नरम हिन्दुत्व की ओर झुकती जा रही है कांग्रेस

ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का अधिवेशन हो रहा है, जिसमें माना जाता है कि कांग्रेस पार्टी नई योजना बनाते हुए अपनी साख को मुस्लिम पक्षीय पार्टी से दूर करके नरम हिन्दुत्व के निकट लाने की कोशिश करेगी। राहुल गांधी द्वारा हिन्दू मंदिरों की की जा रही यात्रा को इसी नीति का हिस्सा माना जाता है। उनकी दादी इन्दिरा गांधी भी अक्सर मंदिरों में जाया करती थीं। वहां के पुजारियों या धार्मिक प्रमुखों के साथ अच्छे संबंध रखती थीं। 2014 के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सफलतापूर्वक कांग्रेस पार्टी को मुस्लिम पक्षीय पार्टी बताया था, जिसका परिणाम इसको चुनावों में भुगतना पड़ा। यह भी माना जाता है कि इस अधिवेशन में 2019 के चुनावों के लिए विपक्ष की एकता भी एक अहम मुद्दा होगी। इस संयुक्त विरोधी मोर्चे का नेतृत्व सोनिया गांधी द्वारा किए जाने की उम्मीद है।13 मार्च को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा विपक्षी पार्टियों के नेताओं को रात्रिभोज के लिए बुलाया गया जहां सभी नेताओं द्वारा इस मुद्दे पर संयुक्त प्रयासों को समर्थन देने पर सहमति जताई गई। इस अवसर पर उपस्थित हुए नेताओं में भारतीय आदिवासी पार्टी से शरद यादव, राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, समाजवादी नेता रामगोपाल यादव, डी.एम.के. की कनिमोझी, मार्क्सवादी पार्टी से एम.डी. सलीम, कम्युनिस्ट पार्टी के डी. राजा, नैशनल कान्फ्रैंस से उमर अब्दुल्ला, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन, झारखंड विकास मोर्चा के बाबू लाल मरांडी, राष्ट्रीय लोक दल के अजीत सिंह, राष्ट्रीय जनता दल से मीसा भारती और तेजस्वी यादव, ए.आई.यू.डी.एफ. के बदरुद्दीन अजमल, आर.एस.पी. से रामचंद्रन, हिन्दोस्तान अवाम मोर्चा के प्रधान जीतन राम मांझी, आई.यू.एम.एल. के कुनझली कुट्टी, जे.डी.एस. से डा. कुपेन्द्र रैड्डी और केरल कांग्रेस से एक प्रतिनिधि शामिल थे। 
विशेष दर्जे के लिए राजनीति
जब भी एक राज्य को बांटकर नया राज्य बनाया जाता है, तो केन्द्र सरकार सहयोग देने का वायदा करती है और राजधानी तथा अन्य ढांचे को विकसित करने के लिए आर्थिक पक्ष से सहायता के अलावा नए बने राज्य को कम से कम पांच वर्ष के लिए विशेष दर्जा भी दिया जाता है, पुराने राज्य को बंटवारे के कारण होने वाले नुक्सान की पूर्ति का भी दम भरा जाता है। परन्तु केन्द्र में सत्तारूढ़ पार्टियों द्वारा सिर्फ राजनीतिक खेल के तौर पर ही ऐसे दावे किए जाते हैं। चाहे आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी और गठबंधन की सहयोगी पार्टी तेलुगू देशम पार्टी की सहायता करने से भाजपा सरकार द्वारा असमर्थता दिखाई गई है, परन्तु वास्तविकता यह है कि बिहार, तेलंगाना, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ की लम्बे समय से चली आ रही विशेष दर्जे की मांग को दरकिनार करना बहुत मुश्किल है। गत कुछ वर्षों से बिहार विशेष दर्जे की मांग कर रहा है और केन्द्र की ओर से विशेष दर्जे या कोई विशेष आर्थिक सहायता न किए जाने के कारण नितीश कुमार नाराज़ हैं। विपक्षी पार्टियां भी इस मुद्दे पर दबाव बना रही हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव इस मुद्दे संबंधी मांगें न माने जाने के कारण पहले ही तीसरा मोर्चा बनाने की बात कर चुके हैं। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेतली ने चन्द्रबाबू नायडू को समझाया कि ऐसा कोटा 2014 से पहले राज्यों के बंटवारे के समय मौजूद होता था, परन्तु 14वें वित्त आयोग ने ऐसे घटनाक्रम पर संवैधानिक पाबंदी लगाते हुए इसको सिर्फ उत्तर-पूर्वी राज्यों तथा जम्मू-कश्मीर सहित तीन पहाड़ी राज्यों तक ही सीमित कर दिया है। 
नितीश की योजना
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से नाराज़ पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दोस्तानी अवाम मोर्चा के प्रधान जीतन राम मांझी के राष्ट्रीय जनता दल के साथ हाथ मिलाने के बाद मुख्यमंत्री नितीश कुमार बहुत ही सचेत रूप से योजना बना रहे हैं। इसी कारण वह कांग्रेस विधान मंडल पार्टी को तोड़ने में भी सफल हुए और चार परिषदों को भी उन्होंने अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। कांग्रेस के 6 परिषद् थे, जिनमें से अब सिर्फ दो ही शेष हैं। सबसे पहले नितीश के साथ हाथ मिलाने वाले बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक चौधरी थे, उनके बाद केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान के दामाद शामिल हुए, जबकि दलित सेना के प्रधान अनिल कुमार साधू ने राष्ट्रीय जनता दल के साथ समझौता कर लिया। हर कोई नितीश बाबू की अगली कार्रवाई के बारे में जानने का इच्छुक है।
आन्तरिक लड़ाई
उत्तराखंड भाजपा की आन्तरिक लड़ाई दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। हाल ही में ऋषिकेश में पर्यटन मंत्रालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योगा सम्मेलन आयोजित किया गया, जिससे मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कार्यक्रम की आलोचना की। इस कार्यक्रम में लिवरपूल से बुलाए गए रॉक बैंड ने भी प्रस्तुति दी थी। मुख्यमंत्री, मंत्री हरक सिंह रावत और धन सिंह रावत द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योगा सम्मेलन के स्थान पर परमार्थ निकेतन योगा महाउत्सव का समर्थन किया गया। पर्यटन मंत्रालय ने भी अपने ही कार्यक्रम को नज़रअंदाज़ करके परमार्थ निकेतन योग महोत्सव का समर्थन किया।