महिला दिवस

यदि कोई महिला स्पेशल या रिच खाने-नाश्ते की व्यवस्था अलग से या अपने कमरे में ही चाहती हों तो वह भी रियायती दर पर उपलब्ध करवा दिया जायेगा। इसके लिए  व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क करें। और जैसा सोचा था वैसा ही हुआ। सभी ने एक बार फिर संस्था के बैंक खाते में खाने-नाश्ते के नाम पर हजारों रुपये जमा करवा दिए। हर कोई अपने लिए विशेष व्यवस्था ही चाह रहा था। प्रभा देवी शहर के मशहूर कैटरिंग व्यवस्थापक के पास गइर्ं और शहर में पहली बार आयोजित होने वाले इस तरफ  के सम्मान समारोह को प्रायोजित करने के लिए मदद मांगी। इस बार भी उनके व्यक्तित्व का जादू चला और आशा के अनुरूप उसने खाने-नाश्ते का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया। इसी क्रम में एक-एक कर प्रभा देवी ने कार्यक्रम स्थल, उसकी साज-सज्जा, म्यूजिक और साउंड सिस्टम, सम्मान पत्र, शाल, स्मृति चिन्ह यहाँ तक कि अतिथियों के नगर भ्रमण की व्यवस्था भी प्रायोजित करवा ली। शायद कोई भी व्यक्ति और संस्था महिलाओं का सम्मान करने में पीछे नहीं रहना चाहती थी। आखिर यह उनके शहर की भी प्रतिष्ठा का सवाल था। पूरे शहर में जगह-जगह लगभग हर चौराहे पर कार्यक्त्रम से सम्बन्धित बड़े-बड़े होर्डिंग लग गए। कहना न होगा कि ये विज्ञापन भी शहर की नामी-गिरामी एडवरटाइजिंग एजेंसी द्वारा ही प्रायोजित थे। सब में प्रभा देवी का हाथ जोड़े हुए मुस्कुराता चेहरा हर आने-जाने वाले को आमंत्रित कर रहा था। शहर में यह समारोह कौतूहल और चर्चा का विषय बन गया था। हर एक जुबान पर इसका जिक्र था। कार्यक्रम होने से पहले ही कार्यक्रम सफल हो चुका था। नियत दिन और तय समय पर इतना शानदार और भव्य कार्यक्रम हुआ कि लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली। अखबार हो या टीवी चैनल, हर ओर प्रभा देवी के नाम और इस यादगार कार्यक्रम की ही गूँज थी। नारी सशक्तिकरण का प्रत्यक्ष उदाहरण प्रभा देवी बहुत ही विनम्रता से सबकी बधाइयाँ स्वीकार कर रही थीं, सबको सहयोग के लिए धन्यवाद दे रही थीं। सम्मानित होने वाली हर महिला इस समारोह का हिस्सा बनने पर अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रही थी। कुल मिला कर सब कुछ हरा ही हरा था।और सबसे अधिक हरियाली तो प्रभा देवी की संस्था के बैंक अकाउंट में लहलहा रही थी जहाँ चंदे और सहयोग के नाम पर हजारों रुपये जमा हो गए थे। इसे कहते हैं, हल्दी लगे न फिटकरी और रंग भी चोखा आये।