्त करने के 30 दिनों के अंदर तलाक लेने वाले दम्पति को आरबिट्रेशन कौंसिल को मिलना होगा जो दोनों पक्षों को सहमति करने के लिए एक मौका प्रदान करेगी तथा इस उपरान्त कामयाबी न मिलने पर तलाक मंजूर कर लिया जाएगा। विवाह को भंग किए जाने के उपरान्त तलाकशुदा महिला स्वयं के लिए तथा अपने निर्भर बच्चे के पालन पोषण के लिए एकमुश्त भुगतान के रूप में वित्तीय राहत के लिए अदालत में कार्रवाई कर सकेगी। पंजाबी सिख संगत के चेयरमैन स. गोपाल सिंह चावला ने कहा कि पाकिस्तान में सिख विवाहों को कानूनी मान्यता न मिलने के कारण पाकिस्तान सिख भाईचारे को कई प्रकार की सामाजिक तथा आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। बिना मैरिज सर्टीफिकेट के जहां एक तरफ सिख महिलाओं को पहचान पत्र नहीं मिल रहा था, वहीं विधवा महिलाएं अपने मृतक पति की सम्पत्ति पर दावा नहीं कर सकती।