तमाम रोगों की दवा है बेल

बेल एक प्रसिद्ध फल है। यह देश के लगभग सभी भागों में पाया जाता है। मई और जून के महीने में फल देने लगता है।
बेल का वृक्ष प्राय: जंगलों में पाया जाता है। अब इसे बागों में भी उगाया जाता है। 
इसका फल गोल तथा बड़ी गेंद के आकार का होता है। फल का छिलका कठोर होता है। यह पकने पर हल्के नारंगी रंग का हो जाता है। पकी हुई बेल सुगंधित होती है। इसके अंदर का गूदा पीला होता है और उसमें सफेद रंग के बीज होते हैं। 
बेल का फल, लकड़ी, हमारे लिये बड़ी उपयोगी है। इसके गूदे, पत्तों तथा बीजों में उड़नशील, तेल पाया जाता है। फल में प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, कार्बोहाइडे्रट आदि तत्व पाये जाते हैं। बेल स्वास्थ्य के लिये बहुत उपयोगी फल है। मेदा और आंतों के लगभग सभी विकारों में हितकर है। बालकों को संग्रहणी या अतिसार में बेल बहुत लाभदायक है।
सूखे गूदे का चूर्ण सुबह पानी के साथ लेने से भूख को बढ़ाता है और आंव का नाश करता है। गले की पीड़ा को शांत करता है।
बेल पत्रों का रस छ: माशे दिन में तीन बार लेने से कृमि नष्ट हो जाते हैं। बेल का शरबत और मुरब्बा गर्मियों में बहुत ही लाभकारी है। यह घावों को भी अतिशीघ्र भरता है। इसका गूदा पुष्टिकारक है। बेल की लकड़ियां हवन के काम लाई जाती हैं।
राम वनवास के समय पंचवटी में जिन पांच प्रमुख वृक्षों का वर्णन मिलता है उनमें से बेल वृक्ष एक है।॒ (स्वास्थ्य दर्पण)
- परशुराम संबल