बड़े पर्दे से लेकर छोटे पर्दे पर छा जाने वाले

इसके बाद सागर ने ‘संगदिल’, ‘बाजूबंद’ और ‘राजतिलक’ जैसी विभिन्न श्रेणियों से संबंधित फिल्मों के लिए पटकथाएं लिखी थी। लिहाज़ा, उनकी लेखनी का लोहा बॉलीवुड के फिल्म निर्माता स्वीकार कर चुके थे। इनमें से एस.एस. वासन तो उनका मुरीद ही बन गया था। उन्होंने सागर को बतौर निर्माता-निर्देशक बनने की सलाह दी। लेकिन उनके पास पटकथाएं लिखने के ही इतने ज्यादा प्रस्ताव आ चुके थे कि समय मिलना भी उनके लिए कठिनाई बन गया था। वह अपना फलसफा अपना अनुभव, अपनी रोमांसवादी प्रवृत्ति सब कुछ अपनी पटकथा में ढाल देने की अद्भुत योग्यता रखते थे। यह धारणा ‘प़ैगाम’ (59) से भी साबित हो गई थी। ‘प़ैगाम’ एक सामाजिक-रोमांटिक ड्रामा थी, जिसमें उसने पूंजीपतियों तथा मजदूरों को आपसी मिलाप बनाए रखने की प्रेरणा दी थी। इसका शीर्षक गीत ‘इन्सान का इन्सान से हो भाईचारा’ ही इसके महत्त्व को बताता था। प़ैगाम में दिलीप कुमार, राजकुमार तथा वैजयंती माला ने यादगार अभिनय किया था। फलस्वरूप प़ैगाम एक सुपरहिट फिल्म साबित हुई थी।  लिहाज़ा एम.एस. वासन की सलाह पर सागर ने कार्य करना शुरू कर दिया। 1950 में उन्होंने अपने बैनर (सागर आर्ट्स कार्पोरेशन) की स्थापना की। परन्तु उन्होंने वासन को प्रार्थना की कि वह उनको शुरू-शुरू में समान सहयोग दें। वासन ने उनको अपनी जैमिनी प्रोडक्शन का एक तरह से भागीदार ही बना लिया था। इस दृष्टिकोण से उन्होंने ‘घूंघट’ का निर्देशन किया था। ‘घूंघट’ एक सामाजिक ड्रामा था, जिसमें उन्होंने घूंघट की प्रथा के विरुद्ध प्रचार किया था। इस फिल्म में प्रदीप कुमार तथा वीना राय की प्रमुख भूमिकाएं थीं। यह फिल्म भी बहुत ही सफल साबित हुई थी। 1964 से 1966 तक सागर ने ‘ज़िन्दगी’ और ‘घराना’ जैसी सिल्वर जुबली फिल्मों के निर्माण, लेखन और निर्देशन के प्रति अपना बहुमूल्य योगदान डाला। इन दोनों के नायक राजेन्द्र कुमार थे। जबकि नायिकाओं के रूप में उन्होंने वैजयंती माला (ज़िन्दगी) तथा आशा पारिख (घराना) का चुनाव किया था। हां, अभी भी कुछ फिल्म निर्माता उन पर अपनी-अपनी फिल्मों की पटकथाएं लिखने संबंधी दबाव डालते आ रहे थे इसलिए जब निर्देशक एस.यू. सन्नी ने उनको बताया कि वह एक कास्टयूम ड्रामा बनाना चाहते हैं तो सागर ने एक ही दिन में ‘कोहेनूर’ की पटकथा तैयार करके उनको थमा दी थी। इसमें दिलीप कुमार, मीना कुमारी और जीवन ने अभिनय किया था। ‘कोहेनूर’ भी एक सिल्वर जुबली फिल्म साबित हुई थी। इसके बाद सागर ने ‘संगदिल’, ‘बाजूबंद’ और ‘राजतिलक’ जैसी विभिन्न श्रेणियों से संबंधित फिल्मों के लिए पटकथाएं लिखी थी