प्रदेश में भूमिगत जल संसाधन स्तर का निरन्तर कम होना खतरे की घंटी

पटियाला, 21 मार्च (जसपाल सिंह ढिल्लों) : पंजाब कृषि प्रधान रिपेरियन प्रदेश है तथा राजनीतिक लोगों की राजनीति उलझनों कारण इसकी 72 प्रतिशत कृषि इस समय ट्यूबवैलों पर निर्भर हो गई है, जिनकी संख्या 14.5 लाख तक पहुंच गई है। पंजाब की धरती पर बह रहे दरियाओं के पानी की रखवाली के लिए यह राजनीतिक पार्टियां गंभीरता नहीं दिखा सकीं। पिछली सरकार ने बिना किसी ठोस नीति पर 70 हज़ार से अधिक ट्यूबवैल लगवा दिए, हालांकि लक्ष्य एक लाख से अधिक रखा गया था। कई ट्यूबवैल तो वहां लग गए, जहां पहले ट्यूबवैल बमुश्किल 10-15 फुट दूरी पर लगा हुआ है। इस सारे मामले का परिणाम यह निकला कि पंजाब की धरती के नीचे वाला पानी निरंतर नीचे जा रहा है, यदि इसको न रोका गया तो पंजाब को रेगिस्तान बनने से कोई रोक नहीं सकता। पंजाब में धान के कारण ही पानी का निरन्तर स्तर नीचे गिरता जा रहा है। पंजाब के आंकड़े बताते हैं कि बहुत सारे ज़िले ऐसे हैं, जहां मुख्य फसल धान है में एक दशक दौरान ज़मीन के निचले पानी का स्तर 50 मीटर से भी अधिक गिर गया है जो बड़ा खतरा है। इसमें सबसे खतरनाक आंकड़ा ज़िला होशियारपुर का है, जहां मुकेरियां, हाजीपुर, दसूहा तथा टांडा को छोड़कर एक दशक में पानी का स्तर 59.25 मीटर तथा एक वर्ष में भाव जून 2016 से जून 2017 तक पानी का स्तर 1.88 मीटर नीचे जा गिरा है। इसी तरह रोपड़ के आनन्दपुर साहिब तथा नूरपुर बेदी में पानी का स्तर 32.59 तथा एक वर्ष में 1.14 मीटर नीचे गिर गया है। मोहाली के खरड़ क्षेत्र का पानी स्तर एक दशक में 52.45 मीटर, जबकि बाकी बचते ब्लाकों का 48.85 मीटर तथा एक वर्ष में इस क्षेत्र का पानी 0.97 मीटर नीचे गिर गया, नवांशहर के क्षेत्रों बंगा, औड़ तथा नवांशहर क्षेत्र का एक दशक में 22 से 44 मीटर तथा एक वर्ष में 1.18 से 1.32 मीटर तक नीचे जा पहुंचा है। अमृतसर में 24.35, तरनतारन में 24.80 मीटर तथा एक वर्ष में दोनों ज़िलों में 1.41 एवं 1.69 मीटर पानी नीचे जा गिरा है। जालन्धर में 36.35 मीटर कपूरथला में 33.79 मीटर, पठानकोट में 27.90 मीटर पानी एक दशक में नीचे चला गया है। इन ज़िलों में पिछले एक साल में ही औसतन 1 मीटर से अधिक पानी नीचे चला गया है। फतेहगढ़ साहिब का पानी स्तर 37 मीटर एक दशक में नीचे आ गया। यदि बठिंडा ज़िले के धान वाले ब्लाकों खासकर रामपुरा फूल, नथाना तथा भगता पर नज़र मारी जाए तो यहां एक दशक में 25.80 मीटर। मानसा के धान वाले क्षेत्र भिखी तथा बुढलाडा में 21 मीटर, पटियाला ज़िले के घनौर क्षेत्र को छोड़ बाकी औसतन 38.76 मीटर, संगरूर ज़िले के सभी ब्लाकों में औसतन 40.95 मीटर, बरनाला में औसतन 36.20, फिरोज़पुर के क्षेत्रों में 27.85 मीटर पानी नीचे गया है। केवल मुक्तसर तथा फरीदकोट जहां अभी भी सेम की मार है में पानी का स्तर 5.25 तथा 14.20 मीटर ही नीचे गया है। फिरोज़पुर के ममदोद तथा फाज़िल्का क्षेत्र ऐसे हैं जहां पानी का स्तर मामूली बढ़ रहा है।कैसे बचाएं पंजाब को : इस संबंधी पंजाब की कृषि की चिंता करने वाले विशेषज्ञ डा. बलविन्द्र सिंह सोहल सेवामुक्त संयुक्त निदेशक, डा. सुरिन्द्र सिंह रियाड़ सेवामुक्त आंकड़ा वैज्ञानिक, डा. अवनिंदर सिंह मान कृषि अधिकारी का एक मत होकर कहना है कि जब तक धान की कम समय में पकने वाली फसलों, सीधी बिजाई, पोली हाऊस, सब्ज़ियों तथा फूलों की कृषि का मंडीकरण यकीनी बनाकर किसानों को मोड़ना, बदलती फसलों का प्रबंध करना आदि शामिल हैं, को नहीं अपनाया जाता, तब तक पानी को नीचे जाने से रोका नहीं जा सकता।