बटाला के हरजीत मसीह का परिवार गहरे सदमे में



बटाला, 20 मार्च (काहलों, वनीत गोयल) : रोजी रोटी की खातिर ईराक में गए 40 भारतीयों को आई.एस.आई. के आतंकवादियों द्वारा अगवा कर लेने के बाद उनके जीवित होने या मारे जाने संबंधी वर्षों से चले आ रहे विवाद को आज दुखदायी विराम तब लगा जबकि इनमें से 38 भारतीयों के मारे जाने का केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने डी.एन.ए. टेस्ट की रिपोर्ट अनुसार खुलासा कर दिया। उनके इस हैरान करने वाले खुलासे से बड़े स्तर पर हलचल पैदा हुई है। ‘अजीत समाचार’ की टीम जब बटाला के निकटवर्ती गांव तलवंडी झौरां में ईराक गए इन भारतीयों में शामिल धर्मिंदर के घर पहुंची तो माहौल काफी गमगीन था। वृद्ध पिता राज कुमार जो पिछले कई वर्षों से स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण डाक्टर के पास दवाई लेने गए हुए थे। उसके घर में धर्मिंदर की माता कंवलजीत कौर, बहन डिंपलजीत कौर व बुआ सविंदर कौर व गांव की महिलाएं मौजूद थीं, जो खबर सुनकर परिवार के साथ दु:ख सांझा करने पहुंची थीं। धर्मिंदर की माता कंवलजीत कौर का कहना था कि उन्हें 38 भारतीयों के मारे जाने की खबर का कोई पता नहीं था, जब आज मीडियावाले उनके घर आए तो उन्हें इसका पता चला। उन्होंने बताया कि उनका बेटा वर्ष 2013 में ईराक गया था, जहां 2014 में 40 भारतीयों सहित उसके अगवा होने की खबर मिली थी।
भाई की लाश आने के बारे पूछती है बहन
वर्षाें से अपने भाई के गुट पर राखी बांधने के लिए धर्मिंदर के घर आने की उम्मीद लगाई बैठी उसकी बहन डिंपलजीत कौर ने कहा कि उनका भरोसा टूटा है। अगर केंद्र सरकार को सच्चाई पहले ही पता थी तो फिरवर्षाें से आश्वासन किस बात का देते रहे। आज जहां खुलासे संबंधी उसने रोष प्रगट किया, वहीं गम में डुबही बहन ने यह पूछ लिया कि उसके भाई की लाश कब आएगी।