सुल्तान अज़लान शाह कप हॉकी भारतीय टीम के लिए खट्टा-मीठा तजुर्बा

सुल्तान अज़लान शाह हॉकी टूर्नामैंट जो पिछले दिनों मलेशिया के शहर इपोह में 3 से 10 मार्च तक आयोजित हुआ। भारत को इसमें पांचवां स्थान मिला। भारतीय हॉकी टीम का प्रदर्शन इस टूर्नामैंट में कहीं बहुत आश्चर्यजनक था और कहीं बहुत निराशावादी। टीम के इस तरह के प्रदर्शन के बारे में हम अपनी विभिन्न दलीलें देकर संतुष्ट होना चाहेंगे। जहां तक इस भारतीय टीम का सवाल है, इसमें नए उभरते हुए खिलाड़ी आज़माए गए, राष्ट्रमंडल खेलों को ध्यान में रखते हुए भारतीय हॉकी प्रबंधक इस वर्ष होने वाले विश्व कप हॉकी में एक बहुत मज़बूत टीम को उतारने की सोच से भी अलग-अलग पोजिशनों लिए नए-नए अनुभव करते नज़र आ रहे हैं. उन नए तजुर्बों के साथ कितना लाभ होने वाला है, यह तो वक्त ही जाने लेकिन विश्व स्तर पर भारतीय हॉकी का अक्स कुछ बिगड़ता ही लगता है, क्योंकि ऐसा करने से जीतों की निरन्तरता टूट रही है। इस टूर्नामैंट में आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और अर्जन्टीना पदक विजेता रहे। इस टूर्नामैंट में भारतीय संदर्भ से सरदार सिंह की टीम में वापसी आकर्षण का संयोग बनी। अकाशदीप, मनप्रीत, रुपिन्द्र पाल सिंह, हरमनप्रीत सिंह और पी.आर. श्री जेश इस टीम का हिस्सा नहीं थे। सिर्फ पांच खिलाड़ी सरदार सिंह, रमनदीप सिंह, तलविन्द्र सिंह, एम.के. उथप्पा और सुरिन्द्र सिंह जो चिरकाल से भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा बन चुके हैं, इस टूर्नामैंट में खेले। इंग्लैंड जैसी शक्तिशाली टीम से इस टीम की बराबरी को कई हॉकी जानकार एक उपलब्धि मानते हैं। मेज़बान देश के विरुद्ध 5-1 की जीत भी सभी का ध्यान खींचती है, क्योंकि मलेशिया को मलेशिया में हराना भारतीय टीम के लिए हमेशा मुश्किल रहा है। 1998 में राष्ट्रमंडल खेल, 2002 विश्वकप हॉकी और सुल्तान अज़लान शाह हॉकी टूर्नामैंट में कई हारे इसके उदाहरण हैं, लेकिन जिस हार ने इस टूर्नामैंट में हॉकी प्रेमियों को दुखी किया और जिसने भारतीय हॉकी टीम के प्रदर्शन पर कई प्रश्न चिन्ह पैदा किए, वह हैं आयरलैंड के हाथों से अंतिम लीग मैच में हार जाना, जबकि वह जीत और हार बहुत बड़े अर्थ रखती थी। मनोवैज्ञानिक दवाब नहीं झेल सकी उस दिन हमारी हॉकी टीम। भारत आयरलैंड से 2-3 से हार गया। 18 मिनट बाकी थे बराबरी के लिए लेकिन सभी प्रयास बेकार चले गए। कोई भी यूरोपियन टीम इस कद्र मौका नहीं गंवाएगी। जिस तरह भारत ने मौके गंवा दिए। इस तरह भारतीय टीम ने इंग्लैंड के विरुद्ध भी 8 पैनल्टी कार्नर ऐसे ही गंवा दिए। भारत की ‘बी’ टीम विश्व के दूसरे नम्बर की अर्जन्टीना की टीम विरुद्ध बहुत करीबी हार हारी। आस्ट्रेलिया के विरुद्ध 2-4 से हार गई लेकिन सरदार सिंह की टीम ने अगले ही दिन आयरलैंड को 4-1 से बड़े अंतर से हरा कर बदला तो ले लिया लेकिन तब बहुत देर हो चुकी थी। डिमसिन, शिलानंद लाकरा, हमें नए हॉकी स्टार इस टूर्नामैंट में अपने अच्छे प्रदर्शन के आधार पर मिले हैं। सिमरनजीत सिंह को चाहे खेलने का बहुत मौका नहीं मिला, लेकिन जब भी मिला, अच्छा प्रदर्शन किया। जिस तरह उन्होंने दो पैनल्टी कॉर्नर आयरलैंड के विरुद्ध हासिल किए, जब भारत को बराबरी की सख्त ज़रूरत थी, विशेष ध्यान खींचता है। रमनदीप सिंह का इस टूर्नामैंट में प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। सुरिन्द्र कुमार ने अपनी खेल प्रतिभा से प्रभावित किया। सुमित इस टूर्नामैंट में बहुत उभर नहीं सके। सूरज करकेरा ने अपनी गोल्कीपिंग में अच्छा प्रदर्शन किया। सरदार सिंह के प्रदर्शन ने महसूस करवाया कि भारतीय टीम को उनकी अभी सख्त ज़रूरत है। चीफ कोच शोएर्ड का फैसला था इस प्रकार की टीम को भेजने का, जो भविष्य में लाभप्रद साबित हो सकती है।