माफीनामे पर ‘आप’ का विधायक दल फूट का शिकार

जालन्धर, 17 मार्च (मेजर सिंह): आम आदमी पार्टी के संरक्षक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल द्वारा माफीनामे पर उठे विवाद के कारण पार्टी का विधायक दल फूट का शिकार हो गया है। अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार पार्टी के 20 सदस्य विधायक दल के सदस्यों में केजरीवाल के माफीनामे का तो विरोध कर रहे हैं, परन्तु पार्टी प्रमुख केजरीवाल के प्रति कड़ा रुख अपनाए जाने पर पंजाब के यूनिट को स्वायत्त करने के मामले पर सभी विधायक एकमत नहीं। पता चला है कि विरोधी पक्ष के नेता स. सुखपाल सिंह खैहरा के नेतृत्व में 13 विधायक दिल्ली नेतृत्व की पंजाबी पीछा छुड़ाने के लिए तैयार हैं तथा गत दिवस चंडीगढ़ में हुई बैठक में उन्होंने अपने कड़े रुख का प्रदर्शन भी किया। बैठक में गैर-हाज़िर पार्टी के वरिष्ठ नेता एच.एस. फूलका ने पंजाब यूनिट के केन्द्रीय नेतृत्व गठबंधन को कायम रखते स्वायत्ता के पक्ष में स्टैंड लिया है। दिड़बा हलके के विधायक हरपाल सिंह चीमा भी बैठक में नहीं आए हैं। पता चला है कि शेष पांच विधायकों में से एक पंजाब के पूर्व उप-प्रधान अमन अरोड़ा माफीनामे प्रति तो कड़ा रुख रखते हैं परन्तु वे लीडरशिप के साथ बिना कोई रंजिश रखते किसी भी जगह बातचीत किए जाने के समर्थक हैं। शेष चार बीबी बलजिन्द्र कौर, कुलतार सिंह संधवा, सरबजीत कौर माणुके व अमरजीत सिंह माफीनामे का विरोध तो कर चुके हैं परन्तु वे केन्द्रीय नेतृत्व के प्रति काफी नर्म हैं तथा पता चला है कि ये चारों विधायक दिल्ली भी जा चुके हैं। सम्पर्क करने पर पूर्व प्रधान अमन अरोड़ा ने बताया कि वह माफीनामे का विरोध करते हैं तथा इस मामले पर पार्टी पर विचार करने की बजाय अकेले केजरीवाल द्वारा ही फैसला कर लिए जाने के भी विरोधी हैं परन्तु केन्द्रीय लीडरशिप के साथ विचार-विमर्श के वे पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि बैठक कहां होती है, इसको वर्कर का सवाल नहीं बनाना चाहिए बल्कि सारे मामले पर हर एक का पक्ष बिना किसी रंजिश से सुना जाना चाहिए तथा अपना पक्ष रखना चाहिए। 18 मार्च को मुनीश सिसोदिया द्वारा पंजाब को विधायकों की दिल्ली को बुलाई बैठक में जाने बारे अरोड़ा ने कहा कि अभी वे विचार-विमर्श ही कर रहे हैं तथा कोई फैसला नहीं किया परन्तु दूसरी ओर स. सुखपाल सिंह खैहरा के नेतृत्व में बैठक करने वाले 13 सदस्यों के ग्रुप ने बैठक के लिए दिल्ली जाने से इन्कार कर दिया है। स. खैहरा ने बताया कि वे बैठक के लिए दिल्ली न जाने के फैसले पर कायम हैं। यदि सिसोदिया ने मिलना है तो पंजाब में आकर बैठक लें। खैहरा ने कहा कि उन्होंने माफीनामे पर केन्द्रीय लीडरशिप प्रति व्यवहार बारे गत दिन स्पष्ट कर दिया है परन्तु इससे आगे अन्य कोई कदम अभी नहीं उठाया जा रहा है।