निसार अहमद भारत का यूसेन बोल्ट

भारत में जो गिनती के महिला व पुरुष एथलीट विश्व मंच पर अपनी पहचान बनाने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं उनमें दिल्ली के 16 वर्षीय निसार अहमद विशेष रूप से शामिल हैं। निसार पर फोकस पिछले साल आया जब उन्होंने अपने राज्य के सीनियर एथलीटों से बेहतर समय निकाला। तब से उनकी प्रगति ने भविष्य की आशाओं में केवल वृद्धि ही की है और उनकी किंग्स्टन (जमैका) के रेसर्स ट्रैक क्लब (जो यूसेन बोल्ट व अन्य महान धावकों का घर है) की यात्रा ने उनकी भूख व विश्वास को और बढ़ा दिया है।हाल के भारतीय खेल इतिहास पर अगर सरसरी नज़र डालें तो मालूम होता है कि लगभग सभी खेलों में अधिकतर खिलाड़ी उन घरों से आ रहे हैं जिनमें साधनों की जबरदस्त कमी है। यही स्थिति निसार की भी है। वह दिल्ली में सब्जियों की थोक मंडी आजादपुर के निकट मलिन बस्ती में रहते हैं और एथलेटिक्स में उनका प्रवेश मात्र संयोग ही कहा जा सकता है। वह दौड़ते समय अपने दोस्तों को बहुत पीछे छोड़ देते थे, लेकिन यह नहीं सोचते थे कि वह विशेष हैं। निसार के पिता मुहम्मद हक रिक्शा चलाते हैं और मां शफिकुन्निसा घर-घर जाकर चूल्हा-चौका का काम करती हैं। दोनों मां-बाप मिलकर महीने में लगभग 6000 रुपये कमा लेते हैं, जो चार व्यक्तियों के परिवार के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में परिवार का एक सदस्य खेल में करियर बनाने की सोच भी नहीं सकता।
जब निसार तीसरी कक्षा में थे तो अशोक विहार गवर्नमेंट बॉयज सैकेंडरी स्कूल के पी टी टीचर सुरेंदर सिंह ने उनका नाम इंटर-जोनल कम्पटीशन में दे दिया और निसार की क्षमता का एहसास किया। सिंह निसार को दिल्ली प्रशासन के तहत चलने वाले छत्रसाल स्टेडियम की कोच सुनीता राय के पास लेकर गये, उन्होंने ट्रायल लिया और तब से निसार राय की निगरानी में ही ट्रेन कर रहे हैं। निसार में कैसी गजब की क्षमता है, यह उन्होंने पिछले सितम्बर में दिल्ली राज्य मीट के दौरान दिखाई। जूनियर वर्ग में गोल्ड मेडल जीतने के लिए उन्होंने 100 मीटर में 11 सेकंड का समय निकाला, जो पुरुष श्रेणी में विजेता के समय से 0.02 सेकंड बेहतर था। उस दिन निसार ने अंडर-16 के दो राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़े, डबल के लिए उन्होंने 200 मीटर की रेस भी जीती। इस तरह से उन्होंने आगे के लिए अपने रास्ते खोले। लेकिन निसार की चमक तो उससे पहले ही जाहिर हो गई थी जब 2014-15 में रांची में हुए स्कूल राष्ट्रीय खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता और फिर 2016 में कोझिकोड में हुए अगले सत्र में उन्होंने चार पदक जीते- दो स्वर्ण व दो कांस्य- जिससे उन्हें अंडर-16 के सर्वश्रेष्ठ एथलीट का अवार्ड मिला। 2016 की टैलेंट सर्च के बाद गैस अथॉरिटी ऑफ  इंडिया लिमिटेड (गेल) और एंग्लियन मेडल हंट ने निसार को ओलंपिक पदक ला सकने वाले संभावित खिलाड़ियों में चुना। इन दोनों से यह सहयोग 2020 तक जारी रहेगा। बहरहाल, दिल्ली में परफॉर्म करके निसार को अपने में सुधार लाने का अवसर मिला है। तब से निसार की टाइमिंग भी बेहतर हुई है। 100 मीटर में वह 11 से 10.85 सेकंड पर पहुंचे और 200 मीटर में 22.08 से 21.73 सेकंड पर पहुंचे। ये दोनों ही राष्ट्रीय अंडर-16 रिकॉर्ड हैं, जो उन्होंने पिछले साल विजयवाडा में हुई जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप में स्थापित किये थे। हाल के खेलो इंडिया गेम्स में निसार ने अपने ही समय को बेहतर करते हुए 100 मीटर में 10.76 सेकंड का समय निकाला। फिर अगले दिन वह जमैका चले गये, फेडरेशन कप में वापसी करने से पहले। निसार के लिए सबसे बड़ी चुनौती पैसा है, लेकिन अन्य बाधाएं भी हैं। उनकी कोच सुनीता राय का मानना है कि अगर निसार कड़ी मेहनत करें तो वह 100 मीटर 10 सेकंड के भीतर दौड़ सकते हैं। लेकिन ऐसा करने के लिए उन्हें अपना फोकस बनाये रखना होगा। अपनी स्ट्रेंथ व फिटनेस पर काम करना होगा और त्वरित सफलता से मिली चकाचौंध का शिकार होने से बचना होगा। पटियाला में हुए फेडरेशन कप में निसार कट-ऑफ मार्क तक भी न पहुंच सके, जो कि चयन से पहले की आखिरी प्रतियोगिता थी। निसार की टाइमिंग हीट्स में 11.04 सेकंड थी व सेमी फाइनल में 10.96 सेकंड थी और वह फाइनल के लिए क्वालीफाई भी न कर सके।निसार आने वाले राष्ट्रकुल खेलों के लिए क्वालीफाई करने में नाकाम रहे। खेलों में जो सफ ल होता है उसपर डोपिंग की तलवार हमेशा लटकी रहती है। निसार को इस बात की पूरी जानकारी होनी चाहिए। उनकी कोच कहती हैं कि निसार बोल्ट से प्रेरित हो सकते हैं, योहन ब्लेक के साथ वर्कआऊट कर सकते हैं और महान कोच ग्लेन मिल्स से टिप्स ले सकते हैं, लेकिन इसका कोई अर्थ नहीं रहेगा अगर वह सावधान नहीं रहेंगे। पैसा भी एक बड़ा मुद्दा है। गेल निसार की ट्रेनिंग, किट को प्रायोजित करती है और पौष्टिकता के लिए प्रोटीन उपलब्ध कराती है, लेकिन उनका परिवार संघर्ष ही कर रहा है। आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के बदरुद्दीन अजमल की अजमल फाऊंडेशन ने निसार को अडॉप्ट किया है और उनकी ट्रेनिंग को फंड कर रही है, लेकिन आर्थिक दृष्टि से मासिक समर्थन क्या रहेगा, यह अभी तय होना शेष है। एथलेटिक्स में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमारा प्रदर्शन अभी तक कोई खास अच्छा नहीं रहा है। कभी-कभी मिल्खा सिंह, पी.टी. उषा या अंजू बॉबी जॉर्ज ही सामने आते रहे हैं। इसलिए अब जो निसार व अन्यों के रूप में टैलेंट सामने आ रहा है उसे अच्छी तरह से संभालने व आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। इसमें सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और प्रतिभाशाली एथलीट को तमाम सुविधाएं व बेहतर ट्रेनिंग उपलब्ध करनी चाहिए, भले ही खिलाड़ियों को विदेश भेजना हो या उनके लिए अच्छे कोच लाने हों।       
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