2 से 3 फीसदी तक महंगी हो सकती है बिजली

जालन्धर, 19 मार्च (शिव): पावरकॉम की मौजूदा वित्तीय हालत से सरकार के साथ-साथ पंजाब बिजली अथारिटी कमिशन भी चिंतित है और इससे पावरकॉम को अप्रैल में बिजली दरें बढ़ौत्तरी की स्वीकृति मिलने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है क्योंकि पावरकॉम के पास इस समय अपना खर्च चलाना ही बहुत मुश्किल हो रहा है। चाहे बिजली क्षेत्रों में इस बार अप्रैल में बिजली महंगी करना तय बताया जा रहा है परंतु इस बार उपभोक्ताओं पर 2 से 3 फीसदी के करीब ही बिजली महंगी करने का विचार किया जा सकता है। पावरकॉम के वर्ष 2018-19 में बिजली महंगी करने की इस समय दो याचिकाएं पंजाब बिजली अथारिटी कमिशन के पास पैंडिंग पड़ी हैं जिनके बारे कमिशन ने फैसला करना है। पावरकॉम की जो दो याचिकाएं हैं, उनमें एक याचिका 4300 करोड़ व दूसरी 4100 करोड़ के घाटे की है जिसकी भरपाई करने के लिए पावरकॉम ने बिजली महंगी करने की स्वीकृति मांगी है। बिजली क्षेत्रों की मानें तो इस समय आयोग पावरकॉम की वित्तीय हालत से अच्छी तरह परिचित है। बिजली दरों में बढ़ौत्तरी करने की चाहे उपभोक्ताओं व औद्योगिक इकाईयों में नहीं है क्योंकि गत वर्ष ही 9.55 फीसदी के करीब बिजली महंगी की गई थी। पावरकॉम को इस समय सबसे ज्यादा वित्तीय बोझ सब्सिडी का 5000 करोड़ रुपए न मिलना है जिसकी वसूली अभी सरकार से लेनी है। केन्द्र द्वारा जी.एस.टी. से बनता हिस्सा न मिलने के कारण पंजाब के वित्त विभाग ने भी पहले ही इस बारे सफाई दी है कि वह पावरकॉम की सारी सब्सिडी की राशि की अदायगी करेगा परंतु सूत्रों की मानें तो वित्त विभाग द्वारा पावरकॉम को 5000 करोड़ की सब्सिडी की अदायगी देने के लिए कुछ समय लग सकता है। 
गत वर्ष बिजली दरों में जो बढ़ौत्तरी की गई थी और उसकी अदायगी भी पूरी तरह अभी तक उपभोक्ताओं ने नहीं की है। पावरकॉम ने तो अपना वित्तीय संकट दूर करने के लिए लम्बे समय से बकाया राशियों की वसूली करने का काम तेज़ करते हुए नोटिस भेजने का काम शुरू कर दिया है बल्कि उनके ऊपर अदालतों में रिकवरी सूट भी डालने का फैसला किया गया है। पावरकॉम को वैसे भी इस समय फंडों की बहुत ज़रूरत है और क्योंकि उसकी बिजली खरीद का खर्च ही 17000 करोड़ के करीब पहुंच गया है। यदि मार्च के अंतिम सप्ताह पंजाब बिजली अथारिटी कमिशन पावरकॉम को बिजली महंगी करने की स्वीकृति प्रदान कर देता है तो 2 से 3 फीसदी बिजली महंगी करने के साथ ही पावरकॉम को वार्षिक 500 करोड़ रुपए के करीब राजस्व प्राप्त हो सकता है। वैसे राज्य में फिक्स चार्जिज लागू होने से बिजली और महंगी हो गई है। वेतनों की राशि निकालने व बिजली प्रणाली में सुधार करने के लिए पावरकॉम की इस समय बिजली महंगी करने की मजबूरी बन गई है क्योंकि कई बार तो वेतनों की अदायगी करने के लिए उसे कज़र् भी लेना पड़ रहा है। यदि पावरकॉम को बिजली महंगी करने की स्वीकृति पर मुहर लग जाती है तो उसे कुछ राहत मिल सकती है।