मृतकों की मुक्ति हेतु वीज़ा नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं पाकिस्तान हिन्दू

अमृतसर, 22 मार्च (सुरिन्द्र कोछड़) : पाकिस्तान से 12 मार्च को सिंधी नागरिक अजीत सिंह के नेतृत्व में भारत पहुंचे 45 सदस्यीय हिन्दू-सिख जत्थे में शामिल कुछ हिन्दू यात्रियों के भारतीय सुरक्षा एजेंसी के कर्मचारियों को चकमा देकर हरिद्वार पहुंचने की कार्रवाई ने खुफिया तथा सुरक्षा एजेंसियों की घबराहट बढ़ा दी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त जत्थे द्वारा दिल्ली तथा हरिद्वार जाने के लिए वीज़ा मांगा गया था, परन्तु इस्लामाबाद स्थित भारतीय हाई कमीशन द्वारा जत्थे को 20 दिनों के लिए केवल अमृतसर का ही वीज़ा जारी किया गया, जिसके चलते जत्थे में शामिल कुछ लोग वीज़ा नियमों की उल्लंघना करते अपने मृतकों की अस्थियां हरिद्वार गंगा में प्रवाह करने के लिए चले गए। प्राप्त जानकारी के अनुसार दो सप्ताह पहले ही भारत पहुंचे 142 सदस्यीय हिन्दू जत्थे में शामिल कराची की खामस, माला तथा बसंती जोकि अपने मृतक पारिवारिक सदस्यों की अस्थियां हरिद्वार गंगा में प्रवाह करने पहुंची थी सहित अन्य पाकिस्तान हिन्दू नागरिकों ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तथा गृह मंत्री राजनाथ सिंह से अपील की है कि उनका वीज़ा कम से कम 20 दिनों के लिए करते हुए उनको हरिद्वार जाने की मंजूरी दी जाए। उक्त जत्थे को भारत सरकार द्वारा दिल्ली जाने के लिए केवल 5 दिनों का वीज़ा जारी किया गया था। पाकिस्तान के प्रदेश सिंध में रहते बहुसंख्यक हिन्दुओं का विश्वास है कि जब तक किसी मृतक हिन्दू की अस्थियां हरिद्वार गंगा में प्रवाहित नहीं की जातीं, तब तक मृतक तथा उसके परिवार वालों का मन अशांत रहता है। इसे आत्मिक शांति की प्राप्ति के लिए कराची के शमशानघाट में रखीं सैकड़ों मृतक हिन्दुओं की अस्थियां कई वर्षों से इंतजार कर रही हैं। पाकिस्तानी हिन्दू कौंसिल का कहना है कि इस मामले को लेकर कई बार भारत सरकार से अपील की जा चुकी है कि पाकिस्तान के मृतक हिन्दुओं के पारिवारिक सदस्यों को उनकी अस्थियां हरिद्वार गंगा में डालने के लिए वीज़ा दिया जाए परन्तु भारत सरकार का कहना है कि पाकिस्तान हिन्दू हरिद्वार आने से पहले यह प्रमाण-पत्र पेश करें कि मृतक या मृतक के वारिसों का मौजूदा समय हरिद्वार में कौन सा रिश्तेदार या संबंधी रह रहा है, क्योंकि हरिद्वार में उनके किसी रिश्तेदार की रिहायश होने पर ही उनको वहां का वीज़ा मिल सकता है। जबकि पाकिस्तान हिन्दू अभी तक भारत सरकार को अपनी यह व्यथा स्पष्ट करने में कामयाब नहीं हो सके हैं कि यह मामला उनके हरिद्वार में रहते रिश्तेदारों के प्रमाण का नहीं, अपितु मृतक तथा उसके परिवार वालों की आस्था तथा विश्वास का है। बेशक पाकिस्तान हिन्दुओं का निजी तौर पर हरिद्वार के साथ कोई संबंध न हो परन्तु उनकी अस्थियों का गंगा के साथ जो रिश्ता है, उसके लिए किसी प्रमाण-पत्र की ज़रूरत नहीं है।