केजरीवाल की माफी से ‘आप’ में बगावत


एन.एस. परवाना
चंडीगढ़, 16 मार्च : आम आदमी पार्टी के संयोजक तथा दिल्ली प्रांत के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अकाली नेता विक्रम सिंह मजीठिया विरुद्ध कई महीनों पहले नशा तस्करी के लगाए गए आरोपों के कारण उनसे अचानक माफी मांगने से ‘आप’ पार्टी में बगावत शुरू हो गई है। पंजाब में प्रमुख विपक्षी पार्टी ‘आप’ के लिए गंभीर राजनीतिक संकट खड़ा हो गया, जिस कारण झाड़ू चुनाव चिन्ह वाली पार्टी के बिखेरने का खतरा पैदा हो गया तथा ‘आप’ तथा लोक इंसाफ पार्टी का गठबंधन खत्म हो गया है।
इस दौरान आम आदमी पार्टी पंजाब इकाई के अध्यक्ष भगवंत मान सांसद तथा उपाध्यक्ष अमन अरोड़ा विधायक ने केजरीवाल के मजीठिया से माफी मांगने के फैसले विरुद्ध रोष व्यक्त करने के लिए अपने-अपने पदों से इस्तीफे दे दिए हैं।
लोक इंसाफ पार्टी के 2 विधायकों बैंस भाईयों ने घोषणा की है कि केजरीवाल ने मजीठिया से माफी मांग कर पंजाबियों के हितों के साथ गद्दारी की तथा उनकी पीठ में छुरा घोंपा है जिस कारण अब वह पंजाब आए तो उनको इस प्रदेश में नहीं आने दिया जाएगा। आज यहां श्री केजरीवाल के अचानक माफी मांगने के उपरान्त स्थिति पर विचार करने के लिए आप तथा लोक इंसाफ पार्टी के विधायकों की संयुक्त बैठक हुई, जिसमें सारी स्थिति की जांच की गई। दोपहर बाद हुई दूसरी बैठक में से बैंस भाई उठकर बाहर आ गए तथा सिमरजीत सिंह बैंस ने प्रैस कांफ्रैंस में घोषणा कर दी कि हमारा अब केजरीवाल की पार्टी से कोई वास्ता नहीं। हम तो बाय-बाय करके संयुक्त बैठक में से उठकर आ गए हैं। बैंस ने दावा किया कि ‘आप’ के 15 विधायक हमारे विचारों के साथ सहमत हैं तथा वह किसी भी समय कोई धमाका कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम तो पंजाबियों के हितों के साथ बंधे हुए हैं। उनको पूछा गया कि क्या 15 आप विधायक केजरीवाल की पार्टी से अलग होकर लोक इंसाफ पार्टी में शामिल हो सकते हैं ? उत्तर में बैंस ने कहा कि देखो क्या होता है। जब बैंस पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे तो आप विधायक दल के नेता सुखपाल सिंह खैहरा अपने साथी विधायकों के साथ विचार-विमर्श कर रहे थे। बैंस का विचार था कि इस संभावना को रद्द नहीं किया जा सकता कि केजरीवाल ने किसी साज़िश के अधीन अकालियों के साथ सौदा करने के लिए मजीठिया विरुद्ध अदालत में से अपने वकील द्वारा माफी मांगी हो।
कहा जाता है कि अमन अरोड़ा ने विधायकों के विचार सुनने के बाद इस्तीफा दिया है। वह काफी देर तक आज दुविधा में थे। दोनों नेता महसूस करते हैं कि केजरीवाल ने पार्टी को भरोसे में लिए बिना ही कदम उठाया है, जो पंजाब की जनता के साथ धोखा है। मान ने यह बात स्पष्ट की है कि मैं पार्टी में बना रहूंगा तथा नशा तस्करी विरुद्ध मेरी जंग पहले की तरह जारी रहेगी। दिलचस्प बात यह है कि ‘आप’ में जो गंभीर स्थिति पैदा हो गई है उससे वरिष्ठ वकील तथा दाखा से पार्टी के विधायक एच.एस. फूलका फिलहाल चुप बैठे हैं।  उन्होंने केजरीवाल विरुद्ध अब तक एक शब्द तक नहीं बोला। इस दौरान पता चला है कि आप के कई विधायकों जिनमें सुखपाल सिंह खैहरा भी शामिल हैं, ने कल तथा आज केजरीवाल को कई बार टैलीफोन किया परन्तु उनके स्टाफ ने मोबाइल फोन उठाया ही नहीं। खैहरा ने यह सूचना अपने कई साथी विधायकों के साथ भी साझी की। कहा जाता है कि लगभग 15 विधायक कोई तीखा तथा संयुक्त कदम उठाने बारे आपस में विचार-विमर्श कर रहे हैं। परन्तु अब सारे इस समय महसूस करते हैं कि केजरीवाल ने पता नहीं किन हालातों के कारण पंजाब में ‘आप’ को धोखा दिया है।
‘आप’ की बैठक में नहीं हुआ कोई फैसला
आज आप विधायकों की दो बैठकें हुईं जिसमें फिलहाल किसी लाइन आफ एक्शन का फैसला नहीं हो सका। रात्रि 7 बजे के बाद मानसा से आप के विधायक नाजर सिंह मानसाहिआ द्वारा बताया गया कि सारे विधायक अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सलाह-मशविरा करेंगे कि क्या आप का पलड़ा छोड़ दिया जाए या इसके अतिरिक्त और भी कोई कदम उठाया जाए। यह आम राय पाई गई कि केजरीवाल के साथ मुलाकात करने के लिए अब दिल्ली नहीं जाएंगे। यदि उनको पार्टी के हित प्यारे हैं तो वह अपने किसी विश्वासपात्र आप के नेता को पंजाब या चंडीगढ़ भेजकर अपना केस पेश करें। उन्होंने बताया कि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जो आप पंजाब इकाई के इंचार्ज हैं, ने 18 मार्च को आप पंजाब के विधायकों की जो बैठक बुला रखी है, उसमें शामिल होने के लिए कोई विधायक दिल्ली नहीं जाएगा। यदि श्री केजरीवाल को पंजाब की चिंता है तो वह आप या किसी विश्वासपात्र नेता को चंडीगढ़ तुरन्त भेजे।