सभ्याचारक नीति एक गोरखधंधा

गत दिनों देश-विदेश के सोशल मीडिया द्वारा दूर निकट के देशों में आ रहा सभ्याचारक बदलाव चर्चा का विषय रहा है। पंजाब के सभ्याचारक मंत्री नवजोत सिंह सिद्ध ने अश्लील गायकी को नकेल डालने के लिए सुरजीत पातर की कमान में सभ्याचारक आयोग स्थापित करने का ऐलान किया है। उधर चीन की सरकार ने कम्युनिस्ट नायकों के कार्टून पोस्ट करने वाली फेसबुकों पर जुर्माने लगाने शुरू कर दिए हैं। चीन सरकार ने इससे पहले इस अमल को रोकने के लिए पाबंदी लगाई थी, जो कारगर नहीं हुई प्रतीत होती। पश्चिमी चीन के शियाचियान राज्य की एक कम्पनी पर एक क्रांतिकारी गीत की नकल करने पर बहुत भारी जुर्माना लगाया है। उनको कौन बताए, हमारे देश का ‘शंकज़र् वीकली पत्रिका’ नेता लोगों के कार्टून प्रकाशित करती थी, तो नेता उस पत्रिका का बेसब्री से इंतज़ार करते थे—पंडित जवाहर लाल नेहरू तक। इस पर सोशल मीडिया ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा है कि चीन की सरकार ने यह सीमा भी निश्चित कर दी है कि वहां के लोगों को ऑनलाइन हंसने की कितनी अनुमति है। इसी तरह कनाडा की प्रोग्रैसिव कल्चरल एसोसिएशन कैलगरी ने एल्वर्टा के ह्यूमन राइट्स मंत्री इरफान सावर को मांग-पत्र देकर प्रार्थना की है कि भारत से टूरिस्ट बीजा पर जाने वाले उन यात्रियों को रोकें, जो कनाडा जाकर बहमों-भ्रमों के प्रचार द्वारा डॉलर ही नहीं कमाते बल्कि भोले-भाले लोगों को गुमराह भी करते हैं। उन्होंने यह मांग कनाडा की फैडरल सरकार से भी की। 
स्पष्ट है कि अपने सभ्याचार को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए सिर्फ पंजाब ही नहीं, अन्य देश भी चिंतित हैं। उर्दू भाषा में बुरे रास्तों पर चलने वालों को डांटने वाले टी.एन. राज़ लिखते हैं :
साधुओं का होगा संगम, अब के जो भी घाट पर
है खबर सब ऐशो-इशरत टैंट ही में पायेंगे 
म़ुफलसी बेरोज़गारी, रेप, रिश्वत, कत्ल सब
वक्त आखिर नाम तेरे, ऐ वतन कर जायेंगे।
उनके शब्द सभ्याचारक प्रदूषण को कितना नियंत्रित कर सके हैं, सभी जानते हैं। भावना सभी की ठीक है, परन्तु मामला मांग और आपूर्ति का है। यदि मांग ही न हो तो आपूर्ति करने वालों की क्या मज़ाल है कि दुकान खोलकर बैठ जाएं। चीन की सरकार का डंडा सख्त है, चल सकता है। कनाडा की सरकार भी मानवाधिकार वालों से दिशा लेकर गलत लोगों को वीज़ा लगाने से इन्कार कर सकती है। पंजाब सरकार कहां तक जा सकती है, कुछ कह नहीं सकते। 
यहां बैंकॉक के मालिश घरों का प्रमाण देना गलत नहीं। उस देश की आर्थिकता मालिश घरों के सिर पर खड़ी है। यहां तक कि नया मालिश घर स्थापित करने के समय वहां की सरकार उद्घाटन करने के लिए हाज़िर होती है। इनमें जो कुछ होता है, वह वेश्यावृत्ति से कम नहीं। अश्लील गायकी भी इसी का एक रूप है। शुभकामनाएं कबूल करें, मेरे पंजाबी भाइयो, लेकिन चलें ज़रा बचकर। 
तलाक से आधी सदी के बाद क्षमा याचना
अमरीका के कैंटकी राज्य का एक दम्पति तलाक के 50 वर्ष बाद पुन: शादी करवा रहा है। पुरुष का नाम हैराल्ड हालैंड है और महिला का लिलियन बानरस। उनकी शादी 1955 को क्रिसमस के अवसर पर हुई थी। पांच बच्चों के माता-पिता बनने के बाद 1968 में जुदा हो गए। दोनों ने नए विवाह भी रचा लिए। दोनों के नए जीवन साथी 2015 में दुनिया को अलविदा कर गए। अब 2018 की 14 अप्रैल को वह पुन: एक-दूसरे से शादी रचा रहे हैं। कुछ दिन पूर्व वह दोनों अपनी संतान और उनके बाल-बच्चों से मिलकर एक जश्न मना चुके हैं, परन्तु शादी की औपचारिक कार्रवाई के लिए संयोग से 14 अप्रैल का दिन निश्चित किया गया है। जिस दिन उत्तर भारत में बैसाखी का त्यौहार मनाया जाता है। स्मरण रहे कि उन्होंने पहली शादी क्रिसमस के दिन की थी। रॉल्ड 83 वर्षों के हैं और यह बात कहने से संकोच नहीं करते कि तलाक लेते समय वह गलत थे। इस गलती पर पर्दा डालने के लिए यह दलील देते हैं कि उस समय के संबंध विच्छेद का मुख्य कारण दूर-दराज़ शहर में रोज़गार मिलना था। अब तो उन्होंने यह भी ऐलान किया है कि वह अपनी पत्नी को वहां ले जायेंगे जहां भी वह रहना पसंद करेंगी। बूढ़ा दम्पति जिंदाबाद। 
जज के अर्दली से मंत्री का सलाहकार
पंजाबी के पाठक निंदर घुघियानवी को उनकी चर्चित जीवनगाथा ‘मैं था जज का अर्दली’ के कारण जानते हैं। चाहे वह इस रचना के बाद अनेकों अन्य पुस्तकें लिख चुके हैं। अब जज का अर्दली रह चुके निंदर को पंजाब के सभ्याचार और पर्यटन मंत्री नवजोत सिंह सिद्ध ने अपनी उत्तम साहित्य सभ्याचार संस्था पंजाब कला परिषद् का मीडिया और सभ्याचार सलाहकार और संयोजक ले लिया है। 

अंतिका
(बरजिन्दर चौहान)
फेर की मजबूर, जे होणा पेआ प्रवास ते
बेघरे होणा भी पैंदा है, कदे घर वास्ते
किश्तियां दा डुबणा तेरे लेई है हादसा
रोज़ दा पर शुगल है, ऐह तां समुद्र वास्ते
राह देयां रुखां लेई, सत्कार तां चाहीदा है
पर उन्हां दा मोह नहीं, चंगा मुसाफिर वास्ते।