पाकिस्तानी पंजाब में पंजाबी को राष्ट्रीय भाषा घोषित किए जाने के लिए विधेयक पारित

अमृतसर, 14 मार्च (सुरिन्द्र कोछड़) : पाकिस्तान की कानून एवं न्याय सैनेट स्टैंडिंग कमेटी द्वारा सिंधी, बलोची, पश्तो सहित पंजाबी को राष्ट्रीय भाषा करार देने के लिए बिल पास किया गया है। इस बारे लाहौर से जानकारी देते पंजाबी प्रचार संस्था के सदर अहमद रज़ा खां तथा महासचिव बाबर जालन्धरी ने बताया कि मातृ भाषा पंजाबी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिलने पर प्रदेश पंजाब के स्कूलों में नर्सरी कक्षा से ग्रैजुएशन की पढ़ाई तक पंजाबी को विषय के तौर पर लागू किया जा सकेगा तथा पंजाब विधानसभा में पंजाबी बोलने पर लगाई गई पाबंदी भी खत्म कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सैनेट स्टैंडिंग कमेटी द्वारा पंजाबी प्रचार संस्था द्वारा स्कूली पंजाबी पुस्तकों में बाबा बुल्ले शाह, शाह हुसैन, बाबा गुरु नानक देव जी, शेख फरीद, वारिस शाह आदि के पंजाबी सूफी कलाम शामिल करने की भी मांग की गई है।
अहमद रज़ा खां ने बताया कि पाकिस्तान के विभिन्न प्रदेशों में बोली जाने वाली स्थानीय भाषाओं बारे सरकारी स्तर पर एक रिपोर्ट जारी की गई है। जिसके अनुसार पाकिस्तान की कुल जनसंख्या में 7.57 प्रतिशत लोग उर्दू, 44.15 प्रतिशत पंजाबी, 14.1 प्रतिशत सिंधी, 15.42 प्रतिशत पश्तो, 3.57 प्रतिशत बलोची, 10.53 प्रतिशत सराइकी तथा 4.66 प्रतिशत लोग और स्थानीय भाषाएं बोलते हैं। उक्त के अतिरिक्त पाकिस्तानी पंजाब में 75.23 प्रतिशत लोग पंजाबी, 4.51 प्रतिशत उर्दू, 0.13 प्रतिशत सिंधी, 1.16 प्रतिशत पश्तो, 0.66 प्रतिशत बलोची, 17.36 प्रतिशत सराइकी तथा 0.95 प्रतिशत अन्य भाषाएं बोली जाती हैं, जिसके बावजूद पाकिस्तानी पंजाब में पंजाबी को अभी तक प्रमुख भाषा का स्थान नहीं दिया जा सका है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी पंजाब में मातृ भाषा पंजाबी को उसका बनता हक तथा इंसाफ दिलाने के लिए पंजाबी प्रचार संस्था सहित पंजाबी खोजगढ़ ललियाणी, लुकाई पंजाब, पंजाबी सांझ संगत, पंजाबी अदबी संगत, पंजाबी अदबी बोर्ड, दिल दरिया पाकिस्तान, कुकनस लायलपुर, पंजाबी ग्रुप, पंजाब लोक लहर तथा पंजाब सोशल मूवमैंट आदि विभिन्न संगठनों द्वारा लम्बे समय से संघर्ष किया जा रहा है।