बोरिस येल्तसिनरूसी लोकतंत्र का विवादास्पद नायक

शायद पिता की जमींदारी के इस तरह जाने का मलाल हमेशा येल्तसिन को सालता रहा था, तभी तो उन्होंने मौका मिलते ही सोवियत संघ से कम्युनिज़्म की जड़ें खोद डालीं और लोकतंत्र के नायक बन बैठे। येल्तसिन को खुद समाजवादी दौर में एक आम रूसी बच्चे की तरह बचपन गुजारना पड़ा था और पॉलिटेक्निक की पढ़ाई करके 1955 में उन्होंने निर्माण विभाग में ही फोरमैन के रूप में अपनी ज़िंदगी शुरू की थी।
1961 में वह कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए और धीरे-धीरे ऊपर की सीढ़ियां चढ़ने लगे। बोरिस की राजनीतिक ज़िंदगी में नाटकीय बदलाव तब आया जब 1975 में उन्हें स्वर्दलोव्स्क क्षेत्र के औद्योगिक विकास के लिए जिम्मेदार कमेटी का सचिव बनाया गया। 1976 से 1985 तक येल्तसिन पूरे सोवियत संघ में औद्योगिक दृष्टि से इस सबसे महत्वपूर्ण इलाके के पार्टी सचिव रहे। 1985 में वह स्वर्दलोव्स्क से सीधे मॉस्को पहुंच गये और यहां के लोकप्रिय मेयर बने। आम बसों से सवारी करने वाले और अपने ज़्यादातर काम खुद करने वाले ’90 के दशक में येल्तसिन इसलिए आम रूसियों के बीच लोकप्रिय बन गये क्योंकि नौकरशाही के उस दौर में रूसी नेताओं के वैभव और जलवे कुछ खास ही होते थे। यह वह दौर था जब सोवियत संघ के इतिहास के सबसे कम उम्र वाले राष्ट्रपति गोर्वाच्यौव समाजवाद में ग्लास्तनोस्त (खुलापन) और पेरेस्त्रोइका (पुनर्निर्माण) की छौंक लगा रहे थे। येल्तसिन को अच्छा मौका मिला और उन्होंने इस गर्म लोहे में अपने बाज़ारवादी सुधारों का लोकतांत्रिक हथौड़ा दे मारा और उस सोवियत संघ के पतन के नायक बन गये जो सोवियत संघ अमरीकी महाशक्ति की तमाम कोशिशों के बाद भी नहीं टूट सका था। वह लोकतंत्र के हथौड़े से चकनाचूर हो गया। लेकिन येल्तसिन ने यह सब जनता के समर्थन के बल पर किया था। यह अलग बात है कि जब वह राष्ट्रपति बने और सचमुच उन सपनों को पूरा करने का वक्त आया जो सपने उन्होंने रूसी जनता को दिखाये थे, तो वे पूरी तरह से असफल रहे। अंतिम दिनों में उनकी लोकप्रियता घटकर 2 प्रतिशत पर आ गयी थी। जिसके चलते अंतत: उन्होंने 8 साल तक रूस के अपने अराजक और विघटनकारी शासन की बागडोर पुतिन के हाथों सौंपी और राजनीति से दूर चले गये। शराब पीने के लिए बदनाम बोरिस येल्तसिन बाद के दिनों में काफी बीमार रहने लगे थे। 76 साल की उम्र में 23 अप्रैल 2007 को मॉस्को में उन्होंने दम तोड़ा।