केन्द्र सरकार और भाजपा की ज़िम्मेदारी


यह बात बेहद अफसोस तथा दुख से कही जा सकती है कि जो माहौल देश के कई हिस्सों में बन रहा है, वह इस धरती और देश के लिए बेहद घातक साबित हो सकता है। पहले ही देश सैकड़ों वर्ष गुलामी भोग चुका है। इसने अपनी पीठ पर 1947 में हुआ देश का विभाजन का संताप सहन किया है। उस समय जब मनुष्य, मनुष्य के खून का प्यासा बन गया था, वह समय जब बहे मानवीय खून के छप्पड़ लगे थे, वह समय जब इन्सानियत हैवानियत में बदल गई थी, वह समय जिसने हमारे धर्मों को शर्मसार कर दिया था। धर्म मानवीय प्यार का संदेश देते हैं, परन्तु उस समय मजहबों तथा समुदायों के नाम पर पड़े विभाजनों ने देश में नफरत और घुटन भर दी थी। इसकी देश को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी।
चाहिए तो यह था कि हमारे आज के नेता 1947 में हुए इस बड़े दुखांत से कोई सबक लेते और ऐसी गम्भीर स्थितियों के बारे में एकजुट होते, आपस में विचार-चर्चा करते, देश के ऊंचे और सच्चे मूल्यों को अपनाकर नये समाज का सृजन करते परन्तु हो आज भी सब कुछ उल्ट रहा है। राजनीतिक वर्ग और समाज के प्रभावशाली लोग वोट लेने के लिए और पद प्राप्त करने हेतु ऐसी नफरत के बीज बीजने लगे हुए हैं। इस कारण वे ऐसी परम्पराओं को जन्म दे रहे हैं, जो पहले देखने को नहीं मिलती थी। ऐसे हालात देश में पुन: आग लगा सकते हैं। ऐसे हालात हमारे लिए दुनिया भर में शर्म की स्थिति पैदा कर सकते हैं।
गत दिनों पश्चिम बंगाल और बिहार में कई स्थानों पर एक धार्मिक पर्व के दौरान जो कुछ हुआ, वह बहुत चिन्ताजनक है। पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की ओर से तथा तृणमूल कांग्रेस द्वारा रामनवमी के अवसर पर धार्मिक यात्रा निकाली गई, जो स्वयं में एक-दूसरे को चुनौती देने वाली बात थी। इन यात्राओं में धार्मिक भावना के स्थान पर आपसी तनाव, आपसी चौधर दर्शाने की बात अधिक प्रतीत होती थी। इसके साथ ही भाजपा के राज्य अध्यक्ष दिलीप घोष ने यह ऐलान किया था कि इस धार्मिक यात्रा में लोगों की ओर से हर तरह के हथियारों का प्रदर्शन किया जायेगा। राज्य की ममता बैनर्जी की सरकार ने धार्मिक यात्रा के दौरान किसी भी तरह के हथियार लेकर चलने पर रोक लगा दी थी, परन्तु इसके बावजूद भाजपा ने चाकुओं, तलवारों, त्रिशूलों तथा डंडों से यह यात्रा निकाली, जिससे समूचा माहौल पूरी तरह खराब हो गया। कई स्थानों पर झड़पें शुरू हो गईं। दोनों राजनीतिक पार्टियों में आपसी राजनीतिक गर्माहट बढ़ गई। पुरूलिया ज़िले में हर तरह के हथियार लेकर निकाली गई यात्रा के दौरान लोगों की आपस में हिंसक झड़पें हो गईं और इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई। मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने यह सवाल उठाया कि क्या भगवान राम ने अपने अनुयायियों को पिस्तौल और तलवारें लेकर यात्राएं निकालने के लिए कहा था? इसी तरह बिहार में भी कई स्थानों पर ऐसा ही माहौल बन गया। कई स्थानों पर स्थिति नाजुक होती देखकर कर्फ्यू लगाना पड़ा। भीड़ ने बहुत सारी दुकानों को जलाकर राख कर दिया और दर्जनों ही लोग तथा पुलिसकर्मी घायल हो गए। देश में पैदा हुए ऐसे हालात के लिए हम भारतीय जनता पार्टी को इसके लिए बड़ा दोषी समझते हैं कि केन्द्र में भाजपा की सरकार कायम है। देश के अन्य अधिकतर राज्यों में भी इस पार्टी की सरकारें बनीं हुई हैं। यदि इस पार्टी के नाम पर कुछ गुण्डा तत्व देश के माहौल को खराब करने पर तुले हुए हैं, तो इस संबंधी भाजपा को कड़ा संदेश देने तथा कड़ी कार्रवाई करने की ज़रूरत होगी, क्योंकि राज धर्म का पालन करने के लिए किसी भी ज़िम्मेदार राजनीतिक पद पर बैठे व्यक्ति का पहला दायित्व होता है। ऐसे दायित्व को निभाने में नाकाम होने का मतलब है कि आप देश की नाव को अपनी गति पर चलाने की बजाय इसको आंधियों और तूफानों में धकेलने के दोषी हैं या आपकी सोच तथा अमल ऐसी दिशा की ओर मुड़ते नज़र आ रहे हैं, जिससे आगे खतरे का निशान शुरू हो जाता है।
यदि बाड़ ही खेत को खाने लगे तो इसकी रक्षा करने के लिए और कौन आगे आयेगा? नि:संदेह केन्द्र सरकार और भाजपा को इस समय अपनी ज़िम्मेदारी को समझने की ज़रूरत है। इन दोनों गुटों को देश भर में की या करवाई जा रही ऐसी कार्रवाइयों संबंधी कड़ा संदेश भेजना चाहिए और मैरिट के आधार पर दोषियों को तत्काल सज़ाओं के भागीदार बनाया जाना चाहिए, ताकि आगामी समय में इस तरह का दुस्साहस करने की किसी भी संगठन की हिम्मत न हो।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द