सरकारी माल कोई खा गया! शिकायतकर्ता शूली चढ़े

फाजिल्का, 17 मार्च (दविन्द्र पाल सिंह) : फाजिल्का के दो शैलर मालिकों द्वारा मार्कफैड से करोडों रूपये की ठगी मारने का मामला सामने आया है। मार्कफैड के अधिकारियों द्वारा ठगी मारने वाले शैलर मालिकों खिलाफ कार्रवाही की गुहार भी लगाई गई है। मगर मार्कफैड ने शिकायतकर्ता को ही मुअत्तल करने के आदेश दे दिए। मार्कफैड के जिला मैनेजर सुनील कुमार द्वारा एस.एस.पी. फाजिल्का को शिकायत दी गई है कि गणपति फूडज (राईस मिल) गांव राणा को मार्कफैड द्वारा धान की फसल 2017-18 की मिलिंग के लिए आलॉटमैंट की थी। जिसमें 37 हजार 500 किलो धान मिलिंग के लिए स्टोर किया गया। उन्होंने बताया किस समय समय पर शाखा अधिकारियों द्वारा पड़े माल की जांच की जाती रही है। उन्होंने बताया कि इससे पहले 28 फरवरी को, जो मासिक जांच होती है, उस समय शैली में माल पूरा था। जब 14 मार्च को शाखा मैनेजर द्वारा पंद्रवाड़ा जांच की गइ तो वहां से धान गायब था। शाखा मैनेजर ने इसकी तुरंत जिला मैनेजर से शिकायत की कि बकाया धान के स्टाक के बनते 53 हजार 95 बैग जिसकी रकम तीन करोड़ 80 लाख रूपये बनती है, वहां से खुर्द बुर्द हो चुके हैं। जिसे खुर्द बुर्द शैलर मालिकों द्वारा किया गया है। जिस पर जिला मैनेजर ने तीन सदस्य कमेटी गठित की और अपनी रिपोर्ट देने को कहा। कमेटी ने भी धान गबन की रिपोर्ट दी। डी.एम. ने रिपोर्ट के बाद एस.एस.पी. फाजिल्का के अलावा मार्कफैड के आलाधिकारियों को भी इस गबन की सूचना दी। एस.एस.पी. ने मामले की जांच एस.पी.डी. को सौंप दी। जब एस.पी. डी. से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि शिकायत मिली है और जांच के बाद कार्रवाही की जाएगी। दूसरी तरफ मार्कफैड के जिला प्रबंधक और शाखा प्रबंधक का कहना है कि उन्होंने सरकार नियमों अनुसार समय समय पर जांच की है, जो रिपोर्ट कागजों में दर्ज है। उन्होंने बताया कि शैलरों में पड़े स्टाक की चौकीदारी का प्रबंध शैलर मालिकों ने करना होता है। जो नियुमानुसार है। उन्होंने कहा कि जब उन्हें धान के खुर्द बुर्द बारे पता चला तो उन्होंने तुरंत पुलिस व विभाग को कार्रवाही हेतु कहा। पुलिस ने तो अभी जांच भी शुरू नहीं की। मगर मार्कफैड के आला अधिकारियों ने जिला मैनेजर व शाखा प्रबंधक को मुअत्तल करके अपना फर्ज अदा कर लिया। मगर देखना यह है कि सरकार से करोड़ाें रूपये की ठगी मारने के मामले में क्या कार्रवाही अमल में आती है या शिकायतकर्ता ही शूली पर चढ़े रहेंगे।