ई-बिलिंग के लिए केन्द्र ने ट्रांसपोर्टरों व उद्योगपतियों को राहतें देनी शुरू कीं

जालन्धर, 18 मार्च (शिव शर्मा): 50 हज़ार से अधिक मूल्य का सामान एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने के लिए 1 अप्रैल को ई-बिलिंग लागू करने से पहले केन्द्र ने इसको नर्म करते हुए ट्रांसपोर्टरों, उद्योगपतियों को राहत दे दी है, जिनको लेकर दोनों वर्गों में न सिर्फ रोष तो पाया जा रहा था बल्कि इससे कारोबार पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना व्यक्त की जा रही थी। पंजाब में भी ट्रांसपोर्टरों पर इसका बड़ा प्रभाव देखना पड़ा था परन्तु केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने अप्रैल  से लागू होने वाले ई-बिलिंग को और आसान बनाने के प्रयास किए हैं। ई-बिलिंग चाहे एक अप्रैल से लागू करने का फैसला किया गया है परन्तु इस क्रमवार को 15 अप्रैल तक लागू किए जाने की संभावना है और ई-बिलिंग की वैबसाईट पर सही चलने पर ही मई-जून तक इसके पूरी तरह से लागू होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। यदि ट्रांसपोर्ट के पास कोई कारोबार 50 हजार से कम राशि के  मूल्य का सामान बेचता था तो उसके लिए ट्रांसपोर्ट को आनलाईन बिल तो तैयार नहीं करना पड़ता था परन्तु ट्रांसपोर्ट के पास इस तरह से कई कारोबारियों का काफी सामान इकट्ठा हो जाता था, जिस कारण यह सामान 50 हज़ार की रकम से कहीं अधिक मूल्य का बन जाता था। नई दी गई छूट के अनुसार किसी भी राज्य में अब ट्रांसपोर्ट को एक जगह पर दूसरे जगह में सामान ले कर जाने  के लिए बिल बनाना पड़ेगा परन्तु इसके लिए भी केन्द्र ने राहत देते हुए कहा है कि इसको भी लागू करने की जल्दी नहीं की जाएगी, बल्कि इसको बाद में लागू किया जाएगा। पहले दी गई दूसरी छूट में फैक्टरी से दूसरी जगह सामान ले जाने पर ई-बिल से छूट के लिए सिर्फ 10 किलोमीटर तक की छूट दी गई थी परन्तु इसकी अब तक 50 किलोमीटर तक कर दी गई है। केन्द्र ने ई-बिलिंग में और जो राहत दी है, उसमें पार्ट-ए बिल बनाने के बाद पार्ट-बी बिल 72 घंटे में बनाने की छूट दी गई थी और 72 घंटे में पार्ट-बी बिल न बनाने से पूर्व बिल रद्द हो जाता था परन्तु अब इसके समय में 15 दिन का समय देने का फैसला लागू कर दिया गया है।  भारी सामान लेकर जाने वाली ट्रालियों की गति काफी कम होती है तो जिस कारण उनको राहत देते हुए एक दिन में 20 किलोमीटर की छूट दी गई है। कारोबारियों का मानना है कि सामान पर जी.एस.टी. की दो दरें ही लागू होनी चाहिएं। दरें कम होना जिस करके वह आसानी से इसको जमा करवा सके। कई कारोबारियों का कहना है कि टैक्स जमां करवाने की उनकी कोई परेशानी नहीं है परन्तु टैक्स जमां करवाना अपना रिफंड वापिस लेने की प्रक्रिया इतनी कठिन है कि उनके द्वारा जी.एस.टी. को कोसने का यही बड़ा कारण है कि वह सरल नहीं है।  अधिकतर कारोबारी काम करने में कम बल्कि अपना टैक्स भरने, रिफंड लेने में ही अपना अधिक समय बर्बाद कर रहे हैं।