तेदेपा ने छोड़ी राजग


अमरावती/नई दिल्ली, 16  मार्च (भाषा, उपमा डागा पारथ) : तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने आज भारतीय जनता पार्टी के साथ अपने चार साल पुराने गठबंधन को खत्म कर लिया और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग हो गई। 8 दिन पहले आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के केंद्र सरकार के इंकार के बाद तेदेपा के दो केंद्रीय मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था। अमरावती में पार्टी अध्यक्ष औरआंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू द्वारा भाजपा- नीत गठबंधन से अलग होने की घोषणा करने के कुछ घंटे बाद ही तेदेपा ने लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। वाईएसआर कांग्रेस ने भी एक अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। मोदी सरकार के मई 2014 में कार्यभार संभालने के बाद से पहली बार पेश किए गए इन नोटिसों को स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा कि सदन व्यवस्थित नहीं है और कई मुद्दोंको लेकर चल रहे हंगामे के बीच उन्होंने कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी। अविश्वास प्रस्ताव के नोटिसों को तेदेपा के थोता नरसिंहम और वाईएसआर कांग्रेस के वाई वी सुब्बा रेड्डी द्वारा पेश किया गया। तेदेपा पोलित ब्यूरो ने आज सुबह नायडू के साथ एक टेलिकॉन्फ्रेंस के दौरान सर्वसम्मति से गठबंधन खत्म करने का निर्णय लिया। पार्टी पोलित ब्यूरो के राजग छोड़ने के निर्णय पर बैठक आज शाम होनी थी लेकिन नायडू की पार्टी नेताओं के साथ आज सुबह हुई दैनिक टेलीकांफ्रेंस में ही औपचारिकताएं पूरी कर ली गईं। आधिकारिक कहा गया कि तेदेपा,  भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और राजग के अन्य घटकों को अपने निर्णय और उसके कारणों की जानकारी देने के लिए पत्र लिखेगी। केंद्र सरकार ने भरोसा जताया कि उसके पास संकट से निपटने के लिए पर्याप्त संख्या में सांसद हैं। भाजपा ने राजग छोड़ने के तेदेपा के फैसले को टल न सकने वाला’’ बताया। भाजपा ने दावा किया कि तेदेपा के गठबंधन छोड़ने से उसे राज्य में आगे बढ़ने का एक अवसर मिला है। आंध्र प्रदेश में अगले साल होने वाले चुनावों में वह अकेले ही मैदान में उतरेगी जहां उसका सामना दो क्षेत्रीय पार्टियों-तेदेपा और वाईएसआर कांग्रेस से होगा। लोकसभा में तेदेपा के 16 और वाईएसआर कांग्रेस के 9 सांसद हैं। कांग्रेस और लेफ्ट नेताओं ने कहा है कि वह सरकार के खिलाफ प्रस्ताव को समर्थन देंगे। माकपा के मोहम्मद सलीम और कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वह इसे समर्थन देंगे। संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा कि पूरे देश और सदन को प्रधानमंत्री में भरोसा है। उन्होंने कहा, सरकार के पास पर्याप्त संख्या में सांसद हैं हम हर चीज़ के लिए तैयार हैं।’’ 536 सदस्यीय लोकसभा में अकेले भाजपा के 274  सदस्य हैं। साथ ही उसे कई और सहयोगी दलों के सदस्यों का भी समर्थन प्राप्त है।
इस कवायद तहत शिरोमणि अकाली दल, जिसकी नेता हरसिमरत कौर बादल केन्द्र में फूड प्रोसैसिंग मंत्री हैं, ने सबसे पहले भाजपा का साथ देने की घोषणा की। केन्द्र द्वारा नाराज़ चल रहे एक अन्य गठबंधन साझेदार शिव सेना ने अभी तक अविश्वास प्रस्ताव बारे कोई फैसला सार्वजनिक नहीं किया परन्तु क्षेत्रों अनुसार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री दविन्द्र फड़नवीस ने शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ मुलाकात की है। मौजूदा हालातों अनुसार इस समय एनडीए में भाजपा के 274, शिव सेना के 18, लोक जनशक्ति पार्टी के 6, अकाली दल के 4, आरएलएसपी के 3, जेडीयू के 2, अपना दल के 2 तथा पीडीपी के 1 सदस्य हैं। 536 सदस्यीय लोकसभा में भाजपा के 274 सदस्यों तथा गठबंधन साझेदारों के 56 सदस्यों के साथ यदि अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार भी किया जाता है तो निश्चित तौर पर सरकार को कोई खतरा नहीं है,
अगर अविश्वास प्रस्तावका नोटिस  स्वीकार भी होता है तो भी मोदी सरकार पर कोई खतरा नहीं दिख रहा लेकिन यह राज्य में पार्टी के लिए ज़रूर मुश्किलें खड़ी कर सकता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी तेदेपा के फैसले का स्वागत किया और सभी विपक्षी पार्टियों से अत्याचार,  आर्थिक दुर्दशा और राजनीतिक अस्थिरता’’ के खिलाफ साथ मिलकर काम करने को कहा। के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन देने से इंकार किया। लोकसभा में टीआरएस के 11 सांसद हैं।