सर्व व्याधिहर ै जल



दुनिया में ऐसा कोई इंसान नहीं होगा जिसे पानी की जरूरत न पड़ी हो। सृष्टि के आदि से वर्तमान वैज्ञानिक युग तक पानी के संबंध में नये-नये तथ्य उजागर हुये हैं तथा इसके विविध गुणों से सारा संसार परिचित हुआ है।
जल की महत्ता और उपयोगिता जान लेने के बाद जरूरी है कि हम यह जान लें कि पानी का किस-किस तरह उपयोग करें ताकि-जीवन खुशहाल रहे। पानी के मुख्य तीन उपयोग हम सभी जानते हैं, पहला-पीने के लिए, दूसरा-स्नान एवं धुलाई तथा तीसरा-सिंचाई एवं बिजली बनाने में लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि पानी में औषधि के भी गुण हैं। आयुर्वेद में जल को ‘सर्वव्याधिहर’ के नाम से वर्णित किया गया है। शरीर में लगभग 80 प्रतिशत भाग जल होता है। जल जिस पदार्थ के साथ मिलाया जाय, उसकी गर्मी या ठंडक को शीघ्रता से ग्रहण कर तीव्रता से ऊष्मा या शीतलता देता है। चूंकि यह तरल है और इसमें घुलन-शक्ति है अत: यह आसानी से चिकित्सा-प्रणाली में काम आ जाता है।
जल हमारे भोजन का अंग है। रोटी का विकल्प चावल या शाक हो सकता है किंतु पानी का कोई विकल्प नहीं।
जल से पूरा लाभ उठाने के लिए निम्न बातों का ख्याल रखना चाहिए।
र् जल स्वच्छ हो। पीने वाला जल छानकर, क्लोरीन गोली से शुद्ध कर पियें। यदि उबालकर पी सकें तो अति उत्तम।
र्भोजन के पूर्व और तत्काल बाद पानी न पियें। एक बार में ज्यादा पानी न पियें बल्कि थोड़ा-थोड़ा करके बार-बार पियें। बेहतर होगा यदि मुख के लार को पानी के साथ घुला-मिलाकर-पेट में पहुंचने दें।
र् स्नान करते समय शुरुआत पैर से न करें क्योंकि इससे शरीर की गर्मी आंख एवं मस्तिष्क में चली जाती है। वैदिक पद्धति से सर्वप्रथम सिर में जल डालकर स्नान करना लाभकारी है।
र् भोजन बनाते समय भी उपयुक्त जल की आवश्यक मात्रा का ध्यान रखें।
र् जल चिकित्सा एक अत्यंत लाभदायक विद्या है। किसी योग्य गुरु से उपयोग विधि सीखें और लाभ उठायें।
र् अपच की अवस्था में पानी बार-बार पियें। भोजन में विराम लगा दें।
र् टब स्नान के लिए किसी बड़े पात्र या टंकी में कुनकुना पानी लेकर उसमें शरीर का अर्द्धभाग डुबोयें। इससे रक्त प्रवाह तीव्र व संतुलित होगा।
र् गर्मियों में शीतल जल से दो-तीन बार एवं सर्दी में गर्म जल से स्नान करें।
र् सोते समय हाथ-पैर और सिर धोयें। आपको अच्छी नींद आयेगी।
र् प्रात:काल बासी पानी पीना फायदेमंद है।
इस प्रकार पानी का सही उपयोग करके स्वस्थ और सुखी रह सकते हैं। याद रखें पानी को व्यर्थ गंवाना न तो अच्छी आदत है और न ही समझदारी। पानी का उतना ही उपयोग करें जितनी जरूरत है। पानी की बदौलत ही तो जीवन और जगत रंगीन है।॒ (स्वास्थ्य दर्पण)
-पं. घनश्याम प्रसाद साहू