अभी निश्चित नहीं हुआ मंत्रिमंडल में विस्तार का समय

हालांकि यह खबरें बहुत चर्चा में हैं कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की कांग्रेस प्रधान राहुल गांधी के साथ हुई बैठक में पंजाब मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले नए मंत्रियों के नामों पर विचार-विमर्श हुआ है। यह भी चर्चा है कि मंत्रिमंडल में विस्तार किसी भी समय संभव है। कुछ स्थानों पर ऐसी खबरें भी देखने को मिलीं कि इस मंत्रिमंडल में विस्तार को लेकर दो नामों पर पेंच फंसा हुआ है, जिन पर सहमति नहीं हो रही। ऐसी खबरें भी चर्चा में हैं कि इस मामले पर कैप्टन और राहुल की एक और मीटिंग भी जल्दी ही होने की सम्भावना है। लेकिन हमारी जानकारी के अनुसार अभी पंजाब मंत्रिमंडल में विस्तार बारे कोई विचार-विमर्श किसी भी स्तर पर नहीं हुआ।कइ हलके तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह और राहुल गांधी की मीटिंग होने के बारे भी सवाल खड़े कर रहे हैं। लेकिन परिचित हलके मीटिंग होने की पुष्टि तो करते हैं, लेकिन इस मीटिंग में विचार किए गए मुद्दों के बारे भिन्न-भिन्न तरह की ‘सरगोशियां’ सुनाई दे रही हैं, जिनमें कुछ निजी बातों के अलावा इस मीटिंग में पंजाब के कुछ विधायकों की नाराज़गी कि अफसरशाही उनकी परवाह नहीं करती और सरकार अफसर ही चला रहे हैं, के बारे भी विचार हुआ बताया जा रहा है, जबकि कुछ कैप्टन सरकार की एक वर्ष की कारगुज़ारी के बारे विचार होने की बात करते हैं और कुछ यह कह रहे हैं कि इस मीटिंग में शाहकोट उप-चुनाव जीतने के बारे भी विचार किया गया और कैप्टन ने चुनाव जीतने के लिए खुली छुट्टी देने की मांग की भी बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस प्रधान इस समय कर्नाटक चुनावों और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के नए ढांचे को लेकर बहुत ज्यादा व्यस्त हैं। इसलिए उनके पास पंजाब मंत्रिमंडल में विस्तार पर विचार करने को समय नहीं है। जिस तरह की जानकारी हमें मिली है, उसके अनुसार पंजाब मंत्रिमंडल में विस्तार अभी टाले जाने के ही आसार ज्यादा है। गौरतलब है कि जिस तरह की सम्भावना है, अगर अगले सप्ताह शाहकोट विधानसभा के उप-चुनाव का ऐलान चुनाव कमिशन की ओर से कर दिया जाता है तो यह विस्तार इस उप-चुनाव तक तो लटक ही जायेगा। हालांकि मंत्री बनने के चाहवान यह दावा कर रहे हैं कि मंत्रिमंडल में विस्तार शाहकोट चुनाव से पहले ही हो जायेगा। इसी मध्य पता चला है कि राहुल गांधी ने कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को शाहकोट उप-चुनाव के लिए उम्मीदवार चुनने और चुनाव अपने हिसाब से लड़ने के अधिकार दिए हैं।
‘आप’ के सम्भावित उम्मीदवार
इस समय अकाली दल स्वर्गीय मंत्री अजीत सिंह कोहाड़ के सुपुत्र नैब सिंह को शाहकोट उप-चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर चुका है। कांग्रेस और ‘आप’ की ओर से अभी उम्मीदवार घोषित किए जाने के आसार नज़र नहीं आते। लगता है कि यह दोनों पार्टियां चुनाव कमिशन की ओर से चुनाव तारीखें घोषित किए जाने के उपरांत ही अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करेंगी। कांग्रेस की टिकट के चाहवानों की पंक्ति काफी लम्बी है। स्थानीय नेताओं में हरदेव सिंह लाडी, डा. नवजोत दाहिया, राजनबीर सिंह, ब्रिज भूपिंदर सिंह लाली और कैप्टन हरमिंदर सिंह के नाम चर्चा में है, जबकि पूर्व विधायक जगबीर सिंह बराड़,  पूर्व मंत्री स. लाल सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री राजिन्दर कौर भट्ठल और केवल सिंह ढिल्लों के नाम भी यहां टिकट के चाहवानों में गिने जा रहे हैं। जहां तक हरदेव सिंह लाडी का सवाल है, वह पिछले 2017 के चुनावों में अकाली दल से 5000 से कुछ कम वोटों के अंतर से हारे थे। वह पूर्व मंत्री राणा गुरजीत सिंह के नज़दीकी माने जाते रहे हैं। डा. नवजोत दाहिया, वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल के खास माने जाते हैं। वह भी पंजाब पीपल्ज़ पार्टी में ही कांग्रेस में आए हैं। राजनबीर सिंह स्वर्गीय वित्त मंत्री स. बलवंत सिंह के बेटे हैं। ब्रिज भूपिन्दर सिंह लाली 1992 में स. बेअंत सिंह की सरकार के समय विधायक और मंत्री रहे और एक बार वह करीब 5000 मतों के अंतर से यहां अकाली उम्मीदवार से भी हार चुके हैं। जगबीर सिंह बराड़, वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल के रिश्तेदार हैं और वह एक ओर दावेदार कैप्टन हरमिंदर सिंह से ज़िला कांग्रेस की प्रधानगी में भी उलझे हुए हैं, जबकि कैप्टन हरमिंदर सिंह कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के एक वरिष्ठ सलाहकार के नज़दीकी भी बताए जाते हैं। पूर्व मंत्री स. लाल सिंह यहां से अपना दावा कम्बोज बिरादरी के मतों की गिनती करीब 40 हज़ार से भी अधिक होना बता रहे हैं। वह कम्बोज बिरादरी से संबंधित पंजाब के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं, जबकि बताया जा रहा है कि राजिंदर कौर भट्ठल और केवल सिंह ढिल्लों अपने राजनीतिक बनवास से छुटकारा पाने के लिए यहां से कांग्रेसी टिकट के चाहवान हैं और वह समझते हैं कि उप-चुनाव में आमतौर पर सरकारी गुट ही विजयी रहता है। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के 2017 के विधानसभा चुनावों में विजयी उम्मीदवार से सिर्फ 6000 मतों से पीछे रहे और 41,000 मतों को लेकर जाने वाले उम्मीदवार डा. अमरजीत सिंह थिंद अकाली दल में शामिल हो गए हैं। लेकिन ‘आप’ पार्टी कहती है कि इससे उनको कोई फर्क नहीं पड़ा। इस समय ‘आप’ की टिकटों के चाहवानों में रविपाल सिंह और जगतार सिंह संघेड़ा के नाम ही सामने हैं, जबकि पार्टी के नए नियुक्त सह प्रधान डा. बलवीर सिंह जो सरगर्मी के तौर पर पार्टी के कार्यकारी प्रधान की तरह ही गुज़र रहे हैं, का कहना है कि उन्होंने क्षेत्र के 60 प्रमुख नेताओं की सलाह और सर्वसम्मति से एक सात सदस्यीय कमेटी बनाई है, जो अंतिम फैसला करेगी कि यहां ‘आप’ का उम्मीदवार कौन होगा। उन्होंने कहा कि वैसे तो दूसरी पार्टियों के करीब आधी दर्जन नेता उनके साथ टिकट के लिए सम्पर्क कर चुके हैं, लेकिन हम अपनी पार्टी के पक्के कार्यकर्ता को ही टिकट देंगे। उनके अनुसार इस समय पार्टी पांच नामों पर विचार कर रही है। 10 दिनों में रिपोर्ट? वैसे तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने जंग-ए-आज़ादी यादगारी के समारोह पर जाते हैलीकाप्टर से देखकर रेत की नाजायज़ माइनिंग के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश देने के बाद शीघ्र तौर पर माइनिंग नीति की समीक्षा करके रिपोर्ट देने के लिए तीन मंत्रियों नवजोत सिंह सिद्धू, मनप्रीत सिंह बादल और तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा पर आधारित एक कैबिनेट सर्व कमेटी बनाकर उसको एक महीने का समय रिपोर्ट पेश करने के लिया दिया था। लेकिन हमारी जानकारी अनुसार करीब महीना बीतने वाला है, परन्तु इस कमेटी की एक भी बैठक नहीं हो सकी। अब पता लगता है कि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह रेत के बढ़ते मूल्यों से काफी परेशान हैं। इसलिए उन्होंने इस कमेटी को अब अपनी रिपोर्ट अगले 10 दिनों में ही देने को कहा है। पता लगता है कि इस कमेटी की पहली बैठक कल सुबह 10 बजे होगी, जिसमें अफसरों के साथ विचार-विमर्श होगा और दूसरी मीटिंग भी कल सायं को ही रेत खड्डों के ठेकेदारों से की जाएगी।